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धरती पर मौत, अंतरिक्ष से गवाही, सूडान में इंसानियत का सबसे काला अध्याय

सूडान के उत्तरी दारफुर के एल-फशर शहर में मिलिशिया समूह रैपिड सपोर्ट फोर्सेज के कब्जे के बाद हत्याओं का ऐसा सिलसिला चला है कि उपग्रह तस्वीरों में भी खून और शवों के निशान साफ दिखाई दे रहे हैं.

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra

सूडान इस समय दुनिया के सबसे भयावह मानवीय संकटों में से एक का सामना कर रहा है, लेकिन वैश्विक समुदाय लगभग खामोश है. उत्तरी दारफुर के एल-फशर शहर में मिलिशिया समूह रैपिड सपोर्ट फोर्सेज के कब्जे के बाद हत्याओं का ऐसा सिलसिला चला है कि उपग्रह तस्वीरों में भी खून और शवों के निशान साफ दिखाई दे रहे हैं.

नरसंहार ने 3 करोड़ से अधिक लोगों को किया प्रभावित

ये दृश्य एक ऐसे नरसंहार की ओर इशारा करते हैं, जिसने करीब 3 करोड़ से अधिक लोगों को प्रभावित किया है. येल विश्वविद्यालय के ह्यूमैनिटेरियन रिसर्च लैब की रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरिक्ष से ली गई उपग्रह तस्वीरों में शहर की सड़कों पर मानव शरीर जैसी आकृतियां और लाल धब्बे दिख रहे हैं, जिन्हें खून माना जा रहा है.

ये तस्वीरें 27 अक्टूबर को एयरबस डिफेंस एंड स्पेस** द्वारा ली गईं, जिनमें आरएसएफ के वाहनों और टैंकों को शहर के सैन्य ठिकानों के आसपास तैनात देखा गया. एल-फशर सूडानी सशस्त्र बलों (SAF) का अंतिम बड़ा ठिकाना था, जिस पर अब आरएसएफ का नियंत्रण है.

स्थानीय सूत्रों और उपग्रह विश्लेषण से संकेत मिलता है कि आरएसएफ ने नागरिकों को भागते समय गोली मारी और कई शव सड़कों पर पड़े मिले. रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि दाराजा ओउला इलाके में आरएसएफ ने सड़कों को अवरुद्ध कर दिया था, जिससे सैकड़ों लोग फंस गए.

गृहयुद्ध की जड़ें

सूडान में यह संघर्ष अप्रैल 2023 में शुरू हुआ, जब देश की सेना के प्रमुख जनरल अब्देल फत्ताह अल-बुरहान और आरएसएफ के कमांडर मोहम्मद हमदान डागालो (हेमेदती) के बीच सत्ता संघर्ष भड़क गया. इस टकराव ने देश को पूर्ण गृहयुद्ध की स्थिति में धकेल दिया.

आरएसएफ ने अब ट्रक और ड्रोन के सहारे अपनी कार्रवाई और तेज़ कर दी है. यह वही संगठन है, जिसने 2000 के दशक में गैर-अरब समुदायों विशेष रूप से मसालित, फ़ुर और ज़घावा के खिलाफ अत्याचार किए थे. रिपोर्टों के मुताबिक, आरएसएफ के लड़ाके बलात्कार को आतंक का हथियार बनाकर अरब बच्चे पैदा करने जैसी अमानवीय बातें कहते थे.

जातीय सफाए की चेतावनी

अमेरिका और कई मानवाधिकार संगठनों ने आरएसएफ की गतिविधियों को नरसंहार और जातीय सफाए की श्रेणी में रखा है. येल एचआरएल की रिपोर्ट के अनुसार, आरएसएफ व्यवस्थित रूप से गैर-अरब समुदायों को निशाना बना रहा है, हत्या, जबरन विस्थापन और फांसी के ज़रिए.

संयुक्त राष्ट्र के आंकड़े बताते हैं कि अब तक 1.5 लाख से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं और 1.2 करोड़ से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं. करीब 2.5 करोड़ लोग अकाल जैसी स्थिति में हैं, जिससे यह संकट दुनिया का सबसे बड़ा विस्थापन आपदा बन गया है, यहां तक कि गाज़ा संकट से भी भयानक.

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और जमीनी हालात

एल-फशर में हिंसा के कारण अब तक 26,000 से ज़्यादा लोग पलायन कर चुके हैं. उपग्रह तस्वीरें दिखाती हैं कि लोग दक्षिण की ओर ज़मज़म आईडीपी शिविर और पश्चिम की ओर तवीला की तरफ जा रहे हैं.

आरएसएफ को अपनी सैन्य ताकत बनाए रखने में सूडान के सोने के अवैध व्यापार से मदद मिलती है. रिपोर्टों के अनुसार, आरएसएफ ने दारफुर की स्वर्ण खदानों पर कब्जा कर लिया है और संयुक्त अरब अमीरात के रास्ते सोने की तस्करी करके हथियार और ड्रोन खरीदने के लिए करोड़ों डॉलर जुटा रहा है.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने स्थिति को असहनीय कहा है, जबकि अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक इसे आधुनिक युग के सबसे बड़े नरसंहारों में से एक मान रहे हैं. सूडान अब टूटने के कगार पर है. खून अंतरिक्ष से नजर आता है, लेकिन धरती के लोग अभी भी इसे देखने से इनकार कर रहे हैं.

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30 October 2025, 10:19 PM IST

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