शांति, सहिष्णुता और इराक: क्या अगला पोप बनेगा मुस्लिम देश का प्रतिनिधि?
ईसाइयों का अगला धार्मिक गुरु क्या एक मुस्लिम देश से होगा? इराक़ के कार्डिनल लुईस साको की दावेदारी ने दुनिया भर में चर्चाओं को जन्म दे दिया है। वेटिकन का अगला कदम क्या होगा?

इंटरनेशनल न्यूज. 88 साल की उम्र में पोप फ्रांसिस का निधन चर्च और करोड़ों ईसाइयों के लिए गहरा झटका साबित हुआ. 12 सालों तक वेटिकन की कमान संभालने वाले फ्रांसिस लैटिन अमेरिका से आने वाले पहले पोप थे और अपने कार्यकाल में उन्होंने हमेशा शांति, मानवाधिकार और फिलिस्तीन की आज़ादी की आवाज़ बुलंद की. अब उनके जाने के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है—आख़िर अगला पोप कौन होगा?
इराक़ से उठा नया नाम—कार्डिनल लुईस साको
इसी बहस के बीच इराक़ के प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल सुदानी ने एक ऐसा नाम सामने रखा है जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है—कार्डिनल लुईस साको. बगदाद में स्थित चाल्डियन कैथोलिक चर्च के प्रमुख कार्डिनल साको को शांति और धार्मिक सहिष्णुता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है. प्रधानमंत्री सुदानी ने उन्हें "मध्य पूर्व से पोप के लिए एकमात्र उपयुक्त उम्मीदवार" करार दिया है और उनके लिए ‘अटूट समर्थन’ का वादा किया है.
कार्डिनल साको क्यों हैं खास?
कार्डिनल साको एक ऐसे पादरी हैं जिन्होंने न केवल युद्ध और आतंक से जूझते इराक़ में ईसाई समुदाय को एकजुट रखा, बल्कि मुस्लिम और यहूदी समुदायों से संवाद भी कायम किया. उन्होंने बार-बार विश्व मंच पर फिलिस्तीनियों की पीड़ा को उठाया है और हमेशा शांति की अपील की है. यही वजह है कि अगर वह पोप बनते हैं तो यह पूरी दुनिया, खासकर मध्य पूर्व और फिलिस्तीन के लिए एक नया संदेश हो सकता है—शांति का, न्याय का, और भाईचारे का.
फिलिस्तीन को मिल सकती है नई आवाज़
अगर अगला पोप एक अरब देश से, वो भी युद्धग्रस्त क्षेत्र से आता है, तो यह इतिहास में पहली बार होगा. और यदि वह कार्डिनल साको हुए, तो फिलिस्तीनियों की आवाज़ को वेटिकन से सीधा समर्थन मिल सकता है. पोप फ्रांसिस जहां इस्राइली हमलों के खिलाफ खुलकर बोले, वहीं कार्डिनल साको ने भी अंतर-धार्मिक एकता को प्राथमिकता दी है. ऐसे में उनकी दावेदारी सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि राजनीतिक और मानवाधिकार के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है.
अब सबकी निगाहें वेटिकन पर
दुनियाभर के कैथोलिक चर्चों की निगाहें अब वेटिकन की अगली घोषणा पर टिकी हैं. यूरोप, अमेरिका और अफ्रीका के दावेदारों के बीच अगर एक इराक़ी पादरी पोप बनते हैं, तो यह चर्च के इतिहास में क्रांतिकारी बदलाव होगा. क्या दुनिया एक अरब पोप के लिए तैयार है? क्या फिलिस्तीन को वेटिकन से नया संबल मिलेगा? इन सवालों के जवाब आने वाले कुछ हफ्तों में सामने आ सकते हैं.


