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इस्तांबुल बैठक बेनतीजा...अफगान-पाक रिश्तों में बढ़ा तनाव, टीटीपी मुद्दे पर अफगानिस्तान की कड़ी चेतावनी

अफगानिस्तान ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसियों के कुछ तत्व शांति वार्ता को जानबूझकर बाधित कर रहे हैं। तालिबान ने स्पष्ट किया कि वह अपने क्षेत्र का उपयोग किसी देश के खिलाफ नहीं होने देगा। टीटीपी वार्ता में भी अड़चनें आईं और सीमा पर तनाव तथा हमलों की आशंका बनी हुई है.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

नई दिल्लीः अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमा तनाव कम करने के उद्देश्य से की गई शांति वार्ता टूटने के एक दिन बाद तालिबान प्रशासन ने पाकिस्तान पर गंभीर आरोप लगाए. शनिवार को अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसियों के कुछ धड़े जानबूझकर वार्ता में बाधा डाल रहे हैं. उनके अनुसार ये तत्व पाकिस्तान में बढ़ती असुरक्षा, आंतरिक संकट और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) से जुड़े हमलों का दोष अफगान सरकार पर डालने की कोशिश कर रहे हैं.

मुजाहिद ने स्पष्ट किया कि अफगानिस्तान अपने इलाके का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ नहीं होने देगा और न ही वह कोई ऐसा कदम उठाएगा जिससे उसकी संप्रभुता या सुरक्षा को नुकसान पहुंचे.

पाकिस्तान का गैर-जिम्मेदार रवैया

वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित प्रेस वार्ता में मुजाहिद ने कहा कि इस्लामिक अमीरात ने ईमानदारी के साथ बातचीत में हिस्सा लिया था, लेकिन पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का रवैया बातचीत को आगे बढ़ाने के अनुकूल नहीं था. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसियों के कुछ तत्व शांति प्रक्रिया की सफलता से नाखुश हैं और इसे पटरी से उतारने की कोशिश कर रहे हैं.

तालिबान के अनुसार 6 और 7 नवंबर को हुई बैठक में अफगान प्रतिनिधि सद्भावना के साथ शामिल हुए थे और उम्मीद थी कि पाकिस्तान भी गंभीरता दिखाएगा. लेकिन पाकिस्तान ने सभी सुरक्षा चुनौतियों का ठीकरा अफगानिस्तान के सिर फोड़ने की कोशिश की, जिसे तालिबान ने अस्वीकार्य बताया.

तालिबान की कड़ी चेतावनी

तालिबान ने बयान जारी कर कहा कि अफगानिस्तान किसी भी विदेशी शक्ति को अपनी संप्रभुता का उल्लंघन नहीं करने देगा. यह भी कहा गया कि अफगान जनता और सीमाओं की रक्षा करना इस्लामिक अमीरात का धार्मिक और राष्ट्रीय दायित्व है. तालिबान ने पाकिस्तान के नागरिकों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों की बात दोहराई, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि सहयोग केवल अफगानिस्तान की जिम्मेदारियों और क्षमताओं की सीमा में ही होगा.

अफगान मंत्री नूरुल्लाह नूरी ने पाकिस्तानी अधिकारियों को चेतावनी दी कि वे अफगानों के धैर्य को चुनौती न दें. उन्होंने कहा कि अगर हालात बिगड़े तो युवा और बुजुर्ग दोनों ही देश की रक्षा के लिए खड़े होंगे.

टीटीपी वार्ता और बाधाएं

जबीहुल्लाह मुजाहिद ने बताया कि टीटीपी और पाकिस्तान के बीच संघर्ष 2002 से चल रहा है और यह समस्या तालिबान शासन के आने के बाद नहीं उत्पन्न हुई. उनके अनुसार इस्लामिक अमीरात ने दोनों पक्षों को सीधी बातचीत का मंच दिया था, जिससे कुछ प्रगति भी हुई, लेकिन पाकिस्तानी सेना के कुछ गुटों ने जानबूझकर इस संवाद को बाधित कर दिया.

सीमा पर तनाव

मुजाहिद ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान की सेना के भीतर कुछ गुट अफगानिस्तान में स्थिर सरकार को स्वीकार नहीं कर पा रहे. इस्तांबुल में हुई आखिरी बैठक ने पाकिस्तान के दोहरे रवैये और अविश्वास को स्पष्ट कर दिया.

हालांकि अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सीमा पर युद्धविराम लागू है, तालिबान आशंकित है कि पाकिस्तान फिर से बिना उकसावे के हमला कर सकता है, जिसमें ड्रोन हमले भी शामिल हो सकते हैं.

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09 November 2025, 07:49 AM IST

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