SCO Summit में भाग लेने के लिए चीन पहुंचे एस जयशंकर, संबंधों में स्थिरता के लिए खुली बातचीत पर दिया जोर
विदेश मंत्री एस. जयशंकर इन दिनों चीन के दौरे पर हैं, जहां उन्होंने बीजिंग में चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से अहम भेट की. यह मुलाकात ऐसे समय पर हुई है जब पूरी दुनिया राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता से जूझ रही है. जयशंकर ने इस मुलाकात के दौरान भारत और चीन के बीच खुले और नियमित संवाद की आवश्यकता पर बल दिया.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर 14 और 15 जुलाई को चीन दौरे पर हैं. इस दौरान उन्होंने बीजिंग में चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात की. यह मुलाकात उस समय हुई है जब दुनिया भर में राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियां जटिल बनी हुई हैं. जयशंकर ने इस दौरान भारत और चीन के बीच आपसी संवाद को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया. उनका कहना था कि दोनों देश बड़े पड़ोसी और वैश्विक शक्तियां हैं, इसलिए मौजूदा वैश्विक हालात में एक-दूसरे की सोच और नजरिया समझना बहुत जरूरी हो गया है.
My opening remarks at the meeting with Vice President Han Zheng of China.
https://t.co/9eAAZQuwoM— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) July 14, 2025
SCO बैठक के बहाने रिश्तों में गर्माहट
आपको बता दें कि जयशंकर इस समय शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने बीजिंग पहुंचे हैं. इसी अवसर पर उन्होंने चीन के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की और द्विपक्षीय मुद्दों पर बात की. बैठक की शुरुआत में जयशंकर ने कहा कि भारत, चीन की SCO अध्यक्षता को पूरी तरह समर्थन करता है. उन्होंने बताया कि भारत-चीन रिश्तों में हाल के समय में धीरे-धीरे सुधार देखने को मिला है, खासकर तब से जब पिछले साल अक्टूबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात कज़ान में हुई थी. उन्होंने उम्मीद जताई कि यह दौरा उस सकारात्मक रफ्तार को बनाए रखेगा और दोनों देशों के बीच विश्वास और सहयोग को और मजबूत करेगा.
Pleased to meet Vice President Han Zheng soon after my arrival in Beijing today.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) July 14, 2025
Conveyed India’s support for China’s SCO Presidency.
Noted the improvement in our bilateral ties. And expressed confidence that discussions during my visit will maintain that positive trajectory. pic.twitter.com/F8hXRHVyOE
75 वर्षों के राजनयिक संबंधों की याद
इसके साथ ही विदेश मंत्री जयशंकर ने इस मौके पर यह भी बताया कि भारत और चीन के राजनयिक रिश्तों को हाल ही में 75 वर्ष पूरे हुए हैं. उन्होंने इसे एक ऐतिहासिक पड़ाव बताया और कहा कि दोनों देशों को इस अवसर का उपयोग आपसी समझ और सहयोग को बढ़ाने में करना चाहिए. साथ ही उन्होंने कैलाश मानसरोवर यात्रा के फिर से शुरू होने का भी ज़िक्र किया और कहा कि भारत में इसे बहुत सराहा गया है. यह न सिर्फ धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह रिश्तों में सामान्यता लौटने की दिशा में भी एक संकेत है.
खुले संवाद की आवश्यकता पर जोर
जयशंकर ने इस बैठक के दौरान वैश्विक हालात की जटिलता को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि दुनिया एक मुश्किल दौर से गुजर रही है, जहां कई देशों के बीच अविश्वास और तनाव की स्थिति बनी हुई है. ऐसे में भारत और चीन जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को एक-दूसरे के साथ विचारों का खुला आदान-प्रदान करना चाहिए ताकि कोई गलतफहमी ना पनपे और क्षेत्रीय स्थिरता को नुकसान ना पहुंचे. उनका साफ संदेश था कि द्विपक्षीय रिश्तों का सामान्यीकरण दोनों देशों के लिए लाभकारी हो सकता है और क्षेत्र में शांति बनाए रखने में मदद कर सकता है.
संवाद और सहयोग की राह पर लौट रहे दोनों देश
दरअसल, जयशंकर की यह यात्रा इस बात का संकेत है कि भारत और चीन अपने आपसी रिश्तों को एक नई दिशा देने की कोशिश कर रहे हैं. बीते कुछ वर्षों में सीमा विवाद और अन्य राजनीतिक मुद्दों के चलते रिश्तों में तनाव रहा है, लेकिन अब दोनों देश फिर से संवाद और सहयोग की राह पर लौटने के संकेत दे रहे हैं. जयशंकर ने जिस सकारात्मक रुख के साथ बातचीत की, वह यह दिखाता है कि भारत अभी भी बातचीत और कूटनीति के माध्यम से जटिल मुद्दों को सुलझाना चाहता है.


