International Women's Day 2025: भारत की वो वीरांगनाएं, जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए किया अपना सब कुछ न्यौछावर
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कई महिलाओं ने अपने साहस और समर्पण से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वीर महिलाओं ने संघर्ष के मैदान में योगदान दिया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नया दिशा दिया. इन महिलाओं का बलिदान और नेतृत्व आज भी आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता है.

भारत के स्वतंत्रता संग्राम की कहानी साहस, संघर्ष और बलिदान की है. इस संघर्ष में कुछ महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिक निभाई, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों के बीच भी अपने साहस और कड़ी मेहनत से देश की नियति को आकार दिया. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर, यहां भारत की उन टॉप स्वतंत्रता सेनानी महिलाओं की लिस्ट है जिन्होंने अपनी वीरता और समर्पण से देश को प्रेरित किया और जिनका योगदान आज भी आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता है.
रानी लक्ष्मीबाई: झांसी की रानी
रानी लक्ष्मीबाई, झांसी की रानी, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक प्रमुख प्रतीक बन गई. 1857 की क्रांति के दौरान ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष करते हुए, उन्होंने ना केवल अपनी साहसिकता का परिचय दिया, बल्कि अपनी सेना का नेतृत्व करते हुए ये भी साबित किया कि महिलाओं के लिए भी युद्ध के मैदान में अपना स्थान है. रानी लक्ष्मीबाई की वीरता और बलिदान आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं.
सरोजिनी नायडू: भारत की नाइटिंगेल
'भारत की नाइटिंगेल' के नाम से मशहूर सरोजिनी नायडू, एक कवि और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थी. उनका योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम था. महात्मा गांधी और अन्य नेताओं के साथ मिलकर उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया. सरोजिनी नायडू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष बनीं और उनकी नेतृत्व क्षमता ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नया मोड़ दिया.
अरुणा आसफ अली: स्वतंत्रता संग्राम की 'गांधीवादी'
अरुणा आसफ अली, जिन्हें 'स्वतंत्रता संग्राम की दादी' के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक प्रमुख महिला नेता थीं. उन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान में भारतीय ध्वज फहराकर उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक स्थापित किया.
कमला नेहरू: स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणा
कमला नेहरू, जो कि पंडित जवाहरलाल नेहरू की पत्नी थी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की एक सक्रिय सदस्य रही और उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. रैलियों और सविनय अवज्ञा आंदोलनों में हिस्सा लेकर और महिलाओं के अधिकारों की वकालत करते हुए उन्होंने न केवल स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया, बल्कि भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति को भी मजबूत किया. उनके कार्यों ने भारतीय महिलाओं को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया.
बेगम हज़रत महल: अवध की वीर
रानी बेगम हज़रत महल, अवध की रानी, 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की एक प्रमुख नेता रही. उनके पति के निर्वासन के बाद उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष किया और एक बड़ी सेना का गठन किया. बेगम हज़रत महल ने अपने साहस और संघर्ष के माध्यम से यह सिद्ध कर दिया कि महिलाएं केवल घरों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे स्वतंत्रता संग्राम में भी सक्रिय रूप से हिस्सा ले सकती हैं. उनकी वीरता और नेतृत्व आज भी महिलाओं को प्रेरित करता है.


