अमेरिका में बड़ा वित्तीय घोटाला! भारतीय मूल के शख्स पर लगा 4000 करोड़ के फर्जीवाड़े का आरोप
भारतीय मूल के टेलीकॉम उद्यमी बैंकिम ब्रह्मभट्ट पर अमेरिका में 500 मिलियन डॉलर की धोखाधड़ी का आरोप है. उन्होंने फर्जी ग्राहक खातों और झूठे राजस्व दिखाकर बैंकों व निवेश फर्मों से कर्ज लिया. अब उनकी कंपनियों ने दिवालियापन की अर्जी दी है और जांच एजेंसियां मामले की पड़ताल कर रही हैं.

नई दिल्लीः अमेरिका में भारतीय मूल के टेलीकॉम उद्यमी बैंकिम ब्रह्मभट्ट पर करीब 500 मिलियन डॉलर (लगभग 4,000 करोड़ रुपये) के वित्तीय घोटाले का गंभीर आरोप लगा है. वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ) की एक रिपोर्ट ने इस घोटाले का खुलासा करते हुए बताया कि ब्रह्मभट्ट ने फर्जी ग्राहकों और झूठे राजस्व आंकड़ों के जरिए अमेरिकी बैंकों और निवेश फंडों से भारी कर्ज लिया.
फर्जी खातों से बढ़ाया कारोबार का भ्रम
ब्रह्मभट्ट ब्रॉडबैंड टेलीकॉम और ब्रिजवॉइस इंक. नामक कंपनियों के मालिक हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने निवेशकों और वित्तीय संस्थानों को यह भरोसा दिलाया कि उनकी कंपनियां तेजी से बढ़ रही हैं और उनके पास मजबूत ग्राहक नेटवर्क है. वास्तविकता यह थी कि इन कंपनियों के कई ग्राहक अस्तित्व में ही नहीं थे. ब्रह्मभट्ट की टीम ने कई फर्जी बिल, लेनदेन रिकॉर्ड और नकली राजस्व दस्तावेज तैयार किए, जिससे ऐसा प्रतीत हो कि कंपनी का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है.
वैश्विक निवेश फर्में भी बनीं शिकार
इस कथित धोखाधड़ी का असर सिर्फ छोटे निवेशकों तक सीमित नहीं रहा. WSJ की रिपोर्ट के अनुसार, HPS Investment Partners और वैश्विक एसेट मैनेजमेंट दिग्गज BlackRock जैसे बड़े निवेश फंड भी इसमें फंसे. अगस्त 2024 में लेनदारों ने अमेरिका की अदालत में मुकदमा दायर किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि ब्रह्मभट्ट ने गैर-मौजूद राजस्व स्रोतों को कर्ज की गारंटी के रूप में गिरवी रखा था. यह आरोप साबित होने पर इसे अमेरिका के इतिहास के बड़े कॉर्पोरेट फ्रॉड मामलों में गिना जा सकता है.
2020 से शुरू हुआ था कर्ज का सिलसिला
HPS ने सितंबर 2020 में ब्रह्मभट्ट की एक कंपनी को पहली बार लोन दिया था. यह राशि अगले कुछ महीनों में तेजी से बढ़ती गई. 2021 की शुरुआत तक कर्ज की रकम 385 मिलियन डॉलर और अगस्त 2024 तक 430 मिलियन डॉलर तक पहुंच गई. इन कर्जों का लगभग आधा हिस्सा BNP Paribas बैंक द्वारा वित्तपोषित किया गया था. हालांकि, 2024 के मध्य में जब निवेशकों को कंपनी की वित्तीय स्थिति पर संदेह हुआ, तब जांच शुरू की गई और पूरे घोटाले का पर्दाफाश हो गया.
दिवालियापन की अर्जी
वित्तीय दबाव बढ़ने के बाद, ब्रिजवॉइस और ब्रॉडबैंड टेलीकॉम ने अमेरिकी कानून की धारा Chapter 11 के तहत दिवालियापन संरक्षण (Bankruptcy Protection) के लिए अदालत में आवेदन किया. इस कानून के तहत कंपनियों को पुनर्गठन का मौका मिलता है ताकि वे अपने लेनदारों को आंशिक भुगतान कर फिर से कारोबार शुरू कर सकें.उसी दिन बैंकिम ब्रह्मभट्ट ने व्यक्तिगत दिवालियापन की अर्जी भी दाखिल की. WSJ के पत्रकार जब उनके न्यूयॉर्क के गार्डन सिटी स्थित कार्यालय पहुंचे, तो वहां ताला लटका मिला.
स्थानीय लोगों के अनुसार, कई हफ्तों से कार्यालय बंद है और कोई कर्मचारी दिखाई नहीं दिया. जांच एजेंसियों को संदेह है कि ब्रह्मभट्ट अमेरिका छोड़कर भारत लौट आए हैं, हालांकि उनके वकील ने सभी आरोपों को झूठा और आधारहीन बताया है.
बढ़ती जांच
अमेरिकी जांच एजेंसियां अब इस मामले की गहराई से जांच कर रही हैं. यदि आरोप साबित होते हैं, तो बैंकिम ब्रह्मभट्ट को लंबे कारावास और भारी आर्थिक दंड का सामना करना पड़ सकता है. यह मामला अमेरिका में विदेशी उद्यमियों के बीच पारदर्शिता और वित्तीय जवाबदेही पर एक बार फिर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है.


