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बांग्लादेश में बढ़ा धार्मिक तनाव, इस्कॉन नेता चिन्मय दास पर राष्ट्रद्रोह का केस!

बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर के नेता चिन्मय कृष्ण दास पर देशद्रोह का मामला दर्ज हुआ है. उन पर आरोप है कि उन्होंने एक रैली में राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया और देश की संप्रभुता के प्रति अवमानना दिखाई. हिंदुओं की सुरक्षा और बढ़ती हिंसा के खिलाफ उनकी आवाज उठाने के कारण यह मामला सामने आया है. क्या यह कार्रवाई सच में उचित है या यह सिर्फ एक राजनीतिक खेल है? जानिए पूरी कहानी में!

JBT Desk
Edited By: JBT Desk

Religious tension in Bangladesh: बांग्लादेश में हाल ही में हिंदुओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा के खिलाफ मुखर आवाज चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया है. यह मामला उस समय उठा जब उन्होंने एक रैली के दौरान देश की संप्रभुता के प्रति अवमानना दिखाने और बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अनादर करने के आरोपों का सामना कर रहे हैं.

चिन्मय दास ने चटगांव में एक रैली का आयोजन किया था, जिसमें हजारों हिंदू इकट्ठा हुए थे. इस रैली का मुख्य उद्देश्य हिंदुओं की सुरक्षा और उनके खिलाफ हो रही हिंसा के खिलाफ आवाज उठाना था. चिन्मय पर आरोप है कि इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर धार्मिक झंडा फहराया, जिसे शिकायतकर्ता ने देश की अखंडता को नकारने के समान बताया है.

धार्मिक झंडे का मुद्दा

दर्ज की गई शिकायत में कहा गया है कि इस्कॉन समूह ने चटगांव के न्यू मार्केट चौराहे पर सरकारी विरोधी प्रदर्शनों के दौरान धार्मिक झंडा फहराया. इससे यह धारणा बनी कि यह स्वतंत्र राज्य की अखंडता का अनादर है. चिन्मय पर यह कार्रवाई बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हो रही हिंसा को लेकर हाल ही में UN की मानवाधिकार एजेंसी द्वारा उठाए गए मुद्दे के बीच में हुई है.

हिंदुओं के एक होने की अपील

इस्कॉन की एक सभा में चिन्मय ने हिंदुओं से एकजुट होने की अपील की थी. उन्होंने कहा, 'हम हिंदू हैं, हम ऋषियों के उत्तराधिकारी हैं. हमें मरते दम तक लड़ना है. हिंदुओं, एक हो जाओ, खतरों से सावधान रहो.' इसके साथ ही उन्होंने हिंदुओं को सोशल मीडिया पर सावधान रहने की सलाह भी दी, ताकि वे किसी के झांसे में न आएं.

बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा और चिन्मय दास पर लगे आरोप, दोनों ही मुद्दे गंभीर हैं. यह घटनाएं यह दर्शाती हैं कि कैसे धार्मिक और राजनीतिक मुद्दों के बीच टकराव हो सकता है. चिन्मय की स्थिति को लेकर आगे क्या कदम उठाए जाएंगे, यह देखना होगा. बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा और अधिकारों को लेकर स्थिति जटिल बनी हुई है और इसे सुलझाने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है. 

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31 October 2024, 12:33 PM IST

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