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Holi 2025: 14 या 15 मार्च, कब मनाया जाएगा रंगों का त्योहार? जानिए सही तारीख और महत्व

होली, रंगों का त्योहार, भारत और दुनियाभर में खुशी, एकता और प्रेम का प्रतीक है. ये अच्छाई की बुराई पर विजय, वसंत के आगमन और सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा देने वाला पर्व है. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस बार होली किस दिन मनाई जाएगी, 14 या फिर 15 मार्च को.

रंगों का त्योहार, होली भारत और दुनियाभर में धूमधाम से मनाया जाता है. ये त्योहार अच्छाई की बुराई पर विजय, वसंत ऋतु के आगमन और खुशी, एकता का प्रतीक है. इस दिन परिवार और दोस्त एकत्रित होकर रंगों से खेलते हैं, नए रिश्ते बनाते हैं और त्योहारी माहौल में खो जाते हैं. इस दो दिवसीय उत्सव की तैयारी कई हफ्तें पहले शुरू हो जाती है, जब बाजारों में गुलाल, पानी की बंदूकें और पारंपरिक मिठाइयों से भरी दुकानें सज जाती हैं. सड़कों पर रंग-बिरंगे झंडे और चित्रों से सजी होती हैं, जो उत्सव के माहौल को और भी रोमांचक बना देती हैं. साल 2025 में होली मध्य मार्च में है, लेकिन क्या ये 14 मार्च को होगी या 15 मार्च को? आइए जानते हैं- 

कब मनाया जाएगा होली का त्योहार?

होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि ये हिंदू धर्म और परंपराओं से भी गहरे जुड़ा हुआ है. इस पर्व के दो प्रमुख चरण होते हैं:

होलिका दहन (छोटी होली): इस दिन लोग अग्नि जलाकर अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक बनाते हैं, जो हिंदू पुराणों में प्रह्लाद और होलिका की कहानी से जुड़ा हुआ है.
रंगवाली होली (धुलंडी): अगले दिन रंगों की होली खेली जाती है, जहां लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर नृत्य और संगीत के साथ इस पर्व का आनंद लेते हैं.

ऐसे में हिंदू कैलेंडर के अनुसार, होलिका दहन 13 मार्च 2025 को होगा, जबकि रंगवाली होली 14 मार्च 2025 को मनाई जाएगी.

होली का महत्व

होली अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है, जैसा कि होलिका और प्रह्लाद की कथा में देखा गया है. ये प्रेम, सौहार्द और खुशी का प्रतीक है, जो राधा और कृष्ण की सजीव मित्रता से प्रेरित है. होलिका दहन के दौरान ये पर्व एकता का संदेश देता है और नकारात्मकता को जलाकर जीवन में नयापन लाता है. होली वसंत और फसल के मौसम के आगमन का प्रतीक है, जो खुशी और आशा का संचार करता है.

कैसे मनाई जाती है होली?

होली के दिन लोग खुले स्थानों, सड़कों और पार्कों में एकत्र होते हैं और एक-दूसरे को रंगों से खेलते हैं. ये पर्व सामूहिकता की भावना को बढ़ावा देता है और सामाजिक भेदभाव को समाप्त करता है, क्योंकि विभिन्न पृष्ठभूमि के लोग इस उत्सव में हिस्सा लेते हैं. ये दिन पुराने विवादों को भुलाकर हंसी और खुशी के साथ रिश्तों को मजबूत करने का होता है.

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05 March 2025, 08:06 PM IST

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