हिरोशिमा जैसी तबाही का खतरा! अमेरिका का खोया बम बन सकता है दुनिया के अंत की वजह
समुद्र की गहराइयों में छिपा अमेरिका का एक लापता परमाणु बम दुनिया के लिए एक अदृश्य और खतरनाक संकट बना हुआ है. 1958 से गायब यह बम कभी भी विस्फोट या रेडियोधर्मी रिसाव का कारण बन सकता है, जिससे लाखों लोगों की जान और समुद्री पारिस्थितिकी पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है.

दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा समुद्र की गहराइयों में छिपा एक लापता अमेरिकी परमाणु बम है, जिसे आज तक नहीं खोजा जा सका है. यह अदृश्य संकट कभी भी भयावह रूप ले सकता है.
1958 में अमेरिकी वायुसेना के बी-47 बमवर्षक और एफ-86 जेट के बीच हुई टक्कर के कारण इस परमाणु बम को अटलांटिक महासागर में गिराना पड़ा, ताकि इसे धरती की सतह से बाहर जाने से बचाया जा सके. पायलटों को एहसास हुआ कि करीब 3,400 किलोग्राम वजनी परमाणु बम को उतारना नामुमकिन है, इसलिए उन्होंने इसे 7200 फीट की ऊंचाई से पानी में फेंक दिया और विमान को खाली ही उतार दिया.
1958 से लापता है मौत का सामान
माना जाता है कि इस बम की विस्फोटक क्षमता करीब 7.6 किलोटन टीएनटी के बराबर है; अगर आज यह फट गया तो हिरोशिमा की त्रासदी दोहराई जा सकती है, जिससे लाखों लोगों की जान जोखिम में पड़ जाएगी. अमेरिका ने तुरंत 100 से ज्यादा नौसेना के गोताखोरों और हाई-टेक उपकरणों के साथ बम की तलाश शुरू कर दी, लेकिन दो महीने तक लगभग 24×7 खोज के बावजूद उसे खाली हाथ लौटना पड़ा. समुद्री कीचड़, तेज धाराएं और लगभग शून्य दृश्यता ने रडार और सोनार दोनों को अप्रभावी बना दिया, जिसके कारण बम आज तक खोजा नहीं जा सका है.
अमेरिका का 'बोज़ 692' बना दुनिया के लिए खतरा
पेंटागन आधिकारिक तौर पर इसे 'बोज 692' खोया हुआ बम कहता है और दावा करता है कि इसमें परमाणु कोर नहीं था, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि आधा विस्फोटित बम भी रेडियोधर्मी रिसाव के माध्यम से समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को विषाक्त कर सकता है.
अमेरिका को अब भी है अपने लापता बम की तलाश
विशेषज्ञों को डर है कि समुद्र तल पर भूकंपीय गतिविधि और गहरे समुद्र में खनन बम को अस्थिर कर सकता है, जिससे अप्रत्याशित विस्फोट या रिसाव हो सकता है, जिससे मानव जोखिम कई गुना बढ़ सकता है. भारत जैसे मित्र देश भी समुद्री सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए अमेरिका से डेटा-शेयरिंग और तकनीकी सहायता की मांग कर रहे हैं, ताकि दुर्घटना से पहले इस ‘समुद्री सुपर-बम’ को निष्क्रिय किया जा सके. जब तक लापता परमाणु बम नहीं मिल जाता, तब तक विश्व परमाणु विनाश के अनकहे खतरे से ग्रस्त रहेगा; यह याद दिलाता है कि हथियारों की दौड़ में हर गलत कदम पीढ़ियों तक भारी कीमत चुका सकता है.


