यूक्रेन की लूट: रूस से ज्यादा अब अमेरिका ने किया कब्जा, क्या है इसके पीछे का खेल?'
रूस-यूक्रेन युद्ध के तीन साल बाद एक नई सच्चाई सामने आ रही है. अमेरिका ने यूक्रेन को पहले युद्ध में झोंका और अब उसकी खनिज संपत्तियों और अर्थव्यवस्था पर कब्जा जमा रहा है. ब्लैकरॉक, जॉर्ज सोरोस, और अन्य अमेरिकी कंपनियां यूक्रेन के तेल, गैस और दुर्लभ खनिजों को लूटने की दौड़ में शामिल हो चुकी हैं. ट्रंप और बाइडेन दोनों ने इस देश की दौलत पर हाथ साफ किया है, और अब सवाल उठ रहा है कि क्या यूक्रेन सचमुच स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहा है, या फिर यह सब एक बड़ी वैश्विक सौदेबाजी का हिस्सा है? जानिए, इस संघर्ष की असल कहानी क्या है!

Ukraine Struggle: यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध को तीन साल हो चुके हैं, और अब इस संघर्ष के असली मकसद की सच्चाई और भी ज्यादा सामने आ रही है. क्या आप जानते हैं कि अमेरिका ने यूक्रेन को पहले युद्ध के लिए उकसाया और अब उसकी खनिज संपत्तियों और अर्थव्यवस्था पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है?
अमेरिकी कंपनियों की लूट-खसोट
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिका के कई बड़े निवेशक और कंपनियां यूक्रेन की खनिज संपत्तियों पर कब्जा जमाने की कोशिश में लगी हैं. ब्लैकरॉक, जॉर्ज सोरोस की कंपनियां, हैलिबर्टन, और अन्य अमेरिकी कंपनियां यूक्रेन के तेल, गैस और दुर्लभ खनिजों पर नियंत्रण की होड़ में हैं. इन कंपनियों ने युद्ध के बाद के आर्थिक पुनर्निर्माण के बहाने यूक्रेनी उद्योगों पर कब्जा करना शुरू कर दिया है.
यूक्रेन की खनिज संपत्तियों पर कब्जा
यूक्रेन में लिथियम, टाइटेनियम, निकल और अन्य दुर्लभ खनिजों के बड़े भंडार हैं, जो पश्चिमी देशों और खासकर अमेरिका के लिए बेहद कीमती हैं. इन खनिजों का इस्तेमाल हथियार, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, और ग्रीन एनर्जी टेक्नोलॉजी में होता है, और यही कारण है कि अमेरिका इन खनिजों को अपने नियंत्रण में लेना चाहता है.
ट्रंप और बाइडेन का दबाव
डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडेन दोनों ही यूक्रेन के खनिज संसाधनों पर अमेरिकी कंपनियों का कब्जा स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं. ट्रंप ने यह प्रस्ताव रखा था कि अमेरिकी कंपनियां यूक्रेन के खनिज संसाधनों पर लगभग 500 अरब डॉलर का निवेश करें. लेकिन जब यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने इस प्रस्ताव पर विचार नहीं किया, तो अमेरिकी कंपनियों ने यूक्रेन पर दबाव बढ़ा दिया, और यहां तक कि सैन्य सहायता को रोकने और इंटरनेट सेवाओं को बंद करने तक की धमकियां दीं.
यूक्रेन की आर्थिक स्थिति पर सवाल
यहां सवाल उठता है कि क्या अमेरिका ने यूक्रेन को सिर्फ एक मोहरा बना दिया है? क्या यूक्रेन को अब अमेरिका के आर्थिक उपनिवेश में बदलने की तैयारी हो रही है? क्या इस युद्ध के पीछे सच में यूक्रेन की स्वतंत्रता की लड़ाई है, या फिर यह सिर्फ अमेरिका और रूस के बीच एक वैश्विक सौदेबाजी का हिस्सा है? अब यूक्रेन दो मोर्चों पर युद्ध लड़ रहा है: एक रूस के खिलाफ और दूसरा अमेरिका की आर्थिक लूट के खिलाफ.
इस युद्ध के तीन साल बाद, यूक्रेन अब अपनी स्वतंत्रता की बजाय दो शक्तिशाली देशों के बीच एक राजनीतिक और आर्थिक मोहरे की तरह दिखाई दे रहा है. अमेरिका ने पहले इसे युद्ध में झोंका, और अब यह देश अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है. यह संघर्ष क्या सचमुच यूक्रेन के लोगों के लिए है, या फिर यह सिर्फ एक वैश्विक शक्ति संघर्ष का हिस्सा बन चुका है, यह सवाल अब हर किसी के मन में है.


