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AI गर्ल 'Babydoll Archi' का वायरल फेम... भारत की पोर्न समस्या के बारे में क्या कहता है?

AI की मदद से एक महिला की पहचान चुराकर बनाए गए इंस्टाग्राम अकाउंट 'Babydoll Archi' ने डिजिटल अपराध और अश्लील कंटेंट की भयावह सच्चाई उजागर की है.

आज जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सेल्फी एडिटिंग और रील बनाने से कहीं आगे निकल चुका है, वहीं उसका दुरुपयोग समाज के लिए एक गंभीर खतरा बनता जा रहा है. असम की एक आम महिला की पहचान चुराकर बनाए गए इंस्टाग्राम अकाउंट ‘Babydoll Archi’ का मामला इसी खतरे को लेकर चौंकाने वाला है.

इस AI-निर्मित इंस्टाग्राम स्टार के पीछे की सच्चाई सामने आते ही सबके होश उड़ गए. जिस महिला को लोग सोशल मीडिया पर एक ग्लैमरस सेलेब्रिटी समझ रहे थे, वो असल में पीड़िता थी. जिसकी तस्वीरों को मॉर्फ करके उसके नाम से अश्लील कंटेंट बनाया गया और करोड़ों लोगों के सामने परोसा गया.

कौन है 'Babydoll Archi'?

सब कुछ एक सिंपल वीडियो से शुरू हुआ- एक महिला साड़ी में स्पेनिश गाने पर लिप-सिंक करती हुई दिखाई दी. वीडियो वायरल हो गया. फिर शुरू हुआ इंस्टाग्राम हैंडल ‘Babydoll Archi’ का सफर, जिसने कुछ ही हफ्तों में 1.4 मिलियन फॉलोअर्स बना लिए और एक ब्लू टिक भी हासिल कर लिया. लेकिन हकीकत में ये कोई सोशल मीडिया स्टार नहीं, बल्कि एक एआई से तैयार किया गया अवतार था, जिसे एक असली महिला की तस्वीर से तैयार किया गया था.

कौन है इस साजिश के पीछे?

इस पूरे मामले में मुख्य आरोपी है प्रतीम बोपा, असम के तिनसुकिया जिले का एक मैकेनिकल इंजीनियर. दिल्ली की एक कंपनी में रिमोट काम कर रहा था और अगस्त 2020 में इस अकाउंट की शुरुआत की थी. डीआईजी सिजल अग्रवाल के मुताबिक, बोरा ने एक महिला की केवल एक तस्वीर से हजारों AI-जेनरेटेड और मॉर्फ्ड कंटेंट बनाए.

पुलिस जांच में सामने आया है कि बोरा ने सिर्फ पांच दिनों में लगभग ₹3 लाख कमाए और अब तक की कुल कमाई करीब ₹10 लाख थी. वो Linktree के जरिए सब्सक्रिप्शन बेस्ड ‘एडल्ट’ कंटेंट बेच रहा था. उसका मकसद सिर्फ बदला नहीं, बल्कि आर्थिक लाभ भी था.

अदालत की कार्यवाही और पुलिस की जांच

पुलिस ने बोरा को 5 दिन की रिमांड पर लिया है. इसके साथ ही, कई मोबाइल नंबर, सिम कार्ड, लैपटॉप, डेबिट और क्रेडिट कार्ड ज़ब्त किए गए हैं. पुलिस जांच कर रही है कि कहीं इसमें और लोग भी शामिल तो नहीं थे. पुलिस का कहना है कि हमने इंस्टाग्राम अकाउंट से जुड़ा नंबर ट्रेस किया और पाया कि वो प्रतीम बोरा के नाम पर है. उसके परिवार ने बताया कि वो पीड़िता का पुराना जानकार था. शुरू में उसने सिर्फ मानसिक प्रताड़ना के इरादे से अकाउंट शुरू किया था, लेकिन जब पैसे आने लगे तो उसने इसे मुनाफे का जरिया बना लिया.

समाज के लिए चेतावनी है ये मामला

इस मामले ने AI टेक्नोलॉजी के दुरुपयोग और इंटरनेट पोर्नोग्राफी की जटिल समस्याओं को भी उजागर किया है. डीआईजी अग्रवाल ने साफ कहा कि इस केस ने हमें ये सिखाया कि इंटरनेट पर हर चीज पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं किया जा सकता.

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15 July 2025, 08:39 PM IST

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