इजरायली हमले में बड़ा झटका: ईरान के छह टॉप परमाणु वैज्ञानिक मारे गए
इज़रायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने इस हमले को ईरान की बढ़ती परमाणु क्षमताओं को रोकने के लिए एक पूर्व-निवारक कदम बताया. उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य ईरान को हथियार बनाने से पहले ही उसकी परमाणु क्षमता को नष्ट करना था.

शुक्रवार को इज़राइल ने "राइजिंग लॉयन" नामक एक व्यापक सैन्य अभियान शुरू किया. इसमें ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया. यह ऑपरेशन ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अब तक का सबसे गंभीर हमला माना जा रहा है. इजरायली हमलों का मुख्य उद्देश्य ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकना बताया गया है.
6 जाने-माने परमाणु वैज्ञानिकों की मौत
इन हमलों में विशेष रूप से नतांज़ यूरेनियम संवर्धन केंद्र और तेहरान स्थित सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया. हमलों में 6 जाने-माने परमाणु वैज्ञानिकों की मौत हो गई. इनमें फ़ेरेदून अब्बासी (पूर्व परमाणु ऊर्जा संगठन प्रमुख), मोहम्मद मेहदी तेहरांची (सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी), अब्दुलहामिद मिनोचेहर, अहमदरेज़ा ज़ोल्फ़ागरी, सैय्यद अमीरहुसैन फाक़ी और मोतलाबिज़ादेह शामिल हैं. ये वैज्ञानिक ईरान के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम से सीधे जुड़े माने जाते थे और कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध सूची में शामिल थे.
इसके अतिरिक्त, ईरान के तीन शीर्ष सैन्य अधिकारी मेजर जनरल मोहम्मद बाघेरी, मेजर जनरल हुसैन सलामी और मेजर जनरल घोलम अली रशीद भी इन हमलों में मारे गए. इन अधिकारियों की भूमिका रणनीतिक सैन्य संचालन और योजनाओं में अत्यंत महत्वपूर्ण थी.
ईरान की तीखी प्रतिक्रिया
ईरान ने इन हमलों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने “कठोर बदले” की चेतावनी दी है. अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने पुष्टि की है कि संवेदनशील स्थलों से किसी प्रकार का रेडिएशन लीक नहीं हुआ है.
यह घटना न केवल ईरान-इजरायल संबंधों में तनाव बढ़ा रही है, बल्कि पूरे क्षेत्र में भू-राजनीतिक अस्थिरता को जन्म दे सकती है. अमेरिका ने इन हमलों से दूरी बनाई है, लेकिन क्षेत्रीय संघर्ष की आशंका जताई है. साथ ही, नियोजित अमेरिका-ईरान परमाणु वार्ताएं भी अब संकट में पड़ गई हैं.


