पाकिस्तानी सेना ने तालिबान के आगे टेके घुटने, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मांगी भीख
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बीच एक नई घटना सामने आई है, जिसमें पाकिस्तानी सेना ने तालिबान के सामने अपनी नाकामी को स्वीकार किया. हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने तालिबान से सहायता की मांग करते हुए 'भीख' मांगी, जिससे यह साबित हो गया कि पाकिस्तान का कद अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कमजोर हो चुका है.

पाकिस्तानी सेना ने सख्त संदेश देते हुए कहा है कि वह अब "खेल के नियम" बदलने जा रही है. यह बयान पाकिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आतंकवादियों और बलूच विद्रोहियों के हमलों का सामना करने के बाद आया है. पाकिस्तानी विश्लेषकों के अनुसार, पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता ने संकेत दिया है कि वे अब अफगानिस्तान के अंदर हमले करेंगे.
इस बीच, डूरंड रेखा के साथ तोरखम सीमा पर कई दिनों तक भीषण गोलाबारी जारी रही. तालिबान बलों ने सीमा पर कई पाकिस्तानी सेना चौकियों को नष्ट कर दिया. इस वृद्धि के बाद, ऐसा लगता है कि पाकिस्तानी सेना समर्थित शहबाज सरकार को स्थिति की गंभीरता का एहसास हो गया है. पाकिस्तानी सरकार ने अब घोषणा की है कि वह टीटीपी द्वारा उत्पन्न खतरे के बारे में तालिबान के साथ बातचीत करेगी.
तालिबान के साथ बातचीत की घोषणा
सोमवार को पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने एक अहम बैठक के बाद तालिबान के साथ बातचीत की घोषणा की. पाकिस्तानी नेता ने कहा कि आतंकवादियों को पनाह देने का मुद्दा तालिबान के साथ कूटनीति और बातचीत के जरिए सुलझाया जाएगा. इस बैठक में अफगानिस्तान के लिए पाकिस्तान के विशेष प्रतिनिधि राजदूत महमूद सादिक ने अपनी हाल की काबुल यात्रा का ब्यौरा दिया. माना जा रहा है कि चूंकि तालिबान ने टीटीपी को लेकर पाकिस्तान की मांगों को स्वीकार नहीं किया है, इसलिए इस्लामाबाद सरकार अब उन्हें मनाने की कोशिश कर रही है.
पाकिस्तानी सेना ने तालिबान के आगे घुटने टेक दिए
पिछले कुछ महीनों में टीटीपी आतंकियों को लेकर पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है. पाकिस्तान का आरोप है कि उसके खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान प्रांतों में हमले करने वाले आतंकियों को अफगानिस्तान में पनाह मिली हुई है. दिलचस्प बात यह है कि तालिबान से बातचीत को लेकर पाकिस्तान सरकार की ओर से जारी बयान में टीटीपी या सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे का जिक्र ही नहीं है. माना जा रहा है कि यह तालिबान को खुश करने की कोशिश है.


