बगदाद 1981, तेहरान 2025: परमाणु खतरे पर इज़रायली एक्शन, क्या इतिहास खुद को दोहरा रहा है?
1970 के दशक में इराक ने फ्रांस की मदद से ओसीराक परमाणु रिएक्टर बनाया, जिसे इजरायल ने खतरा मानते हुए 1981 में 'ऑपरेशन ओपेरा' के तहत नष्ट कर दिया. इस हमले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हुई, पर इजरायल ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी कदम बताया. इस नीति को बाद में ईरान के संदर्भ में भी दोहराया गया.

1970 के दशक के अंत में इराक ने फ्रांस के साथ एक समझौते के तहत 'ओसीराक' नामक परमाणु रिएक्टर का निर्माण शुरू किया. यह रिएक्टर बगदाद से लगभग 17 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित था. हालांकि इराक और फ्रांस ने इसे शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए स्थापित किया था, इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने इसे परमाणु हथियारों के निर्माण के संभावित स्रोत के रूप में देखा. इजरायल का मानना था कि यदि यह परमाणु रिएक्टर एक्टिव हो गया, तो यह क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकता है.
ऑपरेशन की योजना
इजरायल ने इस खतरे को नकारात्मक रूप से टालने के लिए एक गुप्त सैन्य अभियान की योजना बनाई. ऑपरेशन का कोड नाम 'ऑपरेशन ओपेरा' रखा गया. इस मिशन के लिए इजरायल ने आठ F-16A लड़ाकू विमानों और छह F-15A विमानों का चयन किया. इन विमानों को अतिरिक्त ईंधन टैंक के साथ तैयार किया गया ताकि वे बिना रिफ्यूलिंग के लंबी दूरी की उड़ान भर सकें. विमानों को रडार से बचने के लिए नीचे की ऊँचाई पर उड़ान भरने की योजना बनाई गई.
हमले का दिन: 7 जून 1981
7 जून 1981 को, इजरायली विमानों ने सिनाई प्रायद्वीप से उड़ान भरी और जॉर्डन और सऊदी अरब के हवाई क्षेत्र से होते हुए इराक की ओर बढ़े. हालांकि जॉर्डन के राजा हुसैन ने इन विमानों को देखा और इराक को चेतावनी भेजने की कोशिश की, लेकिन संचार विफलता के कारण संदेश बगदाद तक नहीं पहुँच सका. विमान तुवैथा परिसर के ऊपर लगभग 17:35 बजे पहुँचे और प्रत्येक विमान ने पाँच सेकंड के अंतराल पर अपने बम गिराए. हमला दो मिनट से भी कम समय में पूरा हुआ, और ओसीराक रिएक्टर पूरी तरह से नष्ट हो गया. सभी 14 विमान सुरक्षित रूप से इजरायल लौट आए.
इजरायल को करना पड़ा आलोचनाओं का सामना
हमले के बाद, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने इजरायल की कार्रवाई की आलोचना की. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने प्रस्ताव 487 पारित किया, जिसमें हमले की निंदा करते हुए इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन बताया गया. अमेरिका ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया और इजरायल को चार F-16 विमानों की आपूर्ति अस्थायी रूप से रोक दी. फ्रांस, जिसने रिएक्टर की आपूर्ति की थी, ने भी इस हमले की निंदा की, हालांकि रिएक्टर पर कार्यरत फ्रांसीसी तकनीशियन सुरक्षित रहे.
रणनीतिक परिणाम
ऑपरेशन ओपेरा ने इराक के परमाणु कार्यक्रम को कम से कम दस वर्षों के लिए बाधित किया. हालांकि, इराक ने इस हमले के बाद अपने परमाणु कार्यक्रम को फिर से शुरू किया और 1991 के खाड़ी युद्ध के दौरान, इराकी रक्षकों ने ओसीराक रिएक्टर की मरम्मत की. इजरायल ने इस हमले को अपनी सुरक्षा नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना और इसे भविष्य में भी लागू करने की योजना बनाई.
ईरान और इजरायल के संबंधों में समानांतर
ऑपरेशन ओपेरा के बाद, इजरायल ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को भी अपनी सुरक्षा के लिए खतरा माना. 2005 से, इजरायल के नेताओं ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अस्तित्व के लिए खतरा मानते हुए, इसे नष्ट करने की आवश्यकता पर बल दिया. प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने 2009 में ईरान पर भविष्य में हमले के लिए ऑपरेशन ओपेरा को उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया.


