गाजा में सीजफायर पर UN में पेश प्रस्ताव: भारत ने मतदान से बनाई दूरी
गाजा में इजराइली बमबारी के बीच संयुक्त राष्ट्र की जनरल असेंबली में एक प्रस्ताव लाया गया, जिसमें तत्काल और स्थायी सीजफायर की मांग की गई. प्रस्ताव में बंधकों की जल्द रिहाई की भी बात थी. भारत ने इस प्रस्ताव पर मतदान से दूरी बनाई और अनुपस्थित रहा.

संयुक्त राष्ट्र की जनरल असेंबली में गाजा में जारी हिंसा के बीच एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव लाया गया, जिसमें तत्काल, स्थायी और बिना शर्त युद्धविराम की मांग की गई थी. इस प्रस्ताव को स्पेन ने पेश किया और 193 सदस्य देशों में से 149 ने इसका समर्थन किया. 12 देशों ने इसका विरोध किया जबकि 19 देशों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. भारत भी इन्हीं 19 देशों में शामिल रहा, जिसने मतदान से दूरी बनाई.
गाजा में इजराइली हमलों के चलते हजारों नागरिकों की जान जा चुकी है और हालात बेहद चिंताजनक हो चुके हैं. ऐसे में संयुक्त राष्ट्र में यह प्रस्ताव लाया गया जिसमें युद्धविराम के अलावा बंधकों की जल्द रिहाई की भी अपील की गई थी. यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया जब इससे पहले सुरक्षा परिषद में इस तरह के प्रस्ताव को अमेरिका ने वीटो कर दिया था.
भारत की गैरमौजूदगी पर उठे सवाल
भारत की तरफ से यूएन में स्थायी प्रतिनिधि पार्वथानेनी हरीश ने कहा कि भारत को गाजा में बिगड़ती मानवीय स्थिति पर गहरी चिंता है. उन्होंने कहा कि भारत पहले भी इस तरह के प्रस्तावों में मतदान से दूर रहा है, क्योंकि भारत मानता है कि इस जटिल मुद्दे का समाधान बातचीत और कूटनीति के रास्ते ही निकल सकता है. इसलिए भारत इस बार भी मतदान में शामिल नहीं हुआ.
भारत की स्थिति और मदद
भारत ने गाजा में आम नागरिकों की मौत की कड़ी निंदा की है और कहा है कि वह मानवीय सहायता के रूप में लगातार गाजा के लोगों तक मदद पहुंचा रहा है. भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह द्विपक्षीय या फिर यूएन के जरिये राहत सामग्री भेजता रहा है और भविष्य में भी ऐसा करेगा.
भारत की भूमिका पर हो रही चर्चा
भारत के इस निर्णय पर अंतरराष्ट्रीय मंचों और रणनीतिक हलकों में चर्चा हो रही है. एक तरफ भारत खुद को मानवता और शांति के पक्षधर देश के रूप में प्रस्तुत करता है, तो दूसरी तरफ ऐसे अहम प्रस्ताव में उसकी अनुपस्थिति को कुछ विशेषज्ञ कूटनीतिक दूरी के तौर पर देख रहे हैं.


