लेकोर्नु के इस्तीफे के बाद फ्रांस में गहराया राजनीतिक संकट...नए PM का जल्द ऐलान कर सकते हैं मैक्रों
France Political Crisis : फ्रांस में राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों राजनीतिक संकट के बीच नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति करने जा रहे हैं. संसद में बहुमत न होने और आर्थिक चुनौतियों के चलते सरकार पर दबाव बढ़ गया है. निवर्तमान प्रधानमंत्री लेकोर्नु के इस्तीफे ने स्थिति और बिगाड़ दी. मैक्रों अब एक सर्वस्वीकार्य नेता के चयन से राजनीतिक संतुलन साधने की कोशिश में हैं, जिससे उनका दूसरा कार्यकाल बच सके.

France Political Crisis : फ्रांस में राजनीतिक अस्थिरता एक बार फिर गहराती दिख रही है. जापान के बाद अब फ्रांस में भी सरकार को नया नेतृत्व मिलने की संभावना है. राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों देश को आर्थिक संकट और राजनीतिक गतिरोध से उबारने के लिए एक नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति करने जा रहे हैं. यह फैसला ऐसे समय पर लिया जा रहा है, जब मैक्रों अपने दूसरे कार्यकाल के मध्य बिंदु पर खड़े हैं और 2027 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले खुद को एक मज़बूत नेता के रूप में दोबारा स्थापित करना चाहते हैं.
संसद में बहुमत की कमी ने बढ़ाई मुश्किलें
आर्थिक संकट से त्रस्त है फ्रांस
राजनीतिक संकट के साथ-साथ फ्रांस इस समय गंभीर आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है. देश पर सार्वजनिक ऋण का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है, जो अब GDP के 114% तक पहुंच चुका है — यानी लगभग 33.46 खरब यूरो. इतना ही नहीं, राष्ट्रीय सांख्यिकी संस्थान की हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि देश की गरीबी दर भी 15.4 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जो 1996 के बाद सबसे अधिक है. यह सब दर्शाता है कि फ्रांस को सिर्फ़ राजनीतिक समाधान नहीं, बल्कि आर्थिक मोर्चे पर भी कठोर फैसलों की जरूरत है.
PM पद के लिए कौन हो सकता है मैक्रों की पसंद?
नए प्रधानमंत्री के चयन को लेकर कई संभावनाएं सामने आ रही हैं. मैक्रों एक ऐसी शख्सियत को चुन सकते हैं जो वामपंथी सोच रखने वाली हो और जिसने हाल के चुनावों में गठबंधन को मज़बूती दी हो. वहीं, यह भी मुमकिन है कि वे किसी तटस्थ और सर्वस्वीकार्य नेता को सामने लाएं, जिससे राजनीतिक गतिरोध कुछ हद तक शांत किया जा सके. जो भी हो, नए प्रधानमंत्री को संसदीय अविश्वास प्रस्ताव से बचने के लिए तत्काल राजनीतिक समझौतों का सहारा लेना पड़ सकता है. खासकर पेंशन सुधार जैसे विवादित मुद्दों पर उन्हें नरमी दिखानी पड़ सकती है, जो फ्रांस में लंबे समय से विरोध का कारण बना हुआ है.
लेकोर्नु की विदाई और विपक्ष की संभावनाएं
प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले सेबेस्टियन लेकोर्नु ने यह दावा किया है कि मैक्रों के मध्यमार्गी गुट, उसके सहयोगी और कुछ विपक्षी दल मिलकर बहुमत की सरकार बना सकते हैं. हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि यह रास्ता सरल नहीं होगा. फ्रांस में यह राजनीतिक संकट तब शुरू हुआ था जब मैक्रों ने जून 2024 में नेशनल असेंबली को अचानक भंग कर दिया था. इसके बाद हुए चुनावों में कोई भी दल बहुमत नहीं जुटा सका, और देश एक अस्थिर राजनीतिक दौर में फंस गया.
मैक्रों के लिए आखिरी मौका या नई शुरुआत?
यह स्थिति राष्ट्रपति मैक्रों के लिए बेहद निर्णायक मोड़ है. एक ओर जहां उन्हें राजनीतिक अस्तित्व बचाना है, वहीं दूसरी ओर आर्थिक सुधारों और सामाजिक असंतोष को भी संतुलित करना है. नया प्रधानमंत्री न केवल देश को स्थिरता की ओर ले जा सकता है, बल्कि मैक्रों के लिए भी यह मौका हो सकता है कि वे अपने नेतृत्व की विश्वसनीयता दोबारा स्थापित करें. पर यदि यह प्रयास विफल रहा, तो 2027 का राष्ट्रपति चुनाव उनके लिए और भी कठिन हो सकता है.


