ट्रंप का बड़ा फैसला, अमेरिकियों की अवैध गिरफ्तारी करने वाले देशों को काली सूची में डालने का फरमान जारी किया
वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों ने खुलासा किया कि अमेरिका उन देशों पर कड़ी नजर रखेगा जो गलत तरीके से अमेरिकी नागरिकों को हिरासत में ले रहे हैं. इसके अलावा उन देशों को भी निशाना बनाया जाएगा जो बंधक कूटनीति का सहारा ले रहे हैं. इनमें चीन, ईरान और अफगानिस्तान जैसे देश शामिल हैं. एक अधिकारी ने बताया कि इन देशों में बंधक बनाए गए लोगों के मामलों की गहन समीक्षा की जाएगी.

USForeignPolicy: अमेरिकी प्रशासन ने एक सख्त और निर्णायक नीति लागू करते हुए उन देशों के खिलाफ दंडात्मक कदम उठाने की तैयारी कर ली है, जो अमेरिकी नागरिकों को अनुचित तरीके से हिरासत में रखते हैं. इस नई नीति का मकसद बंधक कूटनीति का अंत करना है. जिसमें विदेशी सरकारें अमेरिकी नागरिकों को राजनीतिक या कूटनीतिक लाभ के लिए मोहरे के रूप में इस्तेमाल करती हैं. अमेरिका अब उन देशों को औपचारिक रूप से चिन्हित करेगा और प्रतिबंध, निर्यात नियंत्रण और वीजा प्रतिबंध जैसे सख्त उपाय लागू करेगा.
वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि चीन, ईरान और अफगानिस्तान सहित कई देशों की गतिविधियों की गहन समीक्षा की जा रही है. ट्रंप प्रशासन के मुताबिक यह नीति अमेरिकी नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की दिशा में एक निर्णायक कदम है, जिससे यह स्पष्ट संदेश जाएगा कि किसी भी अमेरिकी नागरिक को अनुचित रूप से हिरासत में लेना अब गंभीर परिणामों के साथ आएगा. जो भी अमेरिकियों को सौदेबाजी के लिए इस्तेमाल करेगा उसे इसकी कीमत चुकानी होगी.
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने क्या कहा?
जो कोई भी किसी अमेरिकी को सौदेबाजी के लिए इस्तेमाल करेगा उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी. यह प्रशासन न केवल अमेरिका को प्राथमिकता दे रहा है, बल्कि अमेरिकियों को भी प्राथमिकता दे रहा है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह प्रतिबंध उसी तरह से लगाए जाएंगे जैसे अमेरिका विदेशी आतंकवादी संगठनों पर लागू करता है. इसमें आर्थिक और कूटनीतिक दंड, निर्यात पर नियंत्रण, और दोषी देशों के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर रोक जैसे उपाय शामिल होंगे.
ट्रंप प्रशासन
एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि आज दुष्ट शासनों और उन शासनों के संबंध में सब कुछ बदल गया है. जो सोचते हैं कि अमेरिकियों के साथ मोहरे की तरह व्यवहार किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप ने जनवरी में पदभार संभालने के बाद से विदेशों में बंद अमेरिकी नागरिकों की सुरक्षित वापसी को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है. इस पहल के तहत अब तक रूस और अफगानिस्तान समेत 72 अमेरिकियों की रिहाई सुनिश्चित की जा चुकी है.
अधिकारियों के अनुसार नई नीति के अंतर्गत अमेरिका सबसे पहले किसी देश को नोटिस देगा यदि वह अमेरिकी नागरिक को अनुचित तरीके से बंदी बनाता है. इसके बाद वाशिंगटन उस देश को प्रतिबंधों से बचने का अवसर देगा. यदि संतोषजनक प्रगति नहीं हुई तो कड़े प्रतिबंध लगाए जाएंगे. एक अधिकारी ने कहा कि इसका उद्देश्य लोगों में वास्तव में बहुत मजबूत प्रेरणा पैदा करना है ताकि वे किसी अमेरिकी को लेने से पहले सोचें और जो लोग पकड़े गए हैं. उन्हें वापस लौटा दें.
ईरान और रूस की भूमिका पर खास निगाह
अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में रूस के पास नौ अमेरिकी नागरिक और ईरान के पास लगभग आठ अमेरिकी बंदी हैं. ईरान, जिसे अमेरिका पहले से ही आतंकवाद का प्रायोजक देश घोषित कर चुका है, सख्त प्रतिबंधों के तहत है. वहीं, रूस भी यूक्रेन पर आक्रमण के चलते अंतरराष्ट्रीय दबाव में है. सूत्रों के अनुसार अमेरिका ने रूस को उन नौ अमेरिकियों की सूची पहले ही सौंप दी है, जिन्हें वाशिंगटन वापस चाहता है. ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में अमेरिकी शिक्षक और पूर्व राजनयिक मार्क फोगेल तथा रूसी-अमेरिकी बैले नर्तकी केन्सिया करेलिना की रिहाई भी सुनिश्चित की है.
चीन और वेनेजुएला पर भी कड़ी नजर
चीन द्वारा लगाए गए निकास प्रतिबंधों को लेकर अमेरिका-चीन संबंधों में भी तनाव बना हुआ है. जुलाई में अमेरिकी विदेश विभाग ने बताया था कि एक अमेरिकी अधिकारी को बीजिंग में यात्रा के दौरान देश छोड़ने से रोका गया. अमेरिका वेनेजुएला में भी अमेरिकी नागरिकों की नजरबंदी को लेकर गहरी चिंता जता चुका है.
बंधक कूटनीति पर अमेरिका की निर्णायक कार्रवाई
ग्लोबल रीच नामक गैर-लाभकारी संस्था, जो विदेशों में बंद अमेरिकियों की रिहाई के लिए कार्यरत है, ने अमेरिकी सरकार के इस नए कदम की सराहना की. संस्था के सीईओ मिकी बर्गमैन ने कहा कि यह पदनाम कुछ ऐसा है जो हिरासत में लिए गए अमेरिकियों को घर लाने और आपत्तिजनक देशों को 'बंधक कूटनीति' में शामिल होने से रोकने के अमेरिकी सरकार के प्रयासों को वास्तविक शक्ति प्रदान करेगा.


