Explainer: ईसाइयों के साथ मुसलमानों का भी त्योहार है क्रिसमस, ईसा मसीह का इस्लाम से क्या है ताल्लुक?

Explainer: पश्चिमी देशों में रहने वाले लोगों के लिए 25 दिसंबर का दिन बेहद खास होता है. ईसाई धर्म के लोग इसे यीशु के जन्मदिन के रूप में मनाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस्लाम का भी क्रिसमस से एक खास ताल्लुक है.

Shabnaz Khanam
Shabnaz Khanam

Explainer: 25 दिसंबर का दिन हर ईसाई के लिए बहुत खास होता है. ईसाईयों के प्रमुख त्योहारों में से एक क्रिसमस होता है. इतिहास में आज ही के दिन ईसा मसीह का जन्म हुआ था. दुनियाभर में इस दिन को खास तरह से मनाया जाता है. इन लोगों के लिए 25 दिसंबर से ही नए साल की शुरुआत मानी जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ईसा मसीह का मुस्लिम धर्म से भी ताल्लुक है? ईसा मसीह को लेकर अलग अलग धारणाएं हैं, उनको ईसाई धर्म के अलावा मुस्लिम धर्म में मानने वाले हैं. 

इस्लाम धर्म से कैसे जुड़ा है ईसाई धर्म?

इस्लाम धर्म की शुरुआत मक्का से मानी जाती है, जहां पर पैगम्बर मोहम्मद साहब ने इस्लाम धर्म का प्रचार प्रसार किया था. जानकारियों के मुताबिक, पैगम्बर के आने से पहले तक वहां पर बुतों की पूजा की जाती थी. मोहम्मद साहब ने ही वहां पर लोगों में इस्लाम फैलाया था. अब सवाल ये उठता है कि आखिर ईसा मसीह का इस्लाम से क्या ताल्लुक है?

जीसस
जीसस

इस्लाम में जीसस को मानते हैं हजरत ईसा?

आमतौर पर इस्लाम धर्म में क्रिसमस नहीं मनाया जाता है, लेकिन दूसरी तरफ इस्लाम को मानने वाले यीशू को बहुत मानते भी है. इसके पीछे एक वजह ये भी है कि वो लोग यीशू को लेकर ये मानते हैं कि वो पैगंबर मोहम्मद के पहले आने आने वाले शख्स थे. हकीकत तो यह है कि ईसा मसीह, जिन्हें अरबी में ईसा भी कहा जाता है, उनका जिक्र पवित्र किताब कुरान में कई बार किया गया है, यहां तक ​​कि पैगंबर मोहम्मद से भी ज्यादा बार उनका नाम आया है. 

इस्लाम में मरियम

अरब संस्कृति में बच्चों को उनके पिता के नाम से पुकारना आम बात थी. उदाहरण के लिए, मुहम्मद नाम का कोई व्यक्ति जिसके पिता का नाम अब्दुल्ला है उसे "अब्दल्लाह के बेटे मुहम्मद" से जाना जाता था. हालाँकि, कुरान में यीशु का उल्लेख मरियम के पुत्र के रूप में किया गया है. ये नाम उन्हें ईश्वर ने दिया था. जब स्वर्गदूतों ने कहा, "हे मरियम, वास्तव में अल्लाह तुम्हें अपनी ओर से एक अच्छी खबर देता है, जिसका जो एक मसीहा होगा, मरियम के पुत्र यीशु को इस दुनिया में और उसके बाद सम्मानित किया जाएगा. 

मैरी, ही हैं मरियम?

इस्लाम की पवित्र किताब में सिर्फ एक ही औरत का जिक्र है. और वो है वर्जिन मैरी जिसे अरबी भाषा में मरियम भी कहा जाता है. कुरान में एक पूरा एक चैप्टर मैरी को लेकर है जिसमें ईसा मसीह के जन्म का जिक्र है. लेकिन इस्लाम में बताई गई यीशु के जन्म की कहानी में न तो जोसेफ का ज़िक्र है, न फ़रिश्तों का, न ही किसी कुंड (जानवरों को खाना खिलाने वाला बर्तन) का. 

मैरी
मैरी

मरियम ने रेगिस्तान में अकेले ही यीशु को जन्म दिया और सूखे ताड़ के पेड़ की छाया में शरण ली. ऐसा ही एक चमत्कार हुआ और उनके खाने के लिए पेड़ से खजूर निकले और उनके पैरों के पास पानी का एक झरना फूट पड़ा. किसी महिला के बच्चा होने पर उसके चरित्र के बारे में कई तरह के सवाल पूछे जा सकते हैं. लेकिन नवजात यीशु ईश्वर के दूत की तरह बोलने लगे. यह चमत्कार व्यक्ति की बेगुनाही साबित करता है. 

कयामत के दिन वापस आएंगे ईसा?

मुस्लिमों की ईसा को लेकर एक अलग मान्यता है, उनका मानना है कि कयामत के दिन वो वापस आएंगे. कुरान में भी ईसा के बारे में काफी कुछ लिखा है. जहां पर एक तरफ मुस्लिम लोग लड़को के नाम ईसा लड़कियों के नामों में मरियम रखते हैं, इसको ईसा और मैरी से जोड़ा जाता है. इस्लामी परंपराओं में, पैगंबर यीशु को ईश्वर के दूत, धर्मपरायणता का उदाहरण और आध्यात्मिक सत्य के मार्गदर्शक के रूप में बहुत सम्मान दिया जाता है. 

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25 December 2023, 11:13 AM IST

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