महाभारत का वह योद्धा जो स्त्री के रूप में जन्मा, पुरुष के रूप में पला-बढ़ा, जब हुआ विवाह...
महाभारत में एक विचित्र पात्र है. जो एक लड़की के रूप में पैदा हुई थी. एक बच्चे की तरह पाला गया. दुनिया की नज़र में वह एक मर्द था, लेकिन जब उसने एक लड़की से शादी की तो उसके जीवन में तूफ़ान आ गया.

क्या आप जानते हैं महाभारत का सबसे विचित्र योद्धा कौन था? महाभारत में किसी भी पात्र की कहानी इतनी विचित्र नहीं है जितनी कि उसकी. वह द्रौपदी का चचेरा भाई था. पांडवों का साला. कुछ लोग इसे पुरुष कहते हैं, कुछ लोग इसे महिला कहते हैं. इस योद्धा की अद्भुत कहानी.
उनकी कहानी सिर्फ एक जन्म की नहीं है. वे कई जन्मों के संयोग से बनते हैं. वास्तव में वह कौरवों का शत्रु नहीं था. यहां तक कि पांडव भी नहीं. महाभारत युद्ध में वह पांडवों की ओर से लड़े जरूर, लेकिन उनका शत्रु केवल एक ही था. वह भीष्म पितामह थे. उनका जन्म केवल अपने पितामह भीष्म को मारने के लिए हुआ था. शिखंडी. जिनका जन्म पांचाल के राजा द्रुपद के घर हुआ था. द्रुपद एक शक्तिशाली राजा थे. वह द्रौपदी और धृष्टद्युन के पिता भी थे, जो अग्नि कुंड से पैदा हुए थे. लेकिन शिखंडी उनका और रानी द्रुपद का असली पुत्र था.
लड़की के रूप में जन्म
शिखंडी का जन्म एक लड़की के रूप में हुआ था. उनके जन्म के समय एक दिव्य आवाज आई थी कि उन्हें बेटे की तरह पालना है. इसलिए द्रुपद ने शिखंडी को पुरुष की तरह पाला. उन्होंने दुनिया को यह नहीं बताया कि वह एक लड़की थी, इसलिए सभी ने सोचा कि शिखंडी एक पुरुष था.
उसके पिछले जीवन की कहानी
शिखंडी को छोटी उम्र से ही युद्ध कला का प्रशिक्षण दिया गया था. दरअसल शिखंडी का जन्म द्रुपद के यहां एक विशेष उद्देश्य से हुआ था. इसका उद्देश्य भीष्म को ख़त्म करना था.
भीष्म की मृत्यु का कारण
पिछले जन्म में अम्बा नाम की एक राजकुमारी थी. वह भीष्म से विवाह करना चाहती थी, लेकिन भीष्म ने उससे विवाह करने से इंकार कर दिया. चूंकि भीष्म ने अपने भाई के लिए काशी में आयोजित स्वयंवर से उसका अपहरण किया था, इसलिए अम्बे के प्रेमी राजा शाल्व भी उसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थे. वह अपमानित महसूस कर रहा था. अपमान के कारण अम्बे ने शिव की तपस्या की. उसने भीष्म की मृत्यु का कारण बनने का वरदान मांगा. शिव ने उनसे कहा कि यह अगले जन्म में संभव होगा.
भीष्म को युद्ध करने के लिए मजबूर किया
उसने भीष्म को युद्ध करने के लिए मजबूर किया. क्योंकि भीष्म ने प्रतिज्ञा की थी कि वे कभी किसी स्त्री पर शस्त्र का प्रयोग नहीं करेंगे. जब युद्ध में शिखंडी का सामना भीष्म से हुआ तो उसने अपने हथियार रख दिये. इसी बीच अर्जुन ने उस पर बाण चलाकर उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया. इसके कारण बाद में उनकी भी मृत्यु हो गई. इस प्रकार शिखंडी भीष्म की मृत्यु का कारण बना.
शादी होते ही तूफान आ गया
जब शिखंडी युवा हो गया तो द्रुपद ने अपनी रानी से कहा, "भगवान शिव की बात गलत नहीं होगी, शिखंडी अवश्य ही पुरुष बनेगा." तो, उसकी शादी किसी लड़की से करवा दो. शिखंडी का विवाह दशार्णराज हिरण्यवर्मा की पुत्री से हुआ था. कुछ दिनों के बाद इस लड़की ने कुछ दासियों को अपने पिता के पास भेजकर यह समाचार सुनाया कि उसका विवाह द्रौपदी की पुत्री शिखंडी से हो गया है. हिरण्यवर्मा बहुत क्रोधित हुआ और उसने दूत द्वारा द्रुपद के पास संदेश भेजा, "तुमने अच्छा नहीं किया." उन्होंने अपनी बेटी को भी वापस बुला लिया.
इन सब बातों से शिखंडी इतना दुखी हो गया कि वह आत्महत्या करने के बारे में सोचने लगा. इसके लिए वह जंगल में चले गए. उसने वहाँ खाना-पीना छोड़ दिया. एक यक्ष को उस पर दया आ गयी. जब शिखंडी ने उसे अपनी पूरी कहानी बताई तो उसने कहा, "मैं तुम्हें अपना पुरुषत्व दे दूंगा, लेकिन तुम्हें इसे मुझे वापस करना होगा." इस प्रकार शिखंडी पुनः मनुष्य रूप में लौट आया. बाद में कुछ ऐसी घटनाएँ घटीं कि वह हमेशा के लिए इंसान बन गया.
शिखंडी की मृत्यु कैसे हुई?
क्या आप जानते हैं शिखंडी की मृत्यु कैसे हुई? महाभारत युद्ध में अपने पितामह भीष्म का वध करने के बाद शिखंडी युद्ध से थक गया था. युद्ध समाप्त होने के बाद जब सभी योद्धा थककर अपने-अपने शिविरों में चले गए तो अश्वत्थामा ने शिखंडी को गहरी नींद में पाया. उसने शिखंडी पर आक्रमण कर दिया और उसे द्रोणाचार्य की मृत्यु का मुख्य कारण मान लिया. शिखंडी गहरी नींद में था. उसे बचाने का कोई रास्ता नहीं था. अश्वत्थामा ने शिखंडी का वध कर दिया.