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दलाई लामा की धरती पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, कहा-तिब्बती बौद्ध धर्म में बदलाव की जरूरत

राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने तिब्बत की 60वीं वर्षगांठ पर ल्हासा में जनसभा कर राजनीतिक स्थिरता, जातीय एकता और धार्मिक नियंत्रण पर जोर देते हुए दलाई लामा का जिक्र तक नहीं किया.

Xi Jinping in Tibet: तिब्बत को चीन का स्वायत्त क्षेत्र घोषित किए जाने की 60वीं वर्षगांठ पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने राजधानी ल्हासा में 20,000 लोगों को संबोधित किया. ये दौरा ना केवल राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, बल्कि बीजिंग के तिब्बत पर नियंत्रण को और मजबूत करने का संकेत भी देता है. दिलचस्प बात ये रही कि शी जिनपिंग ने अपने संबोधन में दलाई लामा का नाम तक नहीं लिया, बल्कि ये कहा कि तिब्बती बौद्ध धर्म को समाजवादी समाज के अनुरूप ढलना होगा.

इस यात्रा ने एक ओर चीन की शक्ति प्रदर्शन की रणनीति को सामने रखा, तो दूसरी ओर मानवाधिकार संगठनों और निर्वासित तिब्बती नेताओं ने इसे दमनकारी नीतियों को छिपाने की कोशिश बताया. वहीं, इस मौके पर चीन ने तिब्बत को जोड़ने वाली नई रेल लाइन और दुनिया के सबसे बड़े बांध जैसे विकास परियोजनाओं का भी ऐलान किया.

तिब्बत में राजनीतिक संदेश

अपने संबोधन में शी जिनपिंग ने कहा कि तिब्बत को संचालित करने, स्थिर करने और विकसित करने के लिए सबसे पहले राजनीतिक स्थिरता, सामाजिक स्थिरता, जातीय एकता और धार्मिक सौहार्द बनाए रखना जरूरी है. उन्होंने स्थानीय प्रशासन की अलगाववाद के खिलाफ 'कड़े प्रयासों' की तारीफ भी की और साफ किया कि चीन अब तिब्बत में किसी भी प्रकार के असंतोष को बर्दाश्त नहीं करेगा.

दलाई लामा पर चीन की चिंता

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का ये दौरा ऐसे समय हुआ है जब दो महीने पहले दलाई लामा ने कहा था कि उनके उत्तराधिकारी का चयन चीन नहीं, बल्कि उनके कार्यालय द्वारा किया जाएगा. चीन लंबे समय से दावा करता रहा है कि इस प्रक्रिया का अधिकार केवल उसके पास है. तिब्बती निर्वासित संसद के सदस्य दोरजी त्सेतन ने कहा कि तिब्बतियों के लिए ये वर्षगांठ जश्न का नहीं, बल्कि उपनिवेशी कब्जे की दर्दनाक याद है.

विकास परियोजनाओं के सहारे नियंत्रण

बीजिंग ने तिब्बत में बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की घोषणा की है. इनमें तिब्बत-शिंजियांग रेल लाइन और यारलुंग त्सांगपो नदी पर बनने वाला मोटो हाइड्रोपावर स्टेशन प्रमुख हैं. ये बांध बनने के बाद तीन गॉर्जेज डैम से भी बड़ा होगा और चीन को इस नदी पर नियंत्रण हासिल हो सकता है, जो भारत और बांग्लादेश के लिए चिंता का विषय है.

मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि चीन तिब्बतियों की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को कमजोर कर रहा है. मीडिया रिपोर्ट में तिब्बती भिक्षुओं ने बताया था कि उन्हें बुनियादी अधिकारों से वंचित किया जा रहा है. शी जिनपिंग ने साफ कहा कि धार्मिक मामलों पर सख्त निगरानी रखी जाएगी और तिब्बती बौद्ध धर्म को समाजवादी समाज में ढालना होगा.

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21 August 2025, 06:57 PM IST

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