कौन हैं रिकी गिल? अमेरिका का दावा भारत-पाकिस्तान सीजफायर में निभाई अहम भूमिका, मिला पुरस्कार
37 वर्षीय भारतीय अमेरिकी रंजीत ‘रिकी’ गिल को भारत-पाकिस्तान युद्धविराम में कथित योगदान के लिए पुरस्कार मिला है, इसके बाद लगातार सवाल उठ रहे हैं. दरअसल भारत ने ट्रंप प्रशासन की भूमिका से इनकार किया है.

नई दिल्लीः अमेरिकी राजनीति और विदेश नीति के क्षेत्र में भारतीय मूल के 37 वर्षीय रंजीत ‘रिकी’ सिंह गिल चर्चा का केंद्र बन गए हैं. कैलिफोर्निया में 2012 में 24 वर्ष की आयु में प्रतिनिधि सभा के लिए चुनाव लड़ने वाले गिल ने उस समय सुर्खियां बटोरीं, लेकिन डेमोक्रेट जेरी मैकनेर्नी से हार गए. हालांकि उनकी राजनीतिक उपलब्धियां सीमित थीं, लेकिन अब वे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार के रूप में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम वार्ता में भूमिका निभाने के कथित कारणों से चर्चा में हैं.
युद्धविराम और पुरस्कार
गिल को हाल ही में नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल (NSC) द्वारा विशेष कार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया. ट्रंप प्रशासन ने यह स्पष्ट नहीं किया कि गिल ने भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई को हुए युद्धविराम में किस प्रकार योगदान दिया. भारत ने कई बार इस दावे को खारिज किया है. फिर भी, इस पुरस्कार ने गिल को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाई और उन्हें सुर्खियों में ला दिया.
रिकी गिल का प्रोफाइल
गिल का जन्म न्यू जर्सी के लोदी में हुआ था. उनके माता-पिता पंजाबी सिख अप्रवासी हैं. उन्होंने प्रिंसटन विश्वविद्यालय के वुडरो विल्सन स्कूल ऑफ पब्लिक एंड इंटरनेशनल अफेयर्स से स्नातक की पढ़ाई की और बाद में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले से कानून में डिग्री प्राप्त की.
गिल ने बहुत कम उम्र में सार्वजनिक सेवा में प्रवेश किया. 17 वर्ष की उम्र में उन्हें कैलिफोर्निया के गवर्नर अर्नोल्ड श्वार्ज़नेगर ने राज्य शिक्षा बोर्ड में छात्र सदस्य के रूप में नियुक्त किया. ट्रंप प्रशासन में, वे राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में दक्षिण और मध्य एशिया के वरिष्ठ निदेशक और ट्रंप के विशेष सहायक के रूप में काम कर चुके हैं. पहले कार्यकाल में उन्होंने रूस और यूरोपीय ऊर्जा सुरक्षा के निदेशक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
महत्वपूर्ण कार्य और अनुभव
गिल ने अमेरिकी विदेश विभाग के विदेशी भवन संचालन ब्यूरो में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में भी कार्य किया. 2018 में उन्होंने इज़राइल में अमेरिकी दूतावास को यरुशलम स्थानांतरित करने के संवेदनशील कार्य की निगरानी की, जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विवादास्पद रहा. इसके अलावा, उन्होंने नीति सलाहकार के रूप में टीसी एनर्जी में भी काम किया, जो कनाडा से अमेरिका तक तेल पाइपलाइन संचालित करती है.
पुरस्कार पर विवाद
गिल को युद्धविराम वार्ता में योगदान के लिए पुरस्कार मिलने के बाद भारतीय विशेषज्ञों के बीच हलचल मची. पूर्व विदेश सचिव कंवल सिबल ने इसे "भ्रमित करने वाला" करार दिया और कहा कि यह भारत को चिढ़ाने की कोशिश हो सकती है. सेवानिवृत्त सिविल सेवक एनएन ओझा ने सवाल उठाया कि क्या यह ट्रंप प्रशासन का मोदी सरकार के दावे को खारिज करने का प्रयास है कि युद्धविराम में किसी तीसरे देश की भूमिका नहीं थी.


