'शराब पीता हूं, सूअर नहीं खाता'...मिर्ज़ा ग़ालिब ने क्यों कहा ये विवादास्पद बयान?
Mirza Ghalib Birth Anniversary: उर्दू एवं फ़ारसी भाषा के एक महान शायर ग़ालिब का आज जन्मदिन है. उन्हें उर्दू भाषा का सर्वकालिक महान शायर माना जाता है और फारसी कविता के प्रवाह को हिन्दुस्तानी जबान में लोकप्रिय करवाने का श्रेय भी इनको दिया जाता है. इस बीच आज हम आपको उनके बारे में बेहद दिलचस्प बातें बताने जा रहे हैं.
Mirza Ghalib Birth Anniversary: मिर्ज़ा ग़ालिब, उर्दू शायरी के शहंशाह, अपनी लाजवाब शायरी के लिए आज भी मशहूर हैं. उनकी माली हालत हमेशा खस्ताहाल रही, लेकिन जीने का शाही अंदाज और जुए व मयनोशी की आदतें उनकी परेशानियों को बढ़ाती रहीं. शादीशुदा जीवन से खुश न रह पाने के कारण ग़ालिब ने घर के बाहर मोहब्बत की तलाश की, लेकिन वहां भी रंज-ओ-ग़म का सामना किया. बढ़िया शराब और खर्चों के लिए हमेशा पैसों की जरूरत रहती थी. इसके बावजूद, ग़ालिब ने अपनी शायरी से ऐसा मुकाम हासिल किया कि वे आज भी दिलों पर राज करते हैं. उनका जीवन संघर्ष और कला का संगम था.
मिर्ज़ा असदुल्लाह बेग ख़ां 'ग़ालिब', उर्दू शायरी के बादशाह माने जाते हैं. उनकी शायरी के जादू ने उन्हें अमर कर दिया. लेकिन ग़ालिब की निजी जिंदगी हमेशा मुश्किलों और विवादों से भरी रही. उनके शौक, आदतें और अंदाज उनकी परेशानियों का कारण बने, फिर भी उनका जीवन प्रेरणादायक है. आज उनका जन्मदिन है तो चलिए इस खास मौके पर उनके बारे में कुछ दिलचस्प बातें जानते हैं.
कम उम्र में शायरी की शुरुआत
ग़ालिब ने 11-12 साल की उम्र में ही शायरी शुरू कर दी थी. शुरुआत में उनकी फारसी शायरी इतनी गहरी थी कि लोग समझ नहीं पाते थे. लेकिन नवाब हुमामुद्दौला जैसे लोगों ने उन्हें प्रोत्साहित किया. उनकी ग़ज़लें जब मीर तक पहुंचीं, तो उन्होंने कहा, “अगर इस लड़के को कोई राह दिखाने वाला मिल जाए, तो यह बड़ा शायर बन सकता है.” आगे चलकर ग़ालिब ने अपने दम पर शायरी की दुनिया में ऊंचा मुकाम हासिल किया.
माली तंगी और शाही शौक
ग़ालिब की आर्थिक स्थिति हमेशा खराब रही. पिता और मामा का साया जल्दी उठ गया. शादी के बाद वे दिल्ली आ गए. रियासतों से मिलने वाली पेंशन पहले घटाई गई और फिर बाद में बंद कर दी गई. इस पेंशन को पाने के लिए ग़ालिब ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी, लेकिन असफल रहे.
दूसरी ओर, उनके खर्चे शाही थे. शराब और जुए की लत के चलते उनकी परेशानियां और बढ़ती गईं. मुगल दरबार से मामूली रकम मिलती थी, जो काफी नहीं थी. उनकी पत्नी से झगड़े रोजमर्रा की बात बन गए. उन्होंने अपनी शादी को “दूसरी जेल” कहा.
मोहब्बत और दिल के दर्द
ग़ालिब ने घर के बाहर मोहब्बत की तलाश की. उनका दिल एक नाचने-गाने वाली मुगल जान पर आया. लेकिन उसकी मौत ने ग़ालिब को गहरे दुख में डाल दिया. एक और प्रेम कहानी में उनकी प्रेमिका ने समाज और परिवार के दबाव में आत्महत्या कर ली. ग़ालिब ने उसकी याद में दर्द भरी शायरी लिखी.
आधा मुसलमान” कहने का क्या है किस्सा
ग़ालिब की शराब पीने की आदत पर लोग उन्हें टोकते थे. एक बार उन्होंने जवाब दिया, “आधा मुसलमान हूं। शराब पीता हूं, लेकिन सूअर नहीं खाता.” उनका यह जवाब आज भी चर्चा का विषय है.
जुए की लत और जेल की सजा
शतरंज और चौसर के शौक के चलते ग़ालिब को जुए की लत लग गई. उनके घर पर फड़ जमने लगे. नए कोतवाल ने उनके घर छापा मारा, और ग़ालिब को छह महीने की सजा हुई. जेल में भी ग़ालिब को काफी सहूलियत मिलीं, लेकिन यह अनुभव उनके लिए दर्दनाक रहा. उन्होंने लिखा, “यहां हर चीज़ की कमी है, सिवाय ग़मों के.”
नौकरी के लिए रुतबे का अंदाज़
दिल्ली कॉलेज में फारसी पढ़ाने की नौकरी के लिए ग़ालिब ने आवेदन दिया. इंटरव्यू के लिए बुलाए जाने पर उन्होंने सेक्रेटरी थॉमसन से गेट पर स्वागत की उम्मीद की. जब ऐसा नहीं हुआ, तो ग़ालिब ने कहा, “मैं नौकरी अपनी इज्ज़त बढ़ाने के लिए करना चाहता था, न कि घटाने के लिए.” उन्होंने नौकरी ठुकरा दी.
जीवन का सबक
ग़ालिब ने अपनी शायरी और जीवन में बार-बार साबित किया कि परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों, आत्मसम्मान और जुनून को बनाए रखना सबसे महत्वपूर्ण है. उनकी जिंदगी हर संघर्षशील व्यक्ति के लिए प्रेरणा है.