ट्रंप के टैरिफ के बाद अमेरिका में मचा हाहाकार, बढ़ती कीमतों से कराह रहे अमेरिकी
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को फिर से सस्ता बनाने का वादा किया था, लेकिन उनकी नीतियों ने उलटा असर दिखाया है. बढ़ते टैरिफ और कर बदलावों के चलते देश में रोज़मर्रा की चीज़ों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं.

डोनाल्ड ट्रम्प ने 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में अमेरिका को सस्ता बनाना अपना मुख्य वादा बनाया था. अगस्त 2024 में उनकी रैली में उन्होंने कहा था कि मैं जो जीतने के साथ ही कीमतें तुरंत गिराने वाला हूं. लेकिन बतौर राष्ट्रपति उनके दूसरे कार्यकाल की कुछ नीतियां विशेषकर टैरिफ और अन्य आर्थिक बदलाव ने अमेरिकी परिवारों के लिए किफायती बनाम असाध्य बना दिया.
बुनियादी चीजों की कीमतें बढ़ी
जनवरी 2025 में शपथ ग्रहण के बाद, किराने के सामान और बिजली बिल जैसी बुनियादी चीजों की कीमतें बढ़ती ही जा रही हैं. अर्थशास्त्रियों के अनुसार इसके मुख्य कारण आयात पर लगाए गए भारी टैरिफ और जुलाई में पारित वन बिग ब्यूटीफुल बिल एक्ट हैं.
एक बड़ी बदलाव यह है कि ट्रम्प प्रशासन ने "डी- मिनिमिस" नियम को समाप्त कर दिया, जिसे पूर्व में 800 डॉलर तक के पैकेजों को ड्यूटी-फ्री प्रवेश की अनुमति थी. इसका असर छह महीने पहले चीन और हांगकांग पर लागू होने के बाद अब पूरी विश्वव्यापी सीमा पर लागू हो चुका है. इससे ऑनलाइन खरीदारी और छोटे व्यवसायों को खासा झटका लगा है, जबकि अमेरिका में कम लागत वाले सामान की उपलब्धता घटने और कीमत बढ़ने की आशंका जताई गई है.
इसके अलावा, हाल ही में ट्रम्प के वैश्विक टैरिफ़ नीति को अमेरिकी अपीलीय न्यायालय ने असंवैधानिक ठहराया है. यह कहकर कि राष्ट्रपति को ऐसे टैरिफ लगाने का अधिकार संविधान प्रदान नहीं करता. हालांकि अदालत ने इन्हें वरिष्ठ अदालत के फैसले तक अस्थायी रूप से लागू रहने की अनुमति दे दी है.
आम अमेरिकी परिवारों की चिंता
किराने की महंगाई आम अमेरिकी परिवारों की चिंता का मुख्य कारण बन चुकी है. USDA के अनुसार जून से जुलाई तक खाद्य CPI में 0.2% की वृद्धि हुई है और साल अंत तक यह दर लगभग 3.4% तक पहुंच सकती है जो कि पिछले 20 वर्षों के औसत से अधिक है.
सामान्य अमेरिकी परिवार भी इस दबाव को स्पष्ट महसूस कर रहे हैं. विशेषकर निम्न-आय वर्ग के, जहां 64% लोग किराने के खर्च को तनाव का मुख्य कारण बता रहे हैं, जबकि उच्च-आय वर्ग में यह दर 40% है.
अमेरिकी परिवारों पर भारी आर्थिक बोझ
इन सब बदलावों का संयुक्त परिणाम यह हुआ है कि ट्रम्प का वादा अमेरिका को फिर से किफायती बनाना उल्टा तब्दील हो गया है. बढ़ते टैरिफ, ऊर्जा और खाद्य कीमतों ने अमेरिकी परिवारों पर भारी आर्थिक बोझ डाल दिया है और विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्थिति से उबरने में लंबा वक्त लग सकता है.


