No King Protest: डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ अमेरिका के इतिहास का सबसे बड़ा प्रदर्शन, जानें क्या है 'नो किंग्स प्रोटेस्ट'
अमेरिका में ‘नो किंग्स प्रोटेस्ट’ में लाखों लोग सड़कों पर उतरे, ट्रंप प्रशासन की नीतियों और तानाशाही के खिलाफ विरोध जताया. बड़े शहरों और कस्बों में प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहे. डेमोक्रेटिक नेताओं ने समर्थन किया. यह आंदोलन लोकतंत्र की रक्षा और जनता की आवाज बनाए रखने का प्रतीक बन गया.

अमेरिका के कई शहरों और कस्बों में लाखों लोग सड़कों पर उतरे. यह आंदोलन ‘नो किंग्स प्रोटेस्ट’ के नाम से आयोजित किया गया, जिसे देशभर में ट्रंप प्रशासन की नीतियों के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा प्रदर्शन माना जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका के सभी 50 राज्यों में 2,500 से अधिक कार्यक्रम आयोजित किए गए. इनमें वॉशिंगटन डीसी, न्यूयॉर्क, लॉस एंजेलिस, अटलांटा और शिकागो जैसे बड़े शहर शामिल थे, साथ ही छोटे कस्बों में भी भारी भीड़ देखी गई.
लोकतंत्र की रक्षा के लिए विरोध
प्रदर्शनकारियों ने तानाशाही के खिलाफ और लोकतंत्र के समर्थन में सड़कों पर उतरकर ट्रंप प्रशासन की नीतियों के विरोध में आवाज उठाई. उनका आरोप था कि प्रशासन लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर रहा है, कठोर आव्रजन नीतियां अपना रहा है, ICE छापे कर रहा है और संघीय सैनिकों को तैनात कर रहा है. इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य नागरिकों की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा करना था.
अटलांटा और लॉस एंजेलिस में प्रदर्शन
अटलांटा में प्रदर्शनकारियों ने सिविक सेंटर से मार्च शुरू कर जॉर्जिया स्टेट कैपिटल तक ‘नो किंग्स’ के नारे लगाए. वहीं लॉस एंजेलिस में सबसे बड़ी भीड़ उमड़ी, जहां अमेरिकी और मैक्सिकन झंडे लेकर प्रवासी समुदायों ने समर्थन जताया. यह वही शहर है, जहां जून में नेशनल गार्ड की तैनाती को लेकर पहले भी विरोध प्रदर्शन हुए थे.
सरकारी गतिरोध
प्रदर्शन ऐसे समय में हुए जब वॉशिंगटन में सरकारी शटडाउन और बजट को लेकर राजनीतिक गतिरोध जारी था. डेमोक्रेटिक नेताओं ने प्रदर्शनों का खुले तौर पर समर्थन किया, जबकि रिपब्लिकन नेताओं ने इसे राष्ट्रविरोधी करार दिया. कैलिफ़ोर्निया के गवर्नर गैविन न्यूसम ने लोगों से शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अपील की. उन्होंने कहा, “हमारी ताकत एकता और शांति में है.”
नेताओं की प्रतिक्रिया
सीनेट माइनॉरिटी लीडर चक शूमर ने न्यूयॉर्क में आयोजित रैली में कहा, “आज लाखों अमेरिकी ‘नो किंग्स डे’ पर एकजुट हैं. हम गर्व से कह सकते हैं कि अमेरिका में कोई तानाशाह नहीं होगा. लोकतंत्र की रक्षा हमारी प्राथमिकता है.” बर्नी सैंडर्स ने भी प्रदर्शनकारियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि लाखों अमेरिकियों ने यह संदेश दिया कि अमेरिका में राजा नहीं चलेगा, बल्कि जनता शासन करेगी.
शांतिपूर्ण प्रदर्शन
न्यूयॉर्क सिटी पुलिस ने बताया कि पूरे दिन प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहे. पांचों बरो में लगभग 1 लाख लोग सड़कों पर उतरे, लेकिन किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया. पुलिस के अनुसार, “यह आंदोलन लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति का उत्कृष्ट उदाहरण रहा. ट्रैफिक सामान्य हो गया है और सभी प्रदर्शन समाप्त हो चुके हैं.”
लोकतंत्र बनाम तानाशाही की नई बहस
‘नो किंग्स प्रोटेस्ट’ अब सिर्फ ट्रंप के खिलाफ विरोध प्रदर्शन नहीं रह गया है, बल्कि यह अमेरिका में लोकतंत्र और तानाशाही के बीच जारी बहस का प्रतीक बन गया है. देशभर में नागरिकों ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि लोकतांत्रिक संस्थाओं की रक्षा और जनता की आवाज को दबाया नहीं जा सकता.


