फिलिस्तीन बनेगा नया देश? भारत समेत 142 देशों ने किया समर्थन, जानें क्या बोले UN महासचिव
Palestine state recognition: संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि फिलिस्तीन का राज्य दर्जा उसका अधिकार है और इसके बिना चरमपंथ बढ़ेगा. उन्होंने दो-राज्य समाधान को स्थायी शांति की कुंजी बताया. फ्रांस, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया समेत 140+ देशों ने फिलिस्तीन को मान्यता दी. भारत ने भी समर्थन किया. यह कदम गाजा युद्ध और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच अहम माना जा रहा है.

Palestine state recognition संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने न्यूयॉर्क में सदस्य देशों को संबोधित करते हुए कहा कि फिलिस्तीनियों के लिए राज्य का दर्जा कोई पुरस्कार नहीं बल्कि अधिकार है. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि फिलिस्तीन को यह मान्यता नहीं दी जाती, तो यह चरमपंथियों के लिए उपहार साबित होगा. गुटेरेस ने कहा कि मध्य पूर्व में स्थायी शांति केवल दो-राज्य समाधान से ही संभव है.
दो-राज्य समाधान पर संयुक्त राष्ट्र का समर्थन
गुटेरेस ने संयुक्त राष्ट्र की पुरानी नीति को दोहराते हुए कहा कि इजरायल और फिलिस्तीन को 1967 से पहले की सीमाओं के आधार पर संप्रभु और स्वतंत्र लोकतांत्रिक राज्य के रूप में मान्यता मिलनी चाहिए. उनके अनुसार, अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुरूप यरुशलम को दोनों देशों की साझा राजधानी होना चाहिए.
फ्रांस का बड़ा कदम
कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बाद अब फ्रांस ने भी फिलिस्तीन को औपचारिक रूप से एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता देने की घोषणा की. राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने न्यूयॉर्क में दो-राज्य समाधान पर आयोजित शिखर सम्मेलन में कहा कि समय आ गया है कि फिलिस्तीन को मान्यता दी जाए. यही एकमात्र समाधान है जिससे इजरायल शांति से रह सकेगा.
मैक्रों का बयान
राष्ट्रपति मैक्रों ने अपने संबोधन में कहा कि यह फैसला हमास की हार है और शांति की दिशा में जरूरी कदम है. उनका यह बयान गाजा में इजरायल के सैन्य अभियान पर बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच आया है. सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, मैक्रों ने संयुक्त राष्ट्र को स्पष्ट किया कि यदि दो-राज्य समाधान पर आगे नहीं बढ़ा गया तो क्षेत्र में अस्थिरता और बढ़ेगी.
पश्चिमी देशों की एकजुटता
फ्रांस से पहले कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने रविवार को फिलिस्तीन को मान्यता देने का ऐलान किया था. इन घोषणाओं का सीधा मकसद तेल अवीव पर दबाव बढ़ाना है ताकि युद्धविराम लागू हो और बातचीत का रास्ता खुले. ब्रिटेन और फ्रांस जैसे G7 और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों का यह रुख खास मायने रखता है.
वैश्विक स्तर पर फिलिस्तीन की स्थिति
अब तक 140 से अधिक देश फिलिस्तीन को मान्यता दे चुके हैं. हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इजरायल-फिलिस्तीन दो-राज्य समाधान को पुनर्जीवित करने वाला प्रस्ताव भारी बहुमत से पारित किया. भारत भी उन 142 देशों में शामिल था जिन्होंने इस प्रस्ताव का समर्थन किया. दिलचस्प बात यह है कि यह निर्णय इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के उस बयान के तुरंत बाद लिया गया जिसमें उन्होंने कहा था कि “फिलिस्तीनी राज्य कभी अस्तित्व में नहीं आएगा.


