लगातार कांप रही धरती... अफगानिस्तान में 48 घंटे से भी कम समय में फिर आया भूकंप, 5.2 रही तीव्रता
अफगानिस्तान में मंगलवार को फिर 5.2 तीव्रता का झटका भी महसूस किया गया. अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के मुताबिक, इसका केंद्र नंगरहार प्रांत के जलालाबाद से 34 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में था.

Afghanistan Earthquake: अफगानिस्तान में आपदा का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है. रविवार आधी रात को आए 6.0 तीव्रता के भूकंप ने देश को झकझोर दिया, जिसमें 1,400 से ज्यादा लोगों की जान चली गई और हजारों घायल हुए. अभी लोग संभल भी नहीं पाए थे कि मंगलवार को एक और झटका महसूस किया गया. अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के मुताबिक, यह भूकंप 5.2 तीव्रता का था और इसका केंद्र नंगरहार प्रांत के जलालाबाद से 34 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में था.
भूकंप से सबसे ज्यादा तबाही कुनार प्रांत में हुई है, जहां हजारों घर मलबे में तब्दील हो गए. राहत और बचाव अभियान जारी है, लेकिन दूरदराज के पहाड़ी इलाकों तक पहुंचना बेहद मुश्किल हो रहा है. संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ समेत कई देश मदद के लिए आगे आए हैं, मगर विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा संसाधन जरूरतों से बहुत कम हैं.
कुनार में सबसे ज्यादा तबाही
तालिबान सरकार के मुख्य प्रवक्ता ज़बीहुल्ला मुजाहिद ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर बताया कि केवल कुनार प्रांत में 1,411 लोगों की मौत हुई और 3,124 लोग घायल हुए. सरकारी प्रवक्ता हमदुल्ला फ़ित्रत ने कहा कि कुनार में 5,400 से ज्यादा घर पूरी तरह ढह गए हैं. राहत शिविरों और आपातकालीन सुविधाओं की व्यवस्था की जा रही है.
नंगरहार में भी जनहानि
नंगरहार प्रांत में भी दर्जनभर लोगों की मौत और कई लोगों के घायल होने की खबर है. जलालाबाद शहर के अस्पतालों में घायलों की भीड़ उमड़ रही है. अस्पताल के आपातकालीन वार्ड प्रमुख रहमतुल्लाह खाकसर के अनुसार, हमारे पास रविवार रात से अब तक 600 घायल पहुंचे हैं. अधिकांश मरीज सिर, पीठ और पैरों पर गंभीर चोटों से जूझ रहे हैं.
अंतरराष्ट्रीय मदद की घोषणा
यूरोपीय संघ ने घोषणा की है कि वह 130 टन आपातकालीन सामग्री भेजेगा और एक मिलियन यूरो की मदद प्रदान करेगा. अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस और रेड क्रीसेंट सोसाइटीज ने कहा कि जरूरतें मौजूदा संसाधनों से कहीं ज्यादा हैं. फंडिंग कटौती के कारण दूरस्थ इलाकों तक पहुंचना और भी कठिन हो गया है.
दूरदराज के गांवों में लोग अपने हाथों से मलबा हटाकर जिंदा लोगों की तलाश कर रहे हैं. 26 वर्षीय ओबैदुल्लाह स्टोमन, जो अपने दोस्त की तलाश में वादीर गांव पहुंचे, उन्होंने कहा कि मैं यहां अपने दोस्त को ढूंढने आया हूं, लेकिन उसे नहीं देख पाया. यहां की हालत देखकर दिल टूट गया, चारों तरफ सिर्फ मलबा ही बचा है.
बच्चों और परिवारों पर गहरा असर
गांवों में शवों को सफेद कफन में लपेटकर दफनाया जा रहा है. भूकंप में कई परिवार पूरी तरह उजड़ गए. जिन लोगों को हाल ही में पाकिस्तान और ईरान से जबरन वापिस भेजा गया था, उनमें से भी कई प्रभावित इलाकों में रह रहे थे, जिससे उनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं.


