बांग्लादेश में हिंदू समुदाय को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच मुहम्मद यूनुस ने दी जनमाष्टमी की बधाई, शांति का दिया संदेश
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने जन्माष्टमी के अवसर पर हिंदू समुदाय को शुभकामनाएं देते हुए शांति का संदेश दिया. मुहम्मद यूनुस ने भगवान श्रीकृष्ण के आदर्शों की सराहना करते हुए कहा कि उनके न्याय और शांति के सिद्धांत समरस समाज की नींव हैं.

Yunus wishes Happy Janmashtami: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने जन्माष्टमी के अवसर पर हिंदू समुदाय को शुभकामनाएं देते हुए सांप्रदायिक सौहार्द और शांति का संदेश दिया है. मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने भगवान श्रीकृष्ण के आदर्शों की सराहना करते हुए कहा कि उनके न्याय, करुणा और शांति के सिद्धांत समरस समाज की नींव हैं. उन्होंने यह भी कहा कि श्रीकृष्ण की शिक्षाएं न केवल हिंदुओं के लिए, बल्कि सभी धर्मों के अनुयायियों के लिए प्रेरणादायक हैं.
संदेश में बांग्लादेश की संस्कृति का जिक्र
यूनुस ने अपने संदेश में इस बात पर ज़ोर दिया कि बांग्लादेश की संस्कृति सदा से विभिन्न धार्मिक समुदायों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व पर आधारित रही है. उन्होंने सभी नागरिकों से अपील की कि वे समाज में भाईचारा और एकता को बिगाड़ने वाले तत्वों से सावधान रहें और देश की सामाजिक समरसता को बनाए रखें.
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हमले
हालांकि, यह संदेश ऐसे समय आया है जब बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हमलों और भेदभाव की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. 25 नवंबर 2024 को इस्कॉन के पूर्व पुजारी और सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की गिरफ्तारी ने इन चिंताओं को और गहरा कर दिया है. उन पर ढाका पुलिस ने देशद्रोह का आरोप लगाया था, जिससे देशभर में हिंदू समुदाय में आक्रोश फैल गया.
दास की ज़मानत याचिकाएं दिसंबर 2024 में खारिज कर दी गईं, जिससे हालात और तनावपूर्ण हो गए. इस घटना के बाद देश में कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन भी हुए. धार्मिक अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं के पूजा स्थलों पर बढ़ते हमलों की खबरें लगातार सामने आ रही हैं.
बांग्लादेश में यह सब उस वक्त हो रहा है जब अगस्त 2024 में एक छात्र आंदोलन के बाद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को हटाकर यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनी. इस अस्थिर राजनीतिक स्थिति ने धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
भारत ने भी बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के कथित "व्यवस्थित उत्पीड़न" को लेकर चिंता जताई है, जिससे यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सुर्खियों में आ गया है.


