पाकिस्तान ने बलूचिस्तान पर अपना कंट्रोल खो दिया है-- अमेरिकी कांग्रेस नेता का बड़ा दावा
अमेरिकी कांग्रेस नेता रज्जाक बलूच ने बड़ा दावा किया है कि पाकिस्तान ने बलूचिस्तान पर अपना नियंत्रण लगभग खो दिया है. उन्होंने इसे 1971 की घटना से जोड़कर चेतावनी दी है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो बड़ा संकट खड़ा हो सकता है. भारत को लेकर भी उन्होंने एक साफ संदेश दिया है जो पूरी कहानी जानने पर मजबूर कर देगा!

Balochistan: बलूचिस्तान की खबरें लंबे समय से दुनिया के ध्यान में रही हैं लेकिन अब एक बड़ा मोड़ आया है. अमेरिकी कांग्रेस के नेता और बलूच समुदाय के प्रतिनिधि रज्जाक बलूच ने दावा किया है कि पाकिस्तान ने बलूचिस्तान पर अपना नियंत्रण लगभग खो दिया है. उनका यह बयान न सिर्फ क्षेत्र की जटिल राजनीतिक स्थिति को उजागर करता है बल्कि पाकिस्तान के लिए भी बड़ी चुनौती बन चुका है. आइए विस्तार से जानें कि रज्जाक बलूच ने क्या कहा और बलूचिस्तान की वर्तमान स्थिति क्या है.
पाकिस्तानी सेना की कमजोरी साफ नजर आ रही है
रज्जाक बलूच ने कनाडा के TAG टीवी को दिए गए साक्षात्कार में कहा कि पाकिस्तान की सेना अब क्वेटा के बाहर भी रात के समय निकलने से डरती है. उन्होंने बताया, "शाम 5 बजे से सुबह 5 बजे तक सड़कें पूरी तरह खाली रहती हैं क्योंकि सेना डर की वजह से बाहर नहीं निकलती." इसका मतलब यह है कि सेना का प्रभाव क्षेत्र सीमित होता जा रहा है और इलाके में उनकी पकड़ कमजोर हो रही है.
बलूचिस्तान पर पाकिस्तान का नियंत्रण सिर्फ़ 20% बचा
रज्जाक बलूच के अनुसार, बलूचिस्तान का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा अब पाकिस्तान के नियंत्रण से बाहर हो चुका है. उन्होंने इस स्थिति की तुलना पूर्वी पाकिस्तान के हालात से की, जो अंततः बांग्लादेश बनने की वजह बनी थी. उनका मानना है कि अगर पाकिस्तान जल्द सुधार नहीं करता, तो इतिहास खुद को दोहरा सकता है.
बलूच अलगाववादी आंदोलन भी तेज़ हो रहा है
बलूचिस्तान में अलगाववादी आंदोलन भी तेजी से बढ़ रहा है. हाल ही में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और प्रमुख कार्यकर्ता महरंग बलूच की गिरफ्तारी ने हालात को और जटिल बना दिया है. यह आंदोलन लगातार ताकतवर होता जा रहा है और इस वजह से पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ रही हैं.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की अपील
रज्जाक बलूच ने लोकतांत्रिक देशों से अपील की है कि वे बलूच संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दें और निर्वासित बलूच नेताओं को अपनी जमीन पर आने और बात करने का मौका दें. उन्होंने कहा कि क्वेटा और चौनी में स्थित पाकिस्तानी सैन्य गढ़ों को तोड़ना अब बहुत जरूरी हो गया है.
भारत को लेकर खुला संदेश
जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत को निर्वासित बलूच सरकार को समर्थन देना चाहिए, तो उन्होंने साफ कहा, "हम भीख नहीं मांगते, लेकिन अगर भारत बलूचिस्तान की आज़ादी का समर्थन करता है, तो बलूचिस्तान के दरवाज़े भारत के लिए खुल जाएंगे." यह बयान क्षेत्रीय राजनीति में नए सिरे से हलचल पैदा कर सकता है.
क्षेत्रीय शांति के लिए चेतावनी
रज्जाक बलूच ने सभी देशों को चेतावनी दी है कि यदि बलूचिस्तान और पाकिस्तान के अन्य प्रांतों में उत्पीड़न खत्म नहीं किया गया, तो इसका असर पूरे दक्षिण एशिया में पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि देरी से की गई कार्रवाई “बर्बर सेना” को और भी मजबूत करेगी, जो क्षेत्र के लिए खतरा बन सकती है.


