Nimisha Priya Case: यमन में भारतीय नर्स की मौत की सजा रद्द, ग्रैंड मुफ्ती कार्यालय ने दी बड़ी जानकारी
केरल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन की अदालत से बड़ी राहत मिली है. वर्षों से जेल में बंद निमिषा की मौत की सजा को रद्द कर दिया गया है. यह जानकारी भारत के ग्रैंड मुफ्ती एपी अबूबकर मुसलयार के कार्यालय द्वारा दी गई है. यमन सरकार से अभी आधिकारिक पुष्टि बाकी है.

Nimisha Priya Case: केरल की रहने वाली नर्स निमिषा प्रिया को यमन की अदालत से बड़ी राहत मिली है. निमिषा की फांसी की सजा को पूरी तरह से रद्द कर दिया गया है. यह जानकारी भारत के ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलयार के कार्यालय द्वारा दी गई है.
ग्रैंड मुफ्ती के कार्यालय ने बताया कि सना में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में इस फैसले पर मुहर लगाई गई. हालांकि यमनी सरकार की ओर से अभी इस संबंध में आधिकारिक लिखित पुष्टि नहीं हुई है. भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने भी फिलहाल इस खबर पर प्रतिक्रिया नहीं दी है.
On the case of Nimisha Priya, an Indian national facing the death penalty in a murder case in Yemen, Indian Grand Mufti, Kanthapuram AP Abubakker Muslaiyar’s office says, "The death sentence of Nimisha Priya, which was previously suspended, has been overturned. A high-level… pic.twitter.com/jhNCG7CP3m
— ANI (@ANI) July 28, 2025
रद्द हुई निमिषा की मौत की सजा
ग्रैंड मुफ्ती के कार्यालय द्वारा जारी बयान में कहा गया, "निमिषा प्रिया की मौत की सजा, जिसे पहले निलंबित किया गया था, अब पूरी तरह से रद्द कर दी गई है." सना में आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया, जिसमें पहले से स्थगित सजा को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया.
गौरतलब है कि निमिषा की फांसी की तारीख 16 जुलाई तय की गई थी. लेकिन एक दिन पहले ग्रैंड मुफ्ती एपी अबूबकर मुसलयार की अपील पर यमनी अधिकारियों ने इस सजा पर अस्थायी रोक लगा दी थी.
कौन हैं निमिषा प्रिया?
निमिषा प्रिया, केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली 38 वर्षीय नर्स हैं. साल 2008 में वह बेहतर रोज़गार की तलाश में यमन गई थीं. वहां उन्होंने एक यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी के साथ मिलकर सना शहर में एक क्लिनिक खोली.
समय के साथ दोनों के रिश्ते बिगड़ गए. महदी ने न केवल उन्हें प्रताड़ित करना शुरू कर दिया, बल्कि सार्वजनिक रूप से खुद को उनका पति भी बताने लगा. इतना ही नहीं, उसने निमिषा का पासपोर्ट भी जब्त कर लिया जिससे वह भारत लौटने में असमर्थ हो गईं.
क्यों मिली सजा-ए-मौत?
यमनी अधिकारियों के अनुसार, साल 2017 में निमिषा ने अपना पासपोर्ट वापस लेने के लिए महदी को बेहोश करने की कोशिश की. लेकिन दवा की मात्रा अधिक होने से महदी की मौत हो गई. इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 2018 में मुकदमा शुरू हुआ.
2020 में यमन की अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई. दिसंबर 2024 में यमनी राष्ट्रपति रशाद अल-अलीमी ने फांसी को मंज़ूरी दे दी थी. इसके बाद जनवरी 2025 में हूती नेता महदी अल-मशात ने भी इस पर अपनी सहमति जताई.
कैसी रद्द हुई फांसी?
हाल के महीनों में भारत सरकार और सामाजिक संगठनों ने निमिषा को बचाने के लिए व्यापक प्रयास किए. विदेश मंत्रालय से लेकर विभिन्न धार्मिक संगठनों ने यमनी सरकार से सजा पर पुनर्विचार की अपील की थी.
ग्रैंड मुफ्ती की पहल और मानवीय आधार पर की गई अपीलों के चलते यमनी प्रशासन ने फांसी पर रोक लगा दी और अब पूरी तरह से उसे रद्द कर दिया गया है. हालांकि, अब सभी की नजरें यमन सरकार की आधिकारिक पुष्टि पर टिकी हैं.


