UAE में नया पर्सनल लॉ लागू: गैर-मुस्लिमों को मिली कानूनी आज़ादी, महिलाओं के हक़ भी बढ़े
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में नया पर्सनल स्टेटस कानून अब प्रभावी हो गया है. इस कानून के तहत विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और बच्चों की कस्टडी जैसे निजी मामलों में कई अहम संशोधन किए गए हैं.

यूएई ने 15 अप्रैल 2025 से अपने पर्सनल स्टेटस लॉ में महत्वपूर्ण बदलाव किए. जो विवाह, तलाक, विरासत और बच्चों की कस्टडी जैसे मामलों में सुधार की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम हैं. इन संशोधनों का उद्देश्य गैर-मुस्लिम नागरिकों और निवासियों को उनके धार्मिक विश्वासों और सांस्कृतिक परंपराओं के अनुरूप अधिक स्वतंत्रता और समानता प्रदान करना है.
अंतरराष्ट्रीय सिविल कानूनों का पालन
अबू धाबी और दुबई जैसे प्रमुख शहरों में रहने वाले हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी और अन्य गैर-मुस्लिम समुदायों को अपने देश के पर्सनल लॉ या अंतरराष्ट्रीय सिविल कानूनों का पालन करने का विकल्प दिया गया है. यह बदलाव विशेष रूप से उन प्रवासियों के लिए महत्वपूर्ण है जो यूएई में लंबे समय से रह रहे हैं और अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार जीवन जीना चाहते हैं.
नए कानून के तहत, विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष निर्धारित की गई है. यदि 18 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद भी किसी के माता-पिता विवाह के लिए सहमति नहीं देते, तो वह व्यक्ति अदालत से अनुमति प्राप्त कर सकता है. इसके अलावा, तलाक के मामलों में, 15 वर्ष से अधिक आयु के बच्चे को यह अधिकार है कि वह स्वयं यह तय कर सके कि उसे माता या पिता में से किसके साथ रहना है. पहले यह उम्र सीमा 21 वर्ष थी.
महिलाओं के अधिकारों में महत्वपूर्ण सुधार
महिलाओं के अधिकारों में भी महत्वपूर्ण सुधार किए गए हैं. अब महिलाएं अपनी संपत्ति की देखरेख और प्रबंधन में स्वतंत्र हैं, और उनके पति को उनकी सहमति के बिना उनकी संपत्ति से संबंधित कोई निर्णय नहीं लेने का अधिकार है. इसके अलावा, तलाक के मामलों में, मध्यस्थता की अनिवार्य अवधि को 90 दिनों से घटाकर 60 दिन कर दिया गया है, जिससे प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाया गया है.
समानता को बढ़ावा देता है नया पर्सनल स्टेटस लॉ
यूएई का यह नया पर्सनल स्टेटस लॉ न केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता और समानता को बढ़ावा देता है, बल्कि यह देश को एक आधुनिक और समावेशी समाज के रूप में प्रस्तुत करता है. इन सुधारों से न केवल यूएई के नागरिकों और निवासियों को लाभ होगा, बल्कि पूरे खाड़ी क्षेत्र में भी समानता और न्याय की दिशा में एक सकारात्मक संदेश जाएगा.