Arun Subramanian: कौन हैं जज सुब्रमण्यन? जिन्होने सुनाई रैपर सीन ‘डिडी’ कॉम्ब्स को 4 साल का सजा
Arun Subramanian: 1979 में पिट्सबर्ग में जन्मे अरुण सुब्रमण्यम ने 2022 में इतिहास रच दिया, जब जो बाइडेन ने उन्हें पहला दक्षिण एशियाई संघीय न्यायाधीश नियुक्त किया. यह उपलब्धि न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे समुदाय के लिए गर्व का क्षण था जो उनके प्रेरणादायक सफर को दर्शाती है.

Arun Subramanian: फेमस रैपर सीन ‘डिडी’ कॉम्ब्स को प्रॉस्टिट्यूशन से जुड़े आरोपों में दोषी ठहराए जाने के बाद चार साल दो महीने की जेल की सजा सुनाई गई है. यह सजा न्यूयॉर्क के भारत के जिला न्यायाधीश अरुण सुब्रमण्यन ने सुनाई, जिन्होंने कहा कि यह फैसला समाज में जवाबदेही तय करने और महिलाओं के साथ होने वाले शोषण के खिलाफ मजबूत संदेश देने के लिए आवश्यक है. कॉम्ब्स के खिलाफ आरोप थे कि उन्होंने अपनी पूर्व प्रेमिकाओं के साथ कई वर्षों तक शारीरिक और मानसिक दुर्व्यवहार किया.
न्यायाधीश अरुण सुब्रमण्यन का कहना है कि लोकप्रिय कलाकार होते हुए भी कॉम्ब्स की यौन हिंसा की कहानी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई करते हुए यह स्पष्ट किया कि महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करने वालों को कड़ीसे कड़ी सजा भुगतनी होगी.
अरुण सुब्रमण्यन कौन हैं?
अरुण सुब्रमण्यन का जन्म 1979 में पिट्सबर्ग, अमेरिका में भारतीय परिवार में हुआ. इन्होंने केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया और कोलंबिया लॉ स्कूल से 2004 में ज्यूरिस डॉक्टर की डिग्री हासिल की. सुब्रमण्यन ने सुप्रीम कोर्ट की जज रुथ बेडर गिन्सबर्ग के साथ क्लर्कशिप भी की. साल 2022 में उन्हें जो बाइडेन ने अमेरिका के पहले दक्षिण एशियाई संघीय न्यायाधीश बने.
सजा सुनाते वक्त न्यायाधीश के शब्द
न्यायाधीश सुब्रमण्यन ने कहा- यह सजा महिलाओं के खिलाफ हिंसा और शोषण को रोकने के लिए एक स्पष्ट संदेश है. कॉम्ब्स ने अपने अपराधों के माध्यम से कई महिलाओं की जिंदगी तबाह कर दी. उन्होंने कॉम्ब्स की डिफेंस टीम के दावे को खारिज कर दिया कि ये सभी क्रियाएं सहमति से हुई थीं. समाज में बढ़ती यौन हिंसा को देखते हुए, जवाबदेही तय करना जरूरी है.
रैपर कॉम्ब्स के पछतावा
सजा से पहले कॉम्ब्स ने कोर्ट में अपनी गलती स्वीकार की और अपनी पूर्व प्रेमिकाओं से माफी मांगी. उन्होंने कहा कि मैं हर चीज के लिए माफी चाहता हूं. मुझे एक पिता के रूप में नाकाम रहने, अपनी छवि और आजादी खोने का गहरा अफसोस है. उन्होंने बताया कि अपने अपराधों के लिए पछतावा जताने में उनकी सबसे बड़ी कठिनाई यह थी कि वे इतनी देर तक चुप रहे.


