ट्रंप की नीतियों से क्या बिखर जाएगा दशकों पुराना रिश्ता? टूटने की कगार पर अमेरिका-कनाडा का ‘भाईचारा’!
अमेरिका और उसके पड़ोसी देशों कनाडा और मैक्सिको के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच चुका है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन दोनों देशों से आयात होने वाली वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगा दिया है, जिससे व्यापार जगत में हलचल मच गई है. अमेरिका को गर्त में ले जाएंगे ट्रंप के तेवर, कनाडा से टूटेगा ‘छोटे भाई बड़े भाई’ का तानाबाना?

अमेरिका और उसके पड़ोसी देशों कनाडा और मैक्सिको के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच चुका है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन दोनों देशों से आयात होने वाली वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगा दिया है, जिससे व्यापार जगत में हलचल मच गई है. कनाडा, जिसे अमेरिका लंबे समय से अपना 'छोटा भाई' कहता आया है, अब खुलकर विरोध में उतर आया है. इस फैसले से न केवल इन देशों के आर्थिक संबंध प्रभावित होंगे, बल्कि आम जनता भी महंगाई की मार झेलेगी.
ट्रंप के इस फैसले से अमेरिकी उपभोक्ताओं को भी झटका लगने वाला है, क्योंकि अब उन्हें कनाडा और मैक्सिको से आने वाली वस्तुओं पर ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे. दूसरी ओर, कनाडा ने भी जवाबी हमला करते हुए अमेरिकी उत्पादों पर 25% आयात कर लगाने की घोषणा कर दी है. सवाल यह उठता है कि क्या यह तनातनी अमेरिका और उसके पड़ोसियों के रिश्तों को पूरी तरह तोड़ देगी?
आर्थिक संकट की आहट: तीनों देशों पर पड़ेगा असर
उत्तर अमेरिका के तीनों प्रमुख देशों – अमेरिका, कनाडा और मैक्सिको – की अर्थव्यवस्था एक-दूसरे पर निर्भर है. ट्रंप के फैसले से जहां अमेरिकी उपभोक्ताओं पर महंगाई की मार पड़ेगी, वहीं कनाडा और मैक्सिको के निर्यात पर भी असर होगा. कनाडा और मैक्सिको में नौकरियों पर खतरा: अमेरिका में सामान बेचने वाले कई व्यापारियों को भारी नुकसान झेलना पड़ेगा, जिससे कनाडा और मैक्सिको में नौकरियों की कमी हो सकती है.
अमेरिकी जनता पर महंगाई का बोझ: कनाडा और मैक्सिको से आने वाली रोजमर्रा की वस्तुएं महंगी होंगी, जिससे अमेरिकी जनता की क्रय शक्ति पर असर पड़ेगा.व्यापार संतुलन बिगड़ने की आशंका: इस ट्रेड वॉर का सबसे बड़ा नुकसान अमेरिका को हो सकता है, क्योंकि जवाबी टैरिफ के कारण अमेरिकी उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग घट सकती है.
भारत ने क्यों नहीं झेला ट्रंप का गुस्सा?
भारत ने ट्रंप को नाराज होने से रोकने के लिए आयात शुल्क में छूट देने का रास्ता अपनाया.
हार्ले डेविडसन पर इंपोर्ट ड्यूटी कम की गई:
पहले 50% टैरिफ था, जिसे घटाकर 40% कर दिया गया.
ट्रंप इस पर काफी समय से दबाव बना रहे थे.
मोदी सरकार के इस कदम से संकेत मिला कि भारत अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूत रखना चाहता है.
टेस्ला कार के लिए संभावनाएं:
भारत ने विदेशी इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनियों को छूट देने का ऐलान किया है.हालांकि, एलन मस्क की टेस्ला ने अब तक भारत में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने की कोई योजना नहीं बनाई.
ट्रंप का चीन, ब्राजील और ब्रिक्स देशों से टकराव
ट्रंप की आक्रामक नीतियां केवल कनाडा और मैक्सिको तक सीमित नहीं हैं. उन्होंने चीन से आने वाले उत्पादों पर 10% टैरिफ लगाने का भी ऐलान किया है. साथ ही, उन्होंने ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, चीन, दक्षिण अफ्रीका, भारत) को भी 100% टैरिफ लगाने की धमकी दी थी, अगर उन्होंने डॉलर से अलग व्यापारिक मुद्रा अपनाई.
ब्राजील ने दी ट्रंप को चेतावनी: राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि अमेरिका आर्थिक दबाव बनाता है, तो ब्राजील भी कड़ा जवाब देगा.
चीन से ट्रेड वॉर जारी: चीन पहले से ही अमेरिका के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है. नए टैरिफ से दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ सकता है.
दुनिया की अर्थव्यवस्था पर असर
आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था पूरी तरह अन्योन्याश्रित है, यानी सभी देश किसी न किसी रूप में एक-दूसरे पर निर्भर हैं.
मैक्सिको से खाद्य आपूर्ति पर असर: अमेरिका अपनी खाद्य सामग्री का बड़ा हिस्सा मैक्सिको से आयात करता है.
कनाडा से पेट्रोलियम और ऊर्जा आपूर्ति: कनाडा, अमेरिका को पेट्रोलियम और लकड़ी जैसी जरूरी चीजें सप्लाई करता है.
यूरोपीय संघ (EU) से भी बिगड़े संबंध: अगर ट्रंप ने EU पर भी टैरिफ लगाया, तो अमेरिका में बड़ी आर्थिक मंदी का खतरा पैदा हो सकता है.
क्या अमेरिका में लोकतंत्र खतरे में है?
टोरंटो स्थित HTM मीडिया हाउस के संपादक राकेश तिवारी का कहना है कि डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा बनते जा रहे हैं.
कुछ उद्योगपतियों के इशारे पर चल रहे हैं ट्रंप
अमेरिका फर्स्ट की नीति खुद अमेरिका को ही कमजोर कर रही है
कनाडा और अमेरिका का ऐतिहासिक भाईचारा पहली बार खतरे में
नशे के कारोबार और ट्रंप की नीति
ट्रंप ने कनाडा, चीन और मैक्सिको पर ड्रग तस्करी का आरोप लगाया है.
फेनाटाइल की तस्करी:
यह एक बेहद खतरनाक नशा है, जिससे अमेरिका में 76,000 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं.
ट्रंप का आरोप है कि चीन, मैक्सिको और कनाडा मिलकर अमेरिका में यह नशा भेज रहे हैं.
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका के ही फार्मा उद्योग इस ड्रग का इस्तेमाल कर रहे हैं.
क्या यह शीत युद्ध की शुरुआत है?
अमेरिका और उसके पड़ोसी देशों के बीच व्यापारिक जंग का असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा.
फिलाडेल्फिया स्थित आर्थिक विशेषज्ञ अतुल अरोड़ा का कहना है कि ट्रंप की नीतियां एक नए शीत युद्ध की शुरुआत कर सकती हैं.
ट्रंप के फैसलों को अमेरिकी कोर्ट में चुनौती दी जा रही है, लेकिन वे किसी भी न्यायिक प्रक्रिया का पालन करने में रुचि नहीं दिखा रहे.


