फरवरी चुनाव से पहले बड़ा कदम, मंत्रिमंडल के दो दिग्गज सलाहकारों ने छोड़ा पद
बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के दो प्रमुख छात्र नेता सलाहकारों ने आगामी फरवरी में होने वाले संसदीय चुनाव से ठीक पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.

बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के दो प्रमुख छात्र नेता सलाहकारों ने आगामी फरवरी में होने वाले संसदीय चुनाव से ठीक पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. महफूज आलम और आसिफ महमूद शोजिब भुइयां ने यह कदम उस फैसले के बाद उठाया जिसमें निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया था कि अंतरिम सरकार में सलाहकार पद पर रहकर कोई भी व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता.
दोनों नेताओं ने दिया त्यागपत्र
इसके बाद दोनों नेताओं ने प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार से अपने पदों से त्यागपत्र दे दिया. मुख्य सलाहकार के प्रेस विंग ने बुधवार को जारी बयान में कहा कि महफूज आलम और आसिफ महमूद शोजिब भुइयां ने मंत्रिमंडल की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए स्वेच्छा से इस्तीफा दिया है. माना जा रहा है कि दोनों नेता आगामी संसदीय चुनाव में भाग लेंगे. वहीं, मुख्य चुनाव आयुक्त गुरुवार को चुनावी कार्यक्रम की औपचारिक घोषणा करेंगे.
महफूज आलम और आसिफ महमूद शोजिब भुइयां वे छात्र नेता हैं जिन्होंने जुलाई 2024 में शेख हसीना सरकार के खिलाफ हुए बड़े जन-विद्रोह का नेतृत्व किया था. महफूज आलम सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में सलाहकार थे, जबकि आसिफ महमूद को स्थानीय सरकार, ग्रामीण विकास, सहकारिता मंत्रालय और युवा एवं खेल मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई थी.
5 अगस्त 2024 को अवामी लीग सरकार का पतन
बांग्लादेश में 5 अगस्त 2024 को अवामी लीग सरकार के पतन और बड़े जन-विद्रोह के बाद 8 अगस्त को नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन किया गया था. वर्तमान में सलाहकार परिषद में मुख्य सलाहकार समेत कुल 23 सदस्य हैं, जिनमें अब ये दो छात्र प्रतिनिधि बाहर हो गए हैं.
गौरतलब है कि सरकार गठन के समय एक और प्रमुख छात्र नेता, मोहम्मद नाहिद इस्लाम भी सलाहकार परिषद का हिस्सा थे. उन्होंने 25 फरवरी को इस्तीफा देकर नवगठित राष्ट्रीय नागरिक पार्टी (एनसीपी) के संयोजक का पद संभाला था. एनसीपी उस जुलाई के जन-आंदोलन से उभरे युवाओं की नई राजनीतिक पार्टी है.
विश्लेषकों का मानना है कि महफूज आलम और आसिफ महमूद शोजिब भुइयां का यह कदम न केवल चुनाव की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से है, बल्कि यह संकेत भी देता है कि छात्र नेता भविष्य में राजनीतिक सक्रियता के नए आयाम तलाशने जा रहे हैं.


