NATO चीफ के बयान से बेहद गुस्से में पुतिन, यूक्रेन का 'सर्वनाश' करने की दे डाली धमकी!
रूस-यूक्रेन युद्ध को चार साल से ज्यादा हो चुके हैं. ऐसे में नाटो महासचिव मार्क रुट्टे के एक बयान ने विवाद ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन को आग बबूला कर दिया हैं. उनका बयान आग में घी डालने का काम कर रहा.

रूस-यूक्रेन युद्ध को चार साल से ज्यादा हो चुके हैं, और अब नाटो महासचिव मार्क रुट्टे के एक बयान ने विवाद खड़ा कर दिया है. रुट्टे ने कहा था कि नाटो को उस बड़े युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिए, जैसा हमारे दादा-परदादा ने झेला. इस पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुस्से में आ गए.
उन्होंने पश्चिमी देशों पर रूस के खिलाफ झूठा डर फैलाने का आरोप लगाया और यूक्रेन को सख्त चेतावनी दी कि अगर शांति बातचीत नाकाम हुई तो रूस सैन्य ताकत से अपने दावे वाले इलाकों पर कब्जा कर लेगा.
पुतिन का तीखा हमला
पुतिन ने कहा कि पश्चिमी नेता जानबूझकर यूरोपीय लोगों में रूस से युद्ध का डर पैदा कर रहे हैं. उन्होंने इसे 'उन्माद और सरासर झूठ' बताया. पुतिन बोले, "रूस यूरोपीय देशों के लिए कोई खतरा नहीं है, लेकिन यह सब रूस-विरोधी प्रचार है."
उन्होंने जोर देकर कहा कि रूस शांति के लिए कूटनीतिक रास्ता चुनना चाहता है, लेकिन अगर यूक्रेन और उसके पश्चिमी समर्थक बातचीत से मुकर गए तो रूस जबरन उन क्षेत्रों को अपने नियंत्रण में ले लेगा. रूस फिलहाल यूक्रेन के 19 प्रतिशत से ज्यादा हिस्से पर कब्जा दावा करता है, खासकर पूर्वी डोनबास इलाके पर.
यूक्रेन को सीधी धमकी
पुतिन ने साफ शब्दों में कहा कि अगर विरोधी पक्ष ठोस वार्ता से इनकार करता है तो 'सैन्य साधनों' से यूक्रेनी जमीन पर कब्जा किया जाएगा. उन्होंने डोनबास के बाकी हिस्सों को छोड़ने की मांग दोहराई.
यह बयान ऐसे समय आया है जब यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की अमेरिका के साथ युद्ध खत्म करने के समझौते पर चर्चा कर रहे हैं. वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यूरोप के सबसे घातक संघर्ष को जल्द खत्म करने पर जोर दे रहे हैं.
क्या था नाटो महासचिव का बयान ?
बर्लिन में दिए भाषण में मार्क रुट्टे ने कहा कि कई नाटो सदस्य रूस के खतरे को हल्के में ले रहे हैं. उन्होंने रक्षा खर्च और उत्पादन बढ़ाने की अपील की. रुट्टे बोले, "रूस हमारा अगला निशाना है. लोग स्थिति की गंभीरता नहीं समझ रहे. संघर्ष हमारे दरवाजे पर है, रूस ने यूरोप में युद्ध ला दिया. हमें तैयार रहना होगा."
उन्होंने बड़े युद्ध की तुलना दादा-परदादा के समय से की, जो पुतिन को नागवार गुजरी. यह विवाद बताता है कि युद्ध खत्म होने के बजाय और गहरा सकता है. दोनों पक्षों की सख्ती से शांति की उम्मीद कम लग रही है.


