चीन ने पाकिस्तान को दिए हथियार, भारत के खिलाफ इस्तेमाल पर क्यों नहीं बोला एक शब्द?
हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई झड़प में पाकिस्तान ने चीन से मिले जे-10सी फाइटर जेट और PL-15 मिसाइलों का इस्तेमाल किया. पाकिस्तान ने इसका खुलासा किया, लेकिन चीन की सरकार इस पर चुप है. चीन की यह चुप्पी कूटनीतिक कारणों से है क्योंकि भारत के साथ उसके पहले से ही तनावपूर्ण संबंध हैं, और वह हथियार बाजार में अपनी साख बनाए रखना चाहता है.

भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया टकराव में पाकिस्तानी वायुसेना ने खुलकर चीनी हथियारों का इस्तेमाल किया. पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने चीन से मिले J-10C फाइटर जेट और लंबी दूरी तक मार करने वाली PL-15 मिसाइलों का उपयोग भारत के राफेल और सुखोई विमानों के खिलाफ किया. लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस पूरे घटनाक्रम पर चीन की शी जिनपिंग सरकार पूरी तरह चुप्पी साधे हुए है.
चीन के सरकारी प्रवक्ताओं ने ना तो इन हथियारों की आपूर्ति की पुष्टि की है और ना ही भारत के खिलाफ उनके इस्तेमाल पर कोई टिप्पणी की है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर चीन इस मुद्दे पर खामोशी क्यों बरत रहा है?
पाकिस्तान ने कबूला चीनी हथियारों का इस्तेमाल
पाकिस्तानी सेना ने खुलकर दावा किया है कि उन्होंने भारत के आधुनिक राफेल और सुखोई लड़ाकू विमानों के खिलाफ चीनी J-10C फाइटर जेट का प्रयोग किया. इन विमानों में PL-15 मिसाइलें तैनात थीं, जो हवा से हवा में लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम हैं. पाकिस्तानी सेना का दावा है कि इन हथियारों से उन्हें रणनीतिक बढ़त मिली.
चीन में J-10C की तारीफ
हालांकि चीन के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर J-10C की जमकर तारीफ की जा रही है, लेकिन आधिकारिक रूप से बीजिंग की सरकार चुप है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जिआन ने बयान दिया, "हमें जानकारी नहीं है कि चीनी हथियार भारत-पाक युद्ध में शामिल थे."
भारत के तनाव के चलते सतर्क है चीन
हांगकांग के अखबार *साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट* के अनुसार, चीन की चुप्पी रणनीतिक है. गलवान घाटी में भारत से हुए संघर्ष के बाद से दोनों देशों के बीच रिश्ते बेहद संवेदनशील हैं. ऐसे में चीन नहीं चाहता कि वह भारत के खिलाफ खुले तौर पर पाकिस्तान की सैन्य मदद करके अपने कूटनीतिक रिश्तों को और बिगाड़े.
अमेरिका और एशियाई देशों से पहले ही उलझा है चीन
वर्तमान समय में चीन अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध, ताइवान और जापान के साथ सीमा विवाद और फिलीपींस के साथ समुद्री तनाव झेल रहा है. ऐसे में चीन अपने सैन्य निर्यात अभियान को भी तेज कर रहा है, खासतौर पर खाड़ी देशों में, जहां वह अमेरिकी हथियारों का विकल्प बनना चाहता है.
चीन को हथियारों की विश्वसनीयता का डर
हाल के वर्षों में दुनिया भर में चीनी सैन्य तकनीक को लेकर संदेह बना हुआ है, क्योंकि चीन के पास वास्तविक युद्ध अनुभव नहीं है. J-10C को पाकिस्तान में सफलता मिलने से चीन को उम्मीद है कि इसके निर्यात में बढ़ोतरी होगी, खासकर मिस्र जैसे देशों में, जो इसे खरीदने की तैयारी कर रहे हैं.
हथियार बाजार पर कब्जे की होड़
चीन वर्तमान में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक है, जबकि अमेरिका पहले स्थान पर है. चीन का हथियार बाजार पर 5.9% कब्जा है, जबकि अमेरिका का 43% है. विशेषज्ञ शी यिनहोंग का कहना है, "अगर भारत-पाकिस्तान के बीच पूर्ण युद्ध छिड़ता, तो इससे चीन की सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता को बड़ा खतरा होता. इसलिए चीन बेहद सतर्क है."
चीन ने युद्ध के बाद वीडियो से किया प्रचार
भारत-पाक युद्ध के बाद चीन की सेना ने J-10C के साथ अभ्यास का वीडियो भी जारी किया, जिससे साफ होता है कि चीन इसे अपनी सैन्य क्षमता का प्रचार का जरिया बना रहा है, लेकिन आधिकारिक बयानबाज़ी से परहेज कर रहा है.


