Indus Water Treaty: 'न खेती बची, न मछली...', सिंधु नदी सूखने से पाकिस्तान के मछुआरे छोड़ रहे पुश्तैनी जमीन
Indus Water Treaty: भारत द्वारा सिंधु जल संधि रद्द किए जाने के बाद पाकिस्तान के सिंधु डेल्टा क्षेत्र में जल संकट गहराता जा रहा है. सिंधु नदी का 80% पानी सूखने से सिंध प्रांत के गांव वीरान हो चुके हैं और हजारों किसान व मछुआरे पलायन को मजबूर हैं. खारे पानी और जलवायु परिवर्तन ने खेती और मत्स्य पालन को तबाह कर दिया है, जिससे अब यह इलाका मानवीय त्रासदी का केंद्र बनता जा रहा है.

Indus Water Treaty: भारत द्वारा सिंधु जल संधि को रद्द करने के बाद पाकिस्तान पर जल संकट का गंभीर असर पड़ने लगा है. सिंधु नदी का 80 फीसदी पानी अब सूख चुका है, जिससे सिंधु डेल्टा के गांव वीरान हो गए हैं और हजारों किसान-मछुआरे अपने पुश्तैनी घर छोड़ने को मजबूर हैं. खारे पानी के बढ़ते अतिक्रमण और जलवायु परिवर्तन के कारण पाकिस्तान के तटीय इलाकों में कृषि व मत्स्य उद्योग लगभग खत्म हो चुका है.
सिंध प्रांत के खारो चान जैसे इलाकों में कभी जिंदगी की चहल-पहल थी, आज वहां सन्नाटा पसरा है. खाली घरों में आवारा कुत्ते भटकते नजर आते हैं. हबीबुल्लाह खट्टी जैसे लोग अब कराची की ओर पलायन कर रहे हैं, जहां उन्हें बेहतर जीवन की उम्मीद है. रिपोर्ट्स बताती हैं कि पूरे सिंधु डेल्टा क्षेत्र से करीब 12 लाख से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं.
सिंधु डेल्टा में तबाही, गांव हो गए वीरान
सिंधु नदी जहां अरब सागर से मिलती है, वहां का डेल्टा क्षेत्र पहले मछुआरों और किसानों के लिए जीवन रेखा था. लेकिन आज स्थिति यह है कि खारे पानी की वजह से खेती करना नामुमकिन हो गया है और समुद्री जीवन भी खत्म होता जा रहा है. खारो चान कस्बे में 40 गांवों में से अधिकतर गायब हो चुके हैं. हबीबुल्लाह खट्टी ने कहा, 'खारो चान के अब्दुल्ला मीरबहार गांव से लगभग 15 किमी तक पूरा क्षेत्र खारे पानी से घिर चुका है. अब यहां मछली पकड़ना भी मुश्किल हो गया है. 150 घरों में से सिर्फ 4 बचे हैं.'
80% कम हुआ पानी का बहाव
यूएस-पाकिस्तान सेंटर फॉर एडवांस्ड स्टडीज इन वॉटर की 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार, नहरों, बांधों और जलवायु परिवर्तन के कारण सिंधु नदी के डेल्टा में पानी का बहाव 1950 के दशक से अब तक 80 प्रतिशत घट चुका है. 1990 के बाद से पानी की लवणता 70% तक बढ़ गई, जिससे न केवल फसलें बर्बाद हुई बल्कि झींगा और केकड़े की आबादी भी तेजी से कम हुई है. स्थानीय डब्ल्यूडब्ल्यूएफ विशेषज्ञ मुहम्मद अली अंजुम ने चेताया, 'डेल्टा डूब रहा है और लगातार सिकुड़ रहा है.'
विस्थापन के आंकड़े चौंकाने वाले
पाकिस्तान फिशरफोक फोरम के अनुसार, तटीय जिलों से हजारों लोग विस्थापित हुए हैं. वहीं, जिन्ना इंस्टीट्यूट की मार्च 2025 की स्टडी के अनुसार, 20 वर्षों में 12 लाख से अधिक लोग इस क्षेत्र से पलायन कर चुके हैं. 1981 में खारो चान की आबादी 26,000 थी जो अब घटकर 11,000 रह गई है. मछुआरा समुदायों ने पारंपरिक पेशे छोड़ सिलाई, मजदूरी जैसे कार्य शुरू किए लेकिन रोजी-रोटी की कमी के चलते वे अब बड़े शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं.
भारत ने सिंधु जल संधि को रद्द किया
भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को हाल ही में रद्द कर दिया है. यह फैसला पहलगाम आतंकी हमले के बाद लिया गया जिसमें भारतीय सुरक्षाबलों को निशाना बनाया गया था. भारत अब सिंधु नदी पर नए बांधों का निर्माण कर रहा है और पाकिस्तान को जाने वाले पानी का बहाव रोकने की तैयारी में है. पाकिस्तान ने भारत की इस कार्रवाई को 'युद्ध जैसा कदम' बताया है. हालांकि भारत का तर्क है कि अब संधि का पालन करना उचित नहीं है क्योंकि पाकिस्तान समझौते की शर्तों का उल्लंघन करता आ रहा है.
सिंधु डेल्टा की बहाली की कोशिशें
संघीय सरकार और संयुक्त राष्ट्र ने 2021 में ‘लिविंग इंडस इनिशिएटिव’ की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य डेल्टा की मिट्टी में बढ़ती लवणता को रोककर इकोसिस्टम की रक्षा करना है. सिंध सरकार भी मैंग्रोव वनस्पति पुनर्स्थापन योजना चला रही है, जिससे खारे पानी के अतिक्रमण को रोका जा सके. हालांकि इन प्रयासों के परिणाम बहुत धीमे हैं और तबाही की रफ्तार उससे कहीं ज्यादा तेज है. 2019 की एक स्टडी के अनुसार, समुद्री जल के अतिक्रमण ने 16% उपजाऊ भूमि को बंजर बना दिया है.
जीवनशैली और संस्कृति की भी हो रही है क्षति
पाकिस्तान फिशरफोक फोरम की जलवायु कार्यकर्ता फातिमा मजीद कहती हैं, 'हमने सिर्फ अपनी जमीन नहीं, बल्कि अपनी संस्कृति और पारंपरिक जीवनशैली भी खो दी है.' सिंधु डेल्टा के ये समुदाय अब न तो अपने पेशे को जारी रख पा रहे हैं और न ही अपने पुरखों की पुरखों की विरासत को.


