Diwali 2025: लक्ष्मी पूजन के लिए कौन सा मुहूर्त सबसे शुभ, जानें शहरवार समय और पूजा विधि
Diwali 2025: इस साल लक्ष्मी पूजन सोमवार 20 अक्टूबर को कार्तिक अमावस्या तिथि पर होगा. मान्यता है इस दिन भक्त माता लक्ष्मी के साथ गणेश और सरस्वती की भी पूजा कर अपने घर और जीवन में धन और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं. पूजा का सबसे शुभ समय प्रादोष काल शाम 07:08 से रात्रि 08:18 तक माना गया है.

Diwali 2025: इस साल दीपावली पर लक्ष्मी पूजन सोमवार, 20 अक्टूबर को होगी. यह पूजन कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को संपन्न होगा. इस दिन संध्या के प्रादोष काल यानी 07:08 बजे से 08:18 बजे तक का समय सबसे शुभ माना गया है.
लक्ष्मी पूजन केवल देवी लक्ष्मी की पूजा ही नहीं है, बल्कि यह समृद्धि, सुख और सौभाग्य की प्राप्ति का प्रतीक भी है. इस दिन भक्त गणेश जी और सरस्वती माता की भी आराधना करते हैं, ताकि घर और जीवन में खुशहाली और सफलता बनी रहे.
लक्ष्मी पूजन की तिथि और शुभ मुहूर्त
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प्यजन की तिथि: सोमवार, 20 अक्टूबर 2025
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प्रादोष काल: 05:46 PM – 08:18 PM
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लक्ष्मी पूजन मुहूर्त: 07:08 PM – 08:18 PM (1 घंटे 11 मिनट)
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वृषभ काल (सबसे स्थिर लग्न): 07:08 PM – 09:03 PM
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अमावस्या तिथि: 20 अक्टूबर 03:44 PM से 21 अक्टूबर 05:54 PM तक
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि प्रादोष काल और वृषभ लग्न में किया गया लक्ष्मी पूजन सबसे अधिक फलदायी होता है.
शहरवार शुभ मुहूर्त
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नई दिल्ली: 07:08 PM – 08:18 PM
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मुंबई: 07:41 PM – 08:41 PM
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अहमदाबाद: 07:36 PM – 08:40 PM
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पुणे: 07:38 PM – 08:37 PM
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चेन्नई: 07:20 PM – 08:14 PM
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बैंगलुरु: 07:31 PM – 08:25 PM
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कोलकाता: 05:06 PM – 05:54 PM
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हैदराबाद: 07:21 PM – 08:19 PM
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जयपुर: 07:17 PM – 08:25 PM
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चंडीगढ़: 07:06 PM – 08:19 PM
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नोएडा/गुरुग्राम: 07:07 PM – 08:19 PM
लक्ष्मी पूजन की तैयारी
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घर और कार्यालय को गेंदे, आम के पत्ते, केले के पत्ते, रंगोली और दीपकों से सजाएं.
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प्रवेश द्वार पर मंगलिक कलश रखें, जिसमें जल, आम के पत्ते और लाल कपड़े में लिपटा नारियल हो.
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लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्तियाँ लाल वस्त्र पर तथा नवग्रह की मूर्तियां सफेद वस्त्र पर स्थापित करें.
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फूल, मिठाइयां, फल, सिक्के और खीले-बताशे भोग में चढ़ाएं.
लक्ष्मी पूजन विधि
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पूजन स्थल को साफ करें और रंगोली तथा फूलों से सजाएं.
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लक्ष्मी, गणेश और सरस्वती की मूर्तियाँ उठे हुए मंच पर रखें.
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घर के हर कोने में दीपक और घी का दीपक जलाएं.
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देवी लक्ष्मी को फूल, फल, मिठाई और सिक्के अर्पित करें.
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षोडशोपचार पूजा (16 प्रकार के भेंट) जैसे धूप, दीप, भोजन और प्रार्थना करें.
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लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनामावली का पाठ करें.
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परिवार के साथ लक्ष्मी आरती करें.
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पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद वितरित करें और आतिशबाजी करें.
लक्ष्मी पूजन का महत्व
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यह दिन अंधकार पर प्रकाश और गरीबी पर समृद्धि की जीत का प्रतीक है.
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भक्त धन, ज्ञान, फसल, पशु और दिव्य ऊर्जा सहित सभी प्रकार की संपत्ति की पूजा करते हैं.
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व्यवसायी वर्ग में इसे चौपड़ा पूजन के रूप में भी मनाया जाता है.
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स्थिर लग्न में पूजा करने से माता लक्ष्मी का वास घर में स्थायी रूप से होता है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषय गणनाओं पर आधारित है. JBT यहां दी गई जानकारी की किसी भी प्रकार की पुष्टि नहीं करता है.


