शहबाज शरीफ की मुश्किलें बढ़ीं, JUI-F के बड़े विद्वान ने आसिम मुनीर की इम्युनिटी को बताया इस्लाम के खिलाफ
मशहूर इस्लामी स्कॉलर और JUI-F से जुड़े मुफ्ती तकी उस्मानी ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने पाकिस्तान के आर्मी चीफ फील्ड मार्शल आसिम मुनीर को उम्र भर कानूनी छूट देने के फैसले पर सख्त ऐतराज जताया.

नई दिल्ली: पाकिस्तान में सत्ता व्यवस्था को लेकर असंतोष के सुर और तेज हो गए हैं. जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम–फजल (JUI-F) के वरिष्ठ इस्लामी विद्वान मुफ्ती तकी उस्मानी ने 27वें संवैधानिक संशोधन के तहत फील्ड मार्शल सैयद असीम मुनीर को दी गई आजीवन कानूनी छूट पर गंभीर सवाल उठाए हैं. उन्होंने इस कदम को ‘हराम’ बताते हुए इसे इस्लामी सिद्धांतों के खिलाफ करार दिया है.
सूत्रों के अनुसार, मुफ्ती तकी उस्मानी ने सार्वजनिक रूप से इस बात पर आपत्ति जताई है कि पाकिस्तान के शीर्ष शासकों को, जिनमें असीम मुनीर भी शामिल हैं, आजीवन कानूनी प्रतिरक्षा देना न तो नैतिक है और न ही धार्मिक रूप से जायज. उनके इस बयान को पाकिस्तान की मौजूदा सत्ता संरचना के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.
27वां संशोधन और असीम मुनीर को मिली छूट
27 दिसंबर को असीम मुनीर ने पाकिस्तान के पहले चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज़ (CDF) का पद संभाला. यह पद 1973 के संविधान में किए गए विवादित 27वें संशोधन के तहत बनाया गया है. इस संशोधन के जरिए असीम मुनीर को अपने कार्यकाल के दौरान किए गए कार्यों के लिए आजीवन आपराधिक और दीवानी कार्रवाई से संवैधानिक संरक्षण दिया गया है, जब तक कि संसद स्वयं इस छूट को समाप्त न करे.
JUI-F का कड़ा रुख
हालांकि, पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (PDM) के सहयोगी दलों के भीतर इस व्यापक प्रतिरक्षा को लेकर सहमति नहीं दिख रही है. मुफ्ती तकी उस्मानी ने कहा कि क़ुरान और सुन्नत के अनुसार कोई भी शासक, जनरल या खलीफा जवाबदेही से ऊपर नहीं है. उन्होंने स्पष्ट कहा कि शासकों या सैन्य प्रमुखों को इस तरह की सुरक्षा देना इस्लाम में विरूध है.
PDM की पृष्ठभूमि और JUI-F की दूरी
PDM वर्ष 2020 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार को चुनौती देने के लिए गठित प्रमुख राजनीतिक दलों का गठबंधन था. इसका नेतृत्व शहबाज़ शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ (PML-N) ने किया, जिसमें बिलावल भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) और JUI-F भी शामिल थीं. हालांकि, JUI-F बाद में गठबंधन से अलग हो गई और 2024 में यह आरोप लगाते हुए आंदोलन का ऐलान किया कि चुनाव धांधली से कराए गए थे.
पाकिस्तान में बढ़ता असंतोष
JUI-F से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पार्टी को लगता है कि उससे सिर्फ़ सड़क पर ताकत और धार्मिक वैधता के लिए इस्तेमाल किया गया, लेकिन वास्तविक निर्णय लेने की शक्ति नहीं दी गई. पार्टी ने शहबाज़ शरीफ सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने असीम मुनीर को आजीवन छूट देकर क़ुरान के सिद्धांतों का उल्लंघन किया है.
सूत्रों के मुताबिक, JUI-F प्रमुख मौलाना फ़ज़ल-उर-रहमान भी मानते हैं कि असली सत्ता नागरिक सरकार के बजाय सेना प्रमुख के हाथों में केंद्रित है. इसी वजह से यह धारणा बनी है कि सीट बंटवारे और चुनाव बाद की व्यवस्थाएं सत्तारूढ़ PML-N और PPP के पक्ष में की गईं.
वैधता के संकट की ओर इशारा
देवबंदी पृष्ठभूमि के जमीनी स्तर के मौलवी भी मौलाना फ़ज़ल-उर-रहमान पर दबाव बना रहे हैं कि वे इस कथित ‘गैर-इस्लामी’ गठबंधन से दूरी बनाएं. मुफ्ती तकी उस्मानी जैसी खुली असहमति को पाकिस्तान की हाइब्रिड सत्ता व्यवस्था के लिए गहरे वैधता संकट का संकेत माना जा रहा है.
इसके साथ ही JUI-F और शहबाज़ शरीफ सरकार के बीच बढ़ती दूरी से गठबंधन की स्थिरता कमजोर हो रही है और सेना पर निर्भरता बढ़ रही है. इस्लामी सिद्धांतों का हवाला देकर की जा रही आलोचना के चलते रावलपिंडी के लिए असहमति को दबाना और चुनौतीपूर्ण हो सकता है.


