बांग्लादेश में तसलीमा की किताबों का विरोध क्यों? सब्यसाची प्रोकाशोनी के स्टॉल पर हुआ हमला
बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन के निर्वासन को 30 साल पूरे हो चुके हैं. उनकी चर्चित किताब 'लज्जा' को लेकर आज भी बांग्लादेश में विवाद बना हुआ है. सोमवार को अमर एकुशी पुस्तक मेले में तसलीमा की किताबों के प्रदर्शन वाले स्टॉल पर एक हुड़दंगियों का समूह हमला कर बैठा. यह घटना सब्यसाची प्रोकाशोनी के स्टॉल पर हुई, जहां तसलीमा की किताबें बिक रही थीं.

बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन के निर्वासन को 30 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन उनके लेखन की गूंज अब भी बांग्लादेश के समाज में सुनाई देती है. उनकी चर्चित किताब 'लज्जा' को लेकर आज भी बांग्लादेश में विवाद बना हुआ है. हाल ही में ढाका के अमर एकुशी पुस्तक मेले में तसलीमा की किताबों के प्रदर्शन पर विरोध हुआ.
हुड़दंगियों ने बुक स्टॉल पर किया हमला
सोमवार को अमर एकुशी पुस्तक मेले में तसलीमा की किताबों के प्रदर्शन वाले स्टॉल पर एक हुड़दंगियों का समूह हमला कर बैठा. यह घटना सब्यसाची प्रोकाशोनी के स्टॉल पर हुई, जहां तसलीमा की किताबें बिक रही थीं. मेले के 10वें दिन "तौहीदी जनता" नामक समूह ने इस स्टॉल पर धावा बोला और पब्लिशर को घेरकर नारेबाजी की. स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो गई कि पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा और पब्लिशर शताब्दी वोदो को सुरक्षा के लिए कंट्रोल रूम में ले जाया गया.
पुलिस से प्रदर्शनकारियों की टकराव की स्थिति
प्रदर्शनकारियों के हौसले इतने बुलंद थे कि उन्होंने पुलिस कंट्रोल रूम को भी घेर लिया, जिससे तनावपूर्ण माहौल बन गया. इस घटना के बाद, बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार ने इस पर तुरंत जांच के आदेश दिए और इसे "अमर्यादित आचरण" करार दिया.
सरकार और बांग्ला अकादमी की कार्रवाई
मुख्य सलाहकार यूनुस ने अधिकारियों को आदेश दिया कि जिम्मेदार लोगों को सजा दिलाई जाए. इसके बाद बांग्ला अकादमी ने इस घटना की जांच करने के लिए सात सदस्यीय एक समिति का गठन किया है. समिति को तीन दिनों में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है. बांग्ला अकादमी ने इस घटना को "अवांछनीय" बताते हुए निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है.
तसलीमा नसरीन की किताबों की बिक्री पर असर
इस घटना के बाद से सब्यसाची स्टॉल बंद कर दिया गया है, जिससे तसलीमा की किताबों की बिक्री पर असर पड़ा है. हालांकि, बांग्ला अकादमी का कहना है कि उन्होंने किसी स्टॉल को बंद नहीं किया है. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में कुछ लोग स्टॉल के सामने प्रदर्शन करते हुए, एक व्यक्ति को माफी मांगने के लिए मजबूर करते दिखाई दे रहे हैं.
तसलीमा नसरीन के लेखन पर विवाद और निर्वासन
1990 के दशक की शुरुआत में तसलीमा नसरीन के लेखन ने बांग्लादेश में काफी आलोचना और समालोचना का सामना किया. उनके लेखन ने कट्टरवाद और पाखंड को उजागर किया, जिसके चलते बांग्लादेश के रूढ़िवादी मौलवियों ने उनके खिलाफ 'फतवा' जारी किया. इसके बाद उन्हें धमकियां मिलीं और उन्हें बांग्लादेश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा. 1994 में बांग्लादेश से निर्वासन के बाद तसलीमा नसरीन 2004 से भारत में रह रही हैं, हालांकि 2008 से 2010 तक वह भारत में नहीं रही थीं.
भारत में तसलीमा का वीजा और रहने का स्थिति
तसलीमा नसरीन का भारत में रहने का परमिट जुलाई 2024 में समाप्त हो गया था, लेकिन अक्टूबर 2024 में भारत ने उनका परमिट एक और साल के लिए बढ़ा दिया. इसके बावजूद, बांग्लादेश में उनके लेखन और विचारों पर विवाद अब भी जारी है.
इस तरह, तसलीमा नसरीन के बांग्लादेश से निर्वासन के 30 साल बाद भी उनके लेखन पर बांग्लादेश में विरोध और विवाद का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है.


