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अफगानिस्तान में भुखमरी का भयानक संकट: लाखों लोग भूख से जूझ रहे, जानिए क्या हैं मुख्य कारण

अफगानिस्तान आज एक बहुत गहरे मानवीय संकट से जूझ रहा है. लाखों लोग रोज रोटी की तलाश में भटक रहे हैं. बढ़ती बेरोजगारी, हर तरफ फैलती भुखमरी और वापस लौट रहे शरणार्थियों ने हालात को और भी भयावह बना दिया है.

Goldi Rai
Edited By: Goldi Rai

नई दिल्ली: अफगानिस्तान इस समय गंभीर मानवीय संकट के दौर से गुजर रहा है. लाखों लोगों के लिए जीवनयापन का एकमात्र सहारा मानवीय सहायता थी, लेकिन अब वही मदद भी धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है. अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस समिति (ICRC) के मुताबिक, वर्ष 2025 में देश की करीब 2.29 करोड़ आबादी को किसी न किसी रूप में मानवीय सहायता की जरूरत पड़ी है, जो कुल जनसंख्या का लगभग आधा हिस्सा है.

हालात इसलिए और चिंताजनक हो गए हैं क्योंकि अंतरराष्ट्रीय फंडिंग में भारी कटौती की गई है. अमेरिका समेत कई देशों ने अपनी सहायता कम कर दी है, जिससे वर्ल्ड फूड प्रोग्राम जैसे संगठन सीमित संसाधनों के साथ काम करने को मजबूर हैं. नतीजतन, करोड़ों लोग ऐसे हैं जो बिना बाहरी मदद के दो वक्त की रोटी भी नहीं जुटा पा रहे.

सर्दियों में बढ़ी भूख की मार

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य कार्यक्रम ने चेतावनी दी है कि इस सर्दी में लगभग 1.7 करोड़ अफगान गंभीर भूख की चपेट में हैं. यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में 30 लाख से अधिक है. भीषण ठंड, बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई ने हालात को और ज्यादा खराब बना दिया है.

अफगानिस्तान पहले से ही कमजोर अर्थव्यवस्था से जूझ रहा है. इसके ऊपर सूखा, भूकंप और पड़ोसी देशों से लाखों शरणार्थियों की वापसी ने संकट को और गहरा कर दिया है. खाने, रहने और इलाज तीनों के लिए संसाधनों की भारी कमी महसूस की जा रही है.

अंतरराष्ट्रीय मदद में आई रुकावट

संयुक्त राष्ट्र के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, यह कई वर्षों में पहली बार है जब सर्दियों के दौरान लगभग कोई अंतरराष्ट्रीय खाद्य वितरण नहीं हो पाया. जहां 2024 में 56 लाख लोगों तक खाद्य सहायता पहुंची थी, वहीं 2025 में यह संख्या घटकर केवल 10 लाख रह गई.

फंड की कमी का असर भविष्य की योजनाओं पर भी साफ दिखाई दे रहा है. उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, 2026 में संयुक्त राष्ट्र केवल 39 लाख सबसे जरूरतमंद लोगों तक ही सहायता सीमित रखने की योजना बना रहा है.

शरणार्थियों की वापसी 

अफगानिस्तान के शरणार्थी मामलों के मंत्री अब्दुल कबीर के अनुसार, पिछले चार वर्षों में करीब 71 लाख अफगान शरणार्थी देश लौट चुके हैं. इनमें से कई लोग ऐसे हैं जिनके पास न रोजगार है और न ही रहने की स्थायी व्यवस्था.

रहीमुल्लाह भी इन्हीं लौटने वालों में शामिल हैं. वह पहले अफगान सेना का हिस्सा थे. 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद उन्होंने पाकिस्तान में शरण ली थी, लेकिन दो साल बाद उन्हें वापस भेज दिया गया. ऐसे हजारों लौटे हुए शरणार्थी आज अफगानिस्तान के पहले से चरमराए संसाधनों पर अतिरिक्त बोझ बन चुके हैं.

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28 December 2025, 09:50 AM IST

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