ट्रंप का टैरिफ वार: गर्त में जा रही दुनिया की इकोनॉमी, अब Coca Cola ने भी कर दिया बड़ा ऐलान
डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका ने स्टील और एल्यूमिनियम पर 25% टैरिफ लगाया, जिसका असर दुनिया की सबसे बड़ी सॉफ्ट ड्रिंक कंपनी, कोका कोला पर पड़ा है. कंपनी ने यह संकेत दिया है कि इस टैरिफ के बाद उसे अपने उत्पादों के पैकिंग में बदलाव करना पड़ सकता है.

डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका ने स्टील और एल्यूमिनियम पर 25% टैरिफ लगाया, जिसका असर दुनिया की सबसे बड़ी सॉफ्ट ड्रिंक कंपनी, कोका कोला पर पड़ा है. कंपनी ने यह संकेत दिया है कि इस टैरिफ के बाद उसे अपने उत्पादों के पैकिंग में बदलाव करना पड़ सकता है. खासतौर पर, एल्यूमिनियम कैन की लागत बढ़ने के कारण कोका कोला प्लास्टिक बोतलों के इस्तेमाल में वृद्धि कर सकती है.
कोका कोला के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जेम्स क्विन्सी ने निवेशकों से बातचीत में कहा, "अगर अमेरिका में एल्यूमिनियम महंगे हो गए तो हमें प्लास्टिक बोतलों का इस्तेमाल बढ़ाना पड़ सकता है." इससे कंपनी की पर्यावरण पर प्रभाव डालने वाली नीतियों पर सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि कोका कोला पहले ही दुनिया का सबसे बड़ा प्लास्टिक प्रदूषक बन चुका है. पिछले छह वर्षों से कंपनी लगातार सबसे अधिक प्लास्टिक कचरा पैदा करने वाली कंपनी रही है.
पर्यावरणीय चिंताओं के बीच एल्यूमिनियम कैन का इस्तेमाल
प्लास्टिक की बोतलों से होने वाले प्रदूषण पर बढ़ती आलोचनाओं के बाद, कोका कोला ने एल्यूमिनियम कैन के उपयोग को बढ़ाने की कोशिश की थी. एल्यूमिनियम कैन की लागत उच्च होने के बावजूद, इन्हें रिसाइकल किया जा सकता है और ये पर्यावरण पर कम दबाव डालते हैं. हालांकि, ट्रंप के टैरिफ के बाद यह रणनीति भी अब चैलेंज का सामना कर रही है.
ट्रंप का प्लास्टिक स्ट्रॉ को बढ़ावा
इसके अलावा, डोनाल्ड ट्रंप ने एक नया आदेश जारी किया है जिसके तहत अमेरिकी सरकार और जनता को प्लास्टिक स्ट्रॉ का अधिक उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. बाइडेन प्रशासन ने पहले प्लास्टिक स्ट्रॉ और सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन ट्रंप प्रशासन के आने के बाद, प्लास्टिक स्ट्रॉ के इस्तेमाल की अनुमति दी गई है. ट्रंप ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "हम प्लास्टिक स्ट्रॉ को वापस ला रहे हैं क्योंकि कागज के स्ट्रॉ ठीक से काम नहीं करते."
सिंगल यूज प्लास्टिक पर बाइडेन प्रशासन की नीति
बाइडेन प्रशासन ने एक वैश्विक संधि को भी समर्थन दिया था जिसका उद्देश्य सिंगल यूज प्लास्टिक के उत्पादन पर नियंत्रण लगाना था. बाइडेन के प्रशासन के तहत, पेपर स्ट्रॉ के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया गया था, लेकिन ट्रंप के शासन में अब यह नीति पलटती नजर आ रही है. ट्रंप ने 2032 तक सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पादों के बैन को भी रद्द कर दिया है, जो कि बाइडेन प्रशासन ने लागू करने का प्रयास किया था.
प्लास्टिक कचरे का बढ़ता संकट
धरती पर बढ़ते प्लास्टिक कचरे की स्थिति चिंताजनक हो गई है. पिछले साल आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर नियंत्रण नहीं लगाया गया, तो 2040 तक प्लास्टिक कचरे की मात्रा 11.9 करोड़ टन तक पहुंच सकती है, जो कि 2020 में 8.1 करोड़ टन थी.
दुनिया भर में प्लास्टिक का उत्पादन 2000 के बाद से तेजी से बढ़ा है. हर साल लगभग 46 करोड़ टन प्लास्टिक का उत्पादन हो रहा है, और अनुमान है कि यह 2050 तक चार गुना बढ़ जाएगा. इसके परिणामस्वरूप समुद्रों में हर मिनट एक ट्रक प्लास्टिक का कचरा फेंका जा रहा है, जो समुद्री जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है. माइक्रोप्लास्टिक के रूप में यह कचरा समुद्र में मछलियों और अन्य जीवों के शरीर में समा जाता है, जिससे यह अंततः मानव शरीर तक पहुंच जाता है.
मनुष्यों पर प्रभाव
नेचर जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, इंसान के शरीर में भी माइक्रोप्लास्टिक का असर पड़ सकता है. इंसानी दिमाग में एक चम्मच नैनोप्लास्टिक हो सकता है, जो चिंता का विषय है. इसके अलावा, वर्तमान में केवल 10% से भी कम प्लास्टिक कचरे का रिसाइकल किया जाता है. बाकी कचरा पर्यावरण को प्रदूषित करता है. सिंगल यूज प्लास्टिक प्रोडक्ट्स, जैसे कि स्ट्रॉ, कुल प्लास्टिक उत्पादन का लगभग 40% बनाते हैं, जो बढ़ते प्रदूषण की मुख्य वजह हैं.


