छठ महापर्व का आज दूसरा दिन आज, जानें खरना पूजा की विधि और इसका महत्व
आज छठ महापर्व का दूसरा दिन है इस दिन खरना पूजा की जाती है, जिसमें विशेष प्रसाद तैयार कर भगवान सूर्य को समर्पित किया जाता है. इसके बाद अगले दो दिनों में सुबह और शाम के अलग-अलग समय पर सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है.

छठ खरना 2025: छठ महापर्व का शुभारंभ हो चुका है और पूरे देश में श्रद्धा और आस्था का माहौल है. इस महापर्व का दूसरा दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है. आज छठ पर्व के दूसरे दिन खरना पूजा का आयोजन किया जाता है, जिसके बाद चार दिन चलने वाले सूर्योपासना के व्रत की शुरुआत होती है. यह पर्व न सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि समाज में एकजुटता और परिवार के बीच प्रेम को भी बढ़ावा देता है.
खरना पर्व के दिन छठी मैया की पूजा विधिपूर्वक की जाती है, और विशेष प्रसाद तैयार किया जाता है, जिसे परिवार के सभी सदस्य एक साथ खाते हैं. तो आइए जानते हैं खरना पूजा का महत्व और उसकी विशेष विधि के बारे में.
खरना का महत्व
छठ पर्व में खरना का दिन अत्यधिक पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसी दिन से 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होता है. यह उपवास न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक पवित्रता का प्रतीक भी है. इस दिन व्रति अपने मन, विचार और कर्म को शुद्ध करने का संकल्प लेते हैं ताकि वे आगामी व्रत के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से पूरी तरह से तैयार हो सकें. साथ ही, इस दिन बनाए गए प्रसाद को परिवार और अन्य लोगों के साथ साझा करने की परंपरा है, जो एकता और भाईचारे को बढ़ावा देती है.
खरना का प्रसाद
खरना के दिन विशेष प्रसाद तैयार किया जाता है, जिसमें मुख्य रूप से गुड़ की खीर बनाई जाती है. यह खीर चावल, दूध और गुड़ से बनाई जाती है. इसके साथ गेहूं के आटे की रोटी या पूरी भी बनती है. यह प्रसाद पहले सूर्य देव और छठी मैया को अर्पित किया जाता है, और फिर व्रति इसे ग्रहण करते हैं. इसके बाद, व्रति 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू करते हैं, जो पूरी श्रद्धा और संकल्प के साथ निभाना होता है.
खरना की पूजा विधि
खरना पूजा की विधि भी बहुत विशेष होती है. प्रातः सूर्योदय से पूर्व स्नान कर व्रति आत्मिक शुद्धि का संकल्प लेते हैं. इसके बाद पूरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है, जिसमें कोई भी खाद्य पदार्थ या पानी का सेवन नहीं किया जाता. शाम के समय पूजा स्थल की सफाई की जाती है और प्रसाद तैयार किया जाता है. इस दिन आमतौर पर गुड़ की खीर या दूध-चावल से निर्मित खीर तैयार की जाती है, साथ में आटे की रोटी या पूरी और केले का भी योगदान होता है.
पूजा में पहले सूर्य देवता और फिर छठी मैया की विधिवत पूजा की जाती है. इस दिन की पूजा से पूरे परिवार में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है.
खरना का पर्व, छठ महापर्व का अभिन्न हिस्सा है और यह व्रति की दृढ़ता, शुद्धता और विश्वास को दर्शाता है. पूरे परिवार के साथ इसे मनाना एक सामाजिक और धार्मिक जुड़ाव का प्रतीक है. इस दिन की पूजा और प्रसाद का महत्व छठ पर्व की भावनात्मक और धार्मिक गहराई को और भी बढ़ाता है.
Disclaimer: ये धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, JBT इसकी पुष्टि नहीं करता.


