Russia-Ukraine war: डोनबास छोड़ो, NATO को भूल जाओ... रूस-यूक्रेन युद्ध विराम के लिए पुतिन की शर्तें
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन से डोनबास क्षेत्र खाली करने, नाटो में शामिल न होने और देश में पश्चिमी सेना न रखने की शर्त पर युद्ध खत्म करने का प्रस्ताव रखा है. ट्रंप और पुतिन की अलास्का में गुप्त बैठक हुई, लेकिन जेलेंस्की ने इन शर्तों को देश की संप्रभुता पर हमला बताया और अस्वीकार कर दिया.

Russia Ukraine Peace Talks: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन में जारी युद्ध को समाप्त करने के लिए एक नया प्रस्ताव रखा है. इस प्रस्ताव में उन्होंने यूक्रेन से पूर्वी डोनबास क्षेत्र पूरी तरह खाली करने, नाटो में शामिल न होने, देश को तटस्थ बनाए रखने और पश्चिमी सेनाओं को बाहर रखने की शर्तें रखी हैं. ये जानकारी रॉयटर्स को क्रेमलिन से जुड़े तीन सूत्रों ने दी.
अलास्का में ट्रंप-पुतिन की बैठक
पुतिन और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चार साल बाद पहली मुलाकात अलास्का के एंकोरेज शहर में हुई. तीन घंटे तक चली इस बंद कमरे की वार्ता में यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की संभावनाओं पर चर्चा हुई. हालांकि दोनों नेताओं ने इस पर सार्वजनिक रूप से ज्यादा खुलासा नहीं किया, लेकिन माना जा रहा है कि यह बातचीत शांति समझौते की दिशा में अहम कड़ी हो सकती है.
क्या हैं पुतिन की शर्तें ?
रूसी सूत्रों के मुताबिक, पुतिन ने यूक्रेन से चार प्रमुख क्षेत्रों डोनबास के दो हिस्से डोनेट्स्क और लुहान्स्क, और दक्षिणी हिस्से खेरसॉन व ज़ापोरिज्जिया को पूरी तरह खाली करने की मांग की है. बदले में रूस ज़ापोरिज्जिया और खेरसॉन में आगे बढ़ने से रुकने को तैयार है. इसके अलावा, पुतिन चाहते हैं कि यूक्रेन अपनी नाटो सदस्यता की महत्वाकांक्षा छोड़े और देश में कोई पश्चिमी सेना तैनात न हो.
जेलेंस्की ने शर्तों को किया खारिज
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने रूस की इन शर्तों को सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि यह शर्तें देश की संप्रभुता और अस्तित्व पर हमला हैं. डोनबास क्षेत्र यूक्रेन की सबसे मजबूत सुरक्षा रेखा है और इससे पीछे हटना देश के लिए घातक होगा. ज़ेलेंस्की ने दोहराया कि नाटो में शामिल होना यूक्रेन का संवैधानिक अधिकार है और इस पर केवल यूक्रेनी जनता ही फैसला ले सकती है.
ट्रंप की भूमिका और रणनीति
डोनाल्ड ट्रंप, जो आगामी अमेरिकी चुनावों में फिर से राष्ट्रपति पद की दौड़ में हैं, खुद को "शांति निर्माता" के रूप में पेश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वह युद्ध खत्म करना चाहते हैं, लेकिन फिलहाल वह सीधे हस्तक्षेप नहीं करेंगे. ट्रंप ने पहले पुतिन और ज़ेलेंस्की की सीधी वार्ता की वकालत की है, इसके बाद ही कोई त्रिपक्षीय बैठक होगी. उनका कहना है कि अमेरिका युद्ध के बाद भी यूक्रेन में सैनिक नहीं भेजेगा.
रूस की नरमी या रणनीति?
सूत्रों की मानें तो रूस अब कुछ क्षेत्रों पर नियंत्रण बनाए रखते हुए एक सीमित समझौते के लिए तैयार हो रहा है. हालांकि रूस यह भी देखना चाहता है कि क्या यूक्रेन वास्तव में डोनबास और अन्य क्षेत्रों को छोड़ने के लिए तैयार है. अगर नहीं, तो युद्ध जारी रहेगा. ऐसे में, यह भी स्पष्ट नहीं है कि अमेरिका और नाटो इस समझौते में रूस के कब्जे वाले इलाकों को कानूनी मान्यता देंगे या नहीं.
क्या शांति संभव है?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि पुतिन के प्रस्ताव यूक्रेन के लिए राजनीतिक रूप से स्वीकार्य नहीं हैं. यह एक ऐसी स्थिति है जहाँ शांति की संभावनाएँ केवल तभी बन सकती हैं जब दोनों पक्ष लचीला रुख अपनाएँ. अभी के हालात में, ट्रंप के नेतृत्व में शुरू हुई यह पहल एक शुरुआत भर है, लेकिन अंतिम निर्णय दोनों देशों की जमीनी सच्चाइयों और अंतरराष्ट्रीय दबावों पर निर्भर करेगा.


