भारत की COP-33 मेजबानी पर ब्रिक्स की सहमति, जलवायु संकट पर एकजुटता
देशों ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पेरिस समझौते की प्रतिबध्दता दोहराई. साथ ही इस दौरान ब्राजील में होने वाले सीओपी-30 को भी समर्थन मिला और वनों के सरंक्षण पर भी जोर दिया गया.

BRICS Summit: BRICS Summit: रियो डी जनेरो में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2025 न केवल वैश्विक सहयोग का एक मंच साबित हुआ, बल्कि इसने भारत की कूटनीतिक ताकत को भी साफ कर किया है. इस सम्मेलन के दौरान, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कई वैश्विक नेताओं के साथ महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठकें कीं, जिन्होंने भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को और मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई. ये मुलाकातें न केवल क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा के लिए महत्वपूर्ण थीं, बल्कि इनके माध्यम से भारत ने अपनी रणनीतिक स्थिति को और मजबूत कर लिया. ब्रिक्स सम्मेलन के बैठकों में व्यापार, रक्षा, और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे प्रमुख विषयों पर गहन विचार-विमर्श हुआ.
रूस के विदेश मंत्री के साथ जयशंकर की मुलाकात
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ब्रिक्स सम्मेलन 2025 के दौरान रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की. इस मुलाकात में दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करने पर जोर दिया. जयशंकर ने कहा, "हमने द्विपक्षीय सहयोग, पश्चिम एशिया, ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) जैसे मुद्दों पर व्यापक चर्चा की." इस बैठक में रूस-भारत संबंधों को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई.
वैश्विक मंच पर भारत की उपस्थिति
ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान भारत ने न केवल अपनी आर्थिक और रणनीतिक स्थिति को मजबूत किया, बल्कि वैश्विक शांति और सहयोग के लिए अपनी प्रतिबद्धता को भी दोहराया. पीएम मोदी और जयशंकर की इन मुलाकातों ने भारत को एक जिम्मेदार और प्रभावशाली वैश्विक शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया. रूस के साथ बैठक में पश्चिम एशिया में स्थिरता और क्षेत्रीय सहयोग पर विशेष ध्यान दिया गया, जो वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2025 में भारत ने न केवल अपनी कूटनीतिक कुशलता का प्रदर्शन किया, बल्कि यह भी साफ किया कि वह वैश्विक मंच पर एक संतुलित और प्रभावी भूमिका निभाने के लिए तैयार है. जयशंकर की रूसी समकक्ष के साथ चर्चा ने दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में ठोस कदम उठाए. ये मुलाकातें भारत के लिए आर्थिक और रणनीतिक दोनों ही अवसरों को बढ़ाने में सहायक सिद्ध होंगी.


