उत्तराधिकारी बनेगी 'बेटी'! क्या किम जोंग उन की बेटी संभालेगी उत्तर कोरिया की कमान?
किम जोंग उन ने अपनी बेटी किम जू ऐ को उत्तर कोरिया का अगला नेता बनाने की योजना बनाई है, जो उत्तर कोरिया में महिला नेतृत्व की दिशा में ऐतिहासिक कदम हो सकता है.

Beti badhao in North Korea: उत्तर कोरिया में महिलाओं के लिए एक ऐतिहासिक बदलाव की ओर इशारा करते हुए, किम जोंग उन ने अपनी बेटी किम जू ऐ को उत्तर कोरिया का अगला नेता बनाने की योजना बनाई है. ये कदम उस समाज में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जहां अब तक सत्ता पुरुषों के हाथों में रही है. किम जू ऐ की प्रमुखता बढ़ने के साथ, यह स्पष्ट हो गया है कि किम जोंग उन अपनी बेटी को उत्तर कोरिया के राजनीतिक भविष्य का हिस्सा बनाने के लिए तैयार हैं और यह बदलाव सामाजिक रूढ़ियों को चुनौती दे सकता है. इस समय किम जू ऐ की स्थिति को लेकर दक्षिण कोरिया की खुफिया एजेंसी ने भी पुष्टि की है कि किम जोंग उन ने अपनी बेटी को उत्तर कोरिया का अगला नेता मान लिया है.
किम जू ऐ: उत्तर कोरिया के भविष्य की नेता?
किम जू ऐ की प्रमुखता में वृद्धि हाल ही में उनकी यात्रा के दौरान दिखी, जब वो अपने पिता किम जोंग उन के साथ चीन और रूस की यात्रा पर थीं. किम जू ऐ की स्थिति को लेकर दक्षिण कोरिया की राष्ट्रीय खुफिया सेवा (NIS) ने जानकारी दी कि किम जू ऐ को उत्तर कोरिया के भविष्य के नेता के रूप में देखा जा रहा है.
NIS ने ये निष्कर्ष निकाला कि किम जू ऐ की भूमिका को पहले से ही राज्य मीडिया में उजागर किया जा चुका है, जिससे यह संकेत मिलता है कि उन्हें उत्तर कोरिया के राजनैतिक उत्तराधिकारी के रूप में स्वीकार किया जा रहा है. दक्षिण कोरिया के सांसद ली सॉन्ग-क्वून ने कहा कि एजेंसी ये मानती है कि किम जू ऐ को पर्याप्त 'क्रांतिकारी कथा' मिल गई है, जो उन्हें उत्तराधिकारी के रूप में स्थापित करने में मदद करेगी.
महिला नेतृत्व की चुनौती: किम जू ऐ का आगमन
किम जू ऐ का उत्तर कोरिया की राजनीति में शामिल होना, एक ऐसे समाज में महिला नेतृत्व को लेकर नई बहस का जन्म दे सकता है, जहां परंपरागत रूप से पुरुषों को सर्वोच्च स्थान प्राप्त रहा है. उत्तर कोरिया का समाज कन्फ्यूशियस सिद्धांतों पर आधारित है, जिसमें परिवार में सबसे बड़े पुरुष सदस्य को फैसला लेने का अधिकार प्राप्त होता है.
किम जू ऐ की स्थिति को लेकर आलोचनाएं भी सामने आई हैं. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि उनकी उम्र और राजनीतिक अनुभव के कारण उनका नेतृत्व बहुत जल्दबाजी में हो सकता है. हालांकि, किम जोंग उन का यह कदम उनके परिवार के अंदर की राजनीतिक प्रतिस्पर्धाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया लगता है, ताकि सैन्य और पार्टी के उच्च अधिकारियों में वफादारी सुनिश्चित की जा सके.


