लॉर्ड्स टेस्ट: भारत के सामने 193 रनों की चुनौती, क्या टूटेगा 38 साल पुराना रिकॉर्ड?
लॉर्ड्स टेस्ट के चौथे दिन भारत ने इंग्लैंड को 192 रनों पर आउट कर दिया. वाशिंगटन सुंदर ने चुनौतीपूर्ण पिच पर शानदार गेंदबाज़ी करते हुए चार महत्वपूर्ण विकेट झटके. उनकी इस प्रदर्शन ने भारत को जीत की दिशा में मज़बूत स्थिति में पहुंचा दिया और मैच में निर्णायक बढ़त दिलाई.

एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी के तीसरे टेस्ट के चौथे दिन भारत ने लॉर्ड्स में इंग्लैंड को दूसरी पारी में 192 रनों पर ढेर कर जीत की ओर बड़ा कदम बढ़ाया. इस मुकाबले में भारत की जीत की नींव वाशिंगटन सुंदर की शानदार ऑफ स्पिन गेंदबाज़ी ने रखी, जिन्होंने इंग्लैंड की मजबूत बल्लेबाजी क्रम को झकझोर दिया. सुंदर ने जो रूट, बेन स्टोक्स, जेमी स्मिथ और शोएब बशीर जैसे अहम खिलाड़ियों के चार विकेट लेकर इंग्लैंड को बैकफुट पर धकेल दिया.
पहली पारी में दोनों टीमें 387 रन बनाकर बराबरी पर रहीं थीं, जिससे यह टेस्ट रोमांचक हो गया था. लेकिन चौथे दिन के पहले सत्र में ही भारत ने मैच पर पकड़ मजबूत कर ली. मोहम्मद सिराज ने अपने पहले स्पेल में बेन डकेट और ओली पोप को आउट कर शुरुआत की, वहीं जसप्रीत बुमराह, जो पहले थोड़े शांत रहे, ने इंग्लैंड के निचले क्रम को साफ करते हुए ब्रायडन कार्स और क्रिस वोक्स को क्लीन बोल्ड किया. इंग्लैंड की पारी में 32 अतिरिक्त रन भी भारत के खिलाफ गए – जो रूट (40) और स्टोक्स (33) के बाद यह तीसरा सबसे बड़ा योगदान रहा.
पिच की चुनौती और पीछा करने का दबाव
भारत को जीत के लिए 193 रनों का लक्ष्य मिला, जो कागज पर आसान लग रहा था, लेकिन लॉर्ड्स की कठिन होती पिच और इतिहास ने इसे चुनौतीपूर्ण बना दिया. मैच के अंतिम दिनों में पिच का बर्ताव लगातार अस्थिर हो गया था – असमान उछाल, दरारें और धीमी गति बल्लेबाजों के लिए मुश्किलें पैदा कर रही थीं. ऐसे में लक्ष्य का पीछा करना किसी भी टीम के लिए आसान नहीं था.
भारत की पारी की शुरुआत भी झटके के साथ हुई, जब फॉर्म में चल रहे यशस्वी जायसवाल जोफ्रा आर्चर की बाउंसर पर पुल शॉट खेलते हुए आउट हो गए. इससे टीम पर दबाव आ गया और स्कोरबोर्ड पर पहला विकेट जल्दी गिर गया.
ऐतिहासिक पीछा और भारत की संभावना
लॉर्ड्स में टेस्ट इतिहास में केवल छह बार ही 190 या उससे ज्यादा रनों का सफल पीछा हुआ है. इनमें से दो मौके पिछले तीन वर्षों में देखने को मिले हैं. हाल ही में, दक्षिण अफ्रीका ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 282 रन का पीछा कर पहली बार वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का खिताब जीता था. भारत का लॉर्ड्स में सबसे बड़ा सफल पीछा 1986 में 136 रन का था, जब कपिल देव और रवि शास्त्री ने टीम को जीत दिलाई थी.


