चीन की दुर्लभ खनिजों पर कुटिल चाल, भारत दे रहा है करारा जवाब
भारत सरकार ने जनवरी 2025 में राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन (NCMM) भी शुरू किया था. इसका मुख्य उद्देश्य भारत के स्वच्छ ऊर्जा ट्रांजिशन और रणनीतिक क्षेत्रों के लिए जरूरी खनिजों को सुरक्षित करने के लिए आत्मनिर्भर कार्यक्रम चलाना है.

Rare Earth Minerals: चीन ने हाल ही में दुर्लभ मिनरल्स (Rare Earth Minerals) के निर्यात पर प्रतिबंध लगाकर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित करने की कोशिश की है. जिसका असर भारत सहित कई देशों पर पड़ सकता है. इस कदम को चीन की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है. जिसका मुख्य उद्देश्य वैश्विक बाजार में अपनी प्रभुत्व बनाए रखना और अन्य देशों पर दबाव डालना है. लेकिन भारत इस चुनौती का सामना करने के लिए पहले से ही तैयार है. सरकार ने घरेलू स्तर पर खनन को बढ़ावा देने और वैकल्पिक आपूर्ति श्रृंखलाओं को विकसित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं.
भारत की रणनीतिक
चीन के दुर्लभ मिनरल्स निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद भारत ने वैश्विक साझेदारियों को तेज करने का फैसला किया है. सरकार ने जापान, वियतनाम, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीकी देशों जैसे जाम्बिया के साथ सहयोग बढ़ाएगा और इन देशों से लिथियम, कोबाल्ट और अन्य महत्वपूर्ण खनिजों की लेन देन की बातचीत चल रही है. केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, "हम वैकल्पिक आपूर्ति श्रृंखला विकसित कर रहे हैं ताकि चीन पर निर्भरता कम की जा सके."
घरेलू खनन पर जोर
भारत ने दुर्लभ मिनरल्स के लिए घरेलू खनन को बढ़ावा देने के लिए महत्वाकांक्षी कदम उठाए हैं. खान मंत्रालय ने 12 जून, 2025 को खनिज संशोधन नियम, 2025 को अधिसूचित किया. जिसका उद्देश्य दुर्लभ पृथ्वी खनिजों (REE) के लिए अन्वेषण मानदंडों को संशोधित करना है. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने जम्मू-कश्मीर और छत्तीसगढ़ में लिथियम भंडारों की पहचान की है. जिनकी नीलामी जल्द शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है. खनन मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा, "लिथियम ब्लॉक की मांग बहुत ज्यादा है, और हम बहुत जल्द जानकारी साझा करेंगे."
क्यों महत्वपूर्ण हैं दुर्लभ मिनरल्स?
दुर्लभ मिनरल्स जैसे लिथियम, कोबाल्ट, और रेयर अर्थ तत्व आधुनिक तकनीक और स्वच्छ ऊर्जा के लिए अनिवार्य हैं. स्मार्टफोन, इलेक्ट्रिक वाहन, ड्रोन, मिसाइल, और रिन्यूएबल एनर्जी उपकरणों के उत्पादन में इनका उपयोग होता है. वैश्विक स्तर पर स्वच्छ ऊर्जा की बढ़ती मांग के बीच इन खनिजों की मांग भी तेजी से बढ़ रही है. भारत, जो इन खनिजों के लिए पहले चीन पर निर्भर था, अब इस निर्भरता को खत्म करने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है.


