आज है पावन सावन शिवरात्रि, जानें शिव की पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि
सावन शिवरात्रि भगवान शिव की आराधना का शुभ अवसर है. इसे हर साल सावन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है.

सावन शिवरात्रि भगवान शिव की आराधना का एक अत्यंत पवित्र और शुभ अवसर है, जिसे हर साल सावन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. इस वर्ष यह पर्व 23 जुलाई, बुधवार को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है. महाशिवरात्रि के बाद, सावन शिवरात्रि को शिवभक्तों के लिए दूसरा सबसे बड़ा और खास पर्व माना जाता है.
पूरा सावन माह ही भगवान शिव को समर्पित होता है, लेकिन शिवरात्रि का दिन विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा और पुण्य लाभ का अवसर लेकर आता है. इस दिन शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा और भांग अर्पित करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.
शिवरात्रि की तारीख को लेकर भ्रम
कुछ भक्तों के मन में यह सवाल था कि शिवरात्रि 23 जुलाई को मनाई जाएगी या 24 को? ज्योतिषियों के अनुसार, शिव पूजा के लिए 23 जुलाई की रात और 24 जुलाई की भोर का समय अत्यंत शुभ है.
पूजन के शुभ मुहूर्त और जलाभिषेक का समय
1. पहला मुहूर्त: सुबह 4:15 से 4:56 बजे तक
2. दूसरा मुहूर्त: सुबह 8:32 से 10:02 बजे तक
चार पहरों की रात्रि पूजा
1. प्रथम पहर: शाम 7:26 से रात 10:06 बजे तक
2. द्वितीय पहर: रात 10:06 से 12:46 बजे तक
3. तृतीय पहर: रात 12:46 से सुबह 3:27 बजे तक
4. चतुर्थ पहर: सुबह 3:27 से 6:07 बजे तक
5. निशिता काल: 24 जुलाई की रात 12:25 से 1:08 बजे तक रहेगा
पूजा विधि और उपवास
सावन शिवरात्रि के दिन भक्त प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करते हैं और शिव मंदिर जाकर पूजन करते हैं. उपवास में फलाहार, दूध, और जल का सेवन किया जाता है जबकि अनाज और नमक से परहेज किया जाता है. दिनभर शिव मंत्रों का जाप और रात्रि में शिव चालीसा, महामृत्युंजय मंत्र और शिव पुराण का पाठ किया जाता है.
धार्मिक महत्त्व
यह पर्व उत्तर भारत के कई राज्यों में विशेष धूमधाम से मनाया जाता है. काशी विश्वनाथ, महाकालेश्वर, और बद्रीनाथ धाम जैसे प्रमुख शिवालयों में विशेष पूजन और गंगाजल से अभिषेक किया जाता है. यह दिन आत्मशुद्धि, भक्ति, मानसिक शांति और मोक्ष प्राप्ति का अद्वितीय अवसर माना जाता है.


