अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध में 90 दिन की राहत, टैरिफ घटाने पर बनी सहमति
दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं – अमेरिका और चीन – के बीच जारी व्यापार युद्ध में अब ठंडक आती दिख रही है. सोमवार को दोनों देशों ने आपसी टैरिफ (शुल्क) को 90 दिनों के लिए स्थगित करने और धीरे-धीरे शुल्क में कटौती करने पर सहमति जताई. यह कदम वैश्विक बाजारों में स्थिरता लाने और व्यापार तनाव को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

अमेरिका और चीन ने एक-दूसरे की वस्तुओं पर लगाए गए टैरिफ को 90 दिनों के लिए रोकने का फैसला किया है. इस दौरान दोनों देश आपसी शुल्क को धीरे-धीरे कम करने की योजना पर काम करेंगे. यह समझौता बढ़ते व्यापार युद्ध को थामने और द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को पटरी पर लाने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है.
व्यापार युद्ध को शांत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
अमेरिका और चीन ने सोमवार को एक बड़ा फैसला लेते हुए एक-दूसरे के सामान पर लगे टैरिफ को 90 दिनों के लिए कम करने का समझौता किया है. यह कदम दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच लंबे समय से जारी व्यापार युद्ध को शांत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है. यह घोषणा जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में सप्ताहांत के दौरान हुई मैराथन ट्रेड वार्ता के बाद सामने आई है, जो इस साल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीनी आयात पर भारी शुल्क लगाए जाने के बाद दोनों देशों के बीच पहली उच्च स्तरीय बैठक थी.
145% से घटाकर 30% करने का निर्णय
समझौते के तहत अमेरिका ने चीनी सामानों पर लगने वाले टैरिफ को 145% से घटाकर 30% करने का निर्णय लिया है, वहीं चीन ने अमेरिकी आयात पर लगाए गए शुल्क को 125% से घटाकर 10% करने की घोषणा की है. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जिनेवा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अमेरिका के ट्रेज़री सेक्रेटरी स्कॉट बेसेन्ट ने कहा, "हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि हमारे साझा हित हैं. दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल का यह मत था कि किसी प्रकार का आर्थिक विभाजन (decoupling) कोई नहीं चाहता."
वित्तीय बाजारों में उथल-पुथल
यह टैरिफ कटौती हालिया व्यापारिक तनावों से एक अहम वापसी है, जिनके चलते वैश्विक वित्तीय बाजारों में उथल-पुथल मची हुई थी और अंतरराष्ट्रीय मंदी की आशंका गहराने लगी थी. यह समझौता न केवल अमेरिका और चीन के रिश्तों में नई उम्मीद जगाता है, बल्कि वैश्विक व्यापारिक स्थिरता की दिशा में भी एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है.


