ट्रंप की टैरिफ नीति को US कोर्ट से बड़ा झटका! अदालत ने फैसले को बताया असंवैधानिक, भड़के राष्ट्रपति बोले- टैरिफ हटा तो देश होगा तबाह
अमेरिकी अदालत ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति को अवैध करार दिया, जिसमें उन्होंने IEEPA कानून के तहत चीन, कनाडा और मैक्सिको पर शुल्क लगाए थे. कोर्ट का कहना है कि राष्ट्रपति को टैरिफ लगाने का अधिकार नहीं है. ट्रंप ने फैसले को गलत बताया और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का ऐलान किया. उनका दावा है कि टैरिफ से अमेरिका की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है.

Donald Trump Tariff Policy : अमेरिका की फेडरल अपील्स कोर्ट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस नीति को गैरकानूनी घोषित कर दिया जिसमें उन्होंने विभिन्न देशों पर टैरिफ यानी शुल्क लगाए थे. अदालत ने कहा कि ट्रंप ने अपने अधिकारों से बाहर जाकर ये फैसले लिए, जो कि कानून के अनुसार गलत हैं. हालांकि, अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि ये टैरिफ 14 अक्टूबर तक लागू रहेंगे ताकि ट्रंप प्रशासन को अमेरिका की सर्वोच्च अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का समय मिल सके. यह फैसला ट्रंप की आर्थिक नीतियों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि टैरिफ उनके कार्यकाल की एक प्रमुख रणनीति रही है.
कोर्ट ने टैरिफ लगाने के अधिकार पर उठाए सवाल
किन टैरिफ को माना गया अवैध
इस फैसले के तहत अदालत ने उन टैरिफ को अवैध माना है जो ट्रंप प्रशासन ने अप्रैल महीने में “रेसिप्रोकल टैरिफ” के रूप में लागू किए थे. इस नीति के तहत ट्रंप ने कहा था कि जो देश अमेरिका पर ज्यादा शुल्क लगाते हैं, उन पर अमेरिका भी उतना ही या उससे ज्यादा शुल्क लगाएगा. इसके साथ-साथ चीन, कनाडा और मैक्सिको जैसे देशों पर फरवरी में लगाए गए कुछ टैरिफ भी इस फैसले की जद में आ गए हैं. हालांकि, स्टील और एल्युमिनियम पर लगाए गए शुल्क, जो एक अलग कानून के तहत लाए गए थे, उन पर यह फैसला लागू नहीं होता.
टैरिफ के खिलाफ किन लोगों ने मुकदमा दायर किया?
अदालत में यह मामला दो अलग-अलग पक्षों द्वारा उठाया गया था. पहला मामला पांच छोटे अमेरिकी व्यवसायों ने दायर किया था, जो मानते हैं कि ट्रंप की टैरिफ नीति ने उनके व्यापार को नुकसान पहुँचाया. दूसरा मामला 12 डेमोक्रेटिक-शासित राज्यों ने मिलकर दायर किया. दोनों ही पक्षों का तर्क था कि अमेरिका के संविधान के अनुसार टैरिफ और टैक्स लगाने का अधिकार केवल कांग्रेस को है, न कि राष्ट्रपति को. और अगर ऐसा कोई अधिकार देना हो, तो वह साफ-साफ और सीमित रूप में कानून में लिखा होना चाहिए.
ट्रंप की प्रतिक्रिया, पक्षपातपूर्ण और गलत
कोर्ट के इस फैसले पर डोनाल्ड ट्रंप ने तीखा बयान जारी किया और इसे पक्षपातपूर्ण और गलत बताया. ट्रंप ने कहा कि अदालत का यह फैसला अमेरिकी मजदूरों और उद्योगों के खिलाफ है और अगर टैरिफ हटा दिए गए, तो यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए विनाशकारी साबित होगा. उन्होंने अपने बयान में लिखा, “सभी टैरिफ अभी भी लागू हैं! एक अत्यधिक पक्षपाती अदालत ने गलत फैसला दिया है, लेकिन हमें पूरा भरोसा है कि अंत में अमेरिका की ही जीत होगी.” ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिका अब और व्यापार घाटा बर्दाश्त नहीं करेगा और न ही उन देशों के अनुचित टैरिफ, जो हमारे किसानों और कंपनियों को नुकसान पहुंचाते हैं.
श्रमिकों के समर्थन में टैरिफ को बताया जरूरी
ट्रंप ने इस फैसले के ठीक पहले ‘लेबर डे वीकेंड’ की शुरुआत पर एक संदेश जारी किया, जिसमें उन्होंने टैरिफ को अमेरिका के श्रमिकों और ‘Made in America’ उत्पादों की रक्षा का सबसे अच्छा तरीका बताया. उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों ने अमेरिका को कमज़ोर कर दिया था, लेकिन अब अमेरिका को फिर से आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का समय आ गया है. उन्होंने भरोसा जताया कि सुप्रीम कोर्ट इस फैसले को पलटेगा और टैरिफ नीति को कानूनी रूप से वैध ठहराएगा.
अब सुप्रीम कोर्ट में होगी अंतिम लड़ाई
अभी के लिए, ट्रंप की टैरिफ नीति को अदालत ने अवैध मान लिया है, लेकिन अंतिम निर्णय अब सुप्रीम कोर्ट करेगा. ट्रंप अपने फैसले पर अडिग हैं और मानते हैं कि यह नीति अमेरिका की सुरक्षा और आर्थिक मजबूती के लिए बेहद जरूरी है. आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सर्वोच्च न्यायालय इस पर क्या रुख अपनाता है और क्या ट्रंप की नीति को कानूनी ठहराया जाता है या नहीं.


